अपनी सेकेंड प्रेग्नेंसी के दिनों को याद करते हुए कानपुर की शशि शुक्ला कहती हैं कि, ‘सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली मां कई बातों के प्रति अवेयर रहती है, लेकिन सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। मेरा तीन साल का लड़का था जब मैं दोबारा प्रेग्नेंट हुई। सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान पहले बच्चे का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है। खुद का ध्यान और बच्चे का ध्यान रखते हुए थकावट भी ज्यादा महसूस होती है। सेकेंड डिलिवरी के वक्त मुझे कम दर्द का एहसास हुआ था। मेरे दोनों बच्चे नॉर्मल डिलिवरी से ही पैदा हुए हैं।’
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पहले बच्चे को करना पड़ा तैयार
मुंबई की रहने वाली वर्किंग मॉम देवयानी अपने सेकेंड बेबी का एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहती हैं कि, ‘वर्किंग होने की वजह से मैंने सेकेंड बेबी के लिए थोड़ा लेट सोचा। तब मेरा पहला बच्चा पांच साल का था। प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे उसे इस बात के लिए तैयार करना पड़ा कि उसके साथ अब एक बेबी भी रहेगा। पहले उसे इन बातों को लेकर अजीब महसूस होता था और वो अपनी चीजें भी शेयर नहीं करना चाहता था। सेकेंड प्रेग्नेंसी या दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे चिंता ज्यादा थी। बाद में सब कुछ ठीक हो गया। मुझे पहला बच्चा सी-सेक्शन से हुआ था लेकिन दूसरा बच्चा नॉर्मल हुआ। मेरे लिए दूसरी प्रेग्नेंसी कम दर्दनाक थी।’
सेकेंड प्रेग्नेंसी से पहले अपनी आर्थिक स्थिति का ख्याल, घर का माहौल और शरीरिक जांच बहुत जरूरी है। दो बच्चों में तीन साल अंतर रखना बेहतर रहेगा। जब भी सेकेंड प्रेग्नेंसी प्लान करें, एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सक सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।