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प्रेग्नेंसी के दौरान STD के टेस्ट की लिस्ट
एसटीआई कई तरह के होते हैं, यह जानने के लिए कि आपको किस परीक्षण की आवश्यकता है अपने डॉक्टर से बात करें। वे आपको निम्नलिखित में से एक या एक से अधिक परीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
- क्लैमाइडिया टेस्टिंग
- गोनोरिया टेस्टिंग
- सिफलिस टेस्ट
- ट्राइकोमोनस टेस्टिंग
- एचपीवी टेस्ट
- हर्पीस टेस्टिंग
- हेपेटाइटिस-बी टेस्टिंग
- हेपेटाइटिस-सी टेस्टिंग
- एचआईवी एंटीबॉडी टेस्ट
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क्या प्रेग्नेंसी के दौरान STD के टेस्ट किए जाने चाहिए?
प्रेग्नेंट महिला को STD के टेस्ट और इलाज दोनों करवाना जरूरी है। STD के टेस्ट के जरिए मां और बच्चे दोनों की सेहत से जुड़ी गंभीर जटिलताओं और खतरों का पता चलता है। अगर किसी महिला में प्रेग्नेंसी के दौरान STD के टेस्ट के जरिए किसी यौन जनित बीमारी के बारे में पता चला है तो जितनी जल्दी हो सकें, यौन संचारित रोगों का इलाज करवाना शुरू कर देना चाहिए। जितना जल्दी इलाज शुरू होगा, अजन्मे बच्चे पर यौन संचारित रोग का असर उतना ही कम होगा।
आपको बता दें कि, यदि आपको पहले कभी भी एसटीआई का परीक्षण कराने का निर्देश दिया गया है, तो गर्भावस्था के दौरान दोबारा से परीक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण है।यदि आपको इससे जुड़े किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं या आप किसी प्रकार के उच्च यौन गतिविधि में सम्मिलित रहे हैं, तो गर्भावस्था की स्थिति में आपको यह परीक्षण कराना आवश्यक होता है।
डॉक्टर प्रेग्नेंसी में आपको सीडीसी स्क्रीनिंग की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे पर क्या असर पड़ सकता है, इसकी जानकारी मिल सकती है। डॉक्टर से समय-समय पर जांच करवाते रहें ताकि किसी तरह का खतरा न हो। प्रेग्नेंसी के दौरान लक्षणों के आधार पर यौन संचारित रोगों का पता लगाने के लिए STD के कुछ टेस्ट करवाए जाते हैं, जो कि इस प्रकार हैं-
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- यूरिन टेस्ट– इसमें गर्भवती महिला से यूरिन सैंपल लिया जाता है, जिसके जरिए क्लैमीडिया की जांच की जाती है। महिला और पुरुष दोनों के यूरिन सैंपल लिए जाते हैं, जिससे कि गोनोरिया की जांच की जा सके।
- ब्लड टेस्ट– गर्भवती महिला के हाथ की नसों से खून का सैंपल लिया जाता है, जिससे कि एचआईवी, सिफिलिस, ट्रायकॉमोनास, हेपेटाइटस-बी की जांच की जा सके।
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क्या गर्भवती होने पर STD का इलाज कराना ठीक होगा?
प्रेग्नेंसी के दौरान STD के टेस्ट और इलाज करवाना बेहद जरूरी है। अगर किसी प्रेग्नेंट महिला में STD के टेस्ट के दौरान कोई यौन जनित रोग डिटेक्ट हुआ है, तो जल्दी ही उसका इलाज शुरू करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में कई यौन संचारित रोगों का पता चल सकता है, जिनमें क्लैमाइडिया, गोनोरिया, सिफलिस, ट्राइकोमोनिएसिस शामिल हैं। इन सभी रोगों का एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए इलाज किया जाता है।
STD के टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर रोग के बारे में पता करके तय करते हैं कि कौनसी एंटीबायोटिक देना है। यह एंटीबायोटिक दवाइयां प्रेग्नेंसी में लेना पूरी तरह से सुरक्षित है। कुछ यौन संचारित रोग वायरस के कारण होते हैं, जैसे हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और जेनिटल हर्पीस का पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है। कुछ मामलों में यौन संचारित रोग (हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और जेनिटल हर्पीस) का इलाज कर बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सकता है। प्रेग्नेंसी में STD के टेस्ट और इलाज करवाना बेहद जरूरी है, इससे गर्भस्थ शिशु को एसटीडी के खतरों से बचाया जा सकता है।
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प्रेग्नेंसी में कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं इसी में एसटीडी यानि यौन संचारित रोगों का भी टेस्ट किया जाता है ताकि पता लगाया जा सके कि गर्भवती महिला किसी यौन संचारित रोग से पीड़ित तो नहीं है। इन टेस्ट के जरिए होने वाले बच्चे को भी संक्रमण से बचाने के लिए उपाय किए जा सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं प्रेग्नेंसी में STD के टेस्ट विषय पर आधारित यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इन रोगों से बचाव करना बेहद जरूरी है। प्रेग्नेंसी के समय ज्यादा एहतियात बरतना चाहिए, क्योंकि कई बार इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी असर पड़ सकता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।