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फाइब्रॉएड क्या है, इसका इनफर्टिलिटी से क्या संबंध है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/03/2021

फाइब्रॉएड क्या है, इसका इनफर्टिलिटी से क्या संबंध है?

हमारे शरीर में कुछ परिवर्तन ऐसे भी होते हैं, जिनके लक्षण नजर नहीं आते है। जब ये परिवर्तन बड़ा रूप ले लेते हैं तो समस्या बनकर सामने आते हैं। ऐसा ही एक समस्या है फाइब्रॉएड। यूट्रस में किसी भी सेल की अचानक से ग्रोथ के कारण ट्यूमर का जन्म होता है। ये ट्यूमर अक्सर खतरनाक नहीं होते हैं। अगर महिला को इसके लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं तो कोई भी गंभीर समस्या नहीं होती है। कुछ महिलाओं में फाइब्रॉएड इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि फाइब्रॉएड या नॉन कैंसर ट्यूमर क्या होते हैं और बांझपन या इनफर्टिलिटी से इसका क्या संबंध है?

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फाइब्रॉएड क्या हैं?

गर्भाशय या यूटेराइन में नॉन कैंसर फाइब्रॉएड से मतलब नॉनकैंसर ट्यूमर का पाया जाना होता है। ये ट्यूमर यूट्रस मसल्स के टिशू में पाए जाते हैं। इन ट्यूमर को मायोमाज या लियोमायोमाज ( myomas or leiomyomas) भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे यूट्रस की रसौली के नाम से भी जानते हैं। जब यूट्रस की वॉल में सिंगल सेल की ग्रोथ कई बार होती है तो नॉनकैंसर ट्यूमर का डेवलपमेंट हो जाता है।

यूट्रस के लोअर पार्ट में फाइब्रॉएड का साइज चेंज होता रहता है। महिलाओं में एक से अधिक फाइब्रॉएड भी हो सकते हैं। वहीं नॉन कैंसर ट्यूमर होने की भी संभावना रहती है। फाइब्रॉएड की वजह से महिलाओं में कुछ लक्षण दिख सकते हैं। हालांकि ये बात यूट्रस में उपस्थित उनकी संख्या पर निर्भर करती है।

  • नॉन कैंसर ट्यूमर यूट्रस में कहीं भी हो सकते हैं। ये सर्विक्स में भी पाए जाते हैं। फाइब्रॉएड को उनकी उपस्थिति के आधार पर बांटा जाता है।
  • सबसिरोसल (Subserosal) गर्भाशय की बाहरी दीवार में होते हैं। इनकी संभावना 55% होती है।
  • इंट्राम्यूरल (Intramural) गर्भाशय की दीवार की मांसपेशियों की परतों में पाए जाते हैं। इनकी संभावना 40% होती है।
  • सबम्यूकोसल प्रोट्रूड (Submucosal protrude) गर्भाशय गुहा में होते हैं। इनकी संभावना 5% होती है।

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कैसे प्रभावित करते हैं फाइब्रॉएड?

नॉन कैंसर ट्यूमर इनफर्टिलिटी को कई तरीके से प्रभावित कर सकते हैं जैसे-

  • गर्भाशय ग्रीवा के शेप में अंतर आने से गर्भाशय में प्रवेश करने वाले स्पर्म की संख्या में अंतर।
  • स्पर्म के मूमेंट में बदलाव।
  • नॉन कैंसर ट्यूमर की वजह से फैलोपियन ट्यूब के बंद होने का खतरा।
  • यूटेराइन कैविटी की लाइनिंग में परिवर्तन।
  • गर्भाशय गुहा में रक्त के प्रवाह में परिवर्तन।

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नॉन कैंसर ट्यूमर और बांझपन का संबंध?

रिपोर्ट के मुताबिक 5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत महिलाओं में बांझपन का कारण फाइब्रॉएड होता है। फाइब्रॉएड का आकार और स्थान प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। फाइब्रॉएड जो कि गर्भाशय की गुहा के अंदर या गर्भाशय की दीवार में होते हैं, फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं।

अगर किसी महिला के गर्भाशय में नॉन कैंसर ट्यूमर है तो ये जरूरी नहीं है कि वो प्रेग्नेंट नहीं होगी। फाइब्रॉएड का ट्रीटमेंट करने से पहले डॉक्टर जांच करता है कि क्या इनकी वजह से फर्टिलिटी में समस्या उत्पन्न हो सकती है। जांच के बाद ही डॉक्टर फाइब्रॉएड के ट्रीटमेंट के लिए विचार करते हैं।

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नॉन कैंसर ट्यूमर के कारण दिखने वाले लक्षण

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फाइब्रॉएड के साथ गर्भावस्था की कल्पना की जा सकती है?

अगर किसी महिला को नॉन कैंसर ट्यूमर की समस्या है और वो नैचुरल प्रेग्नेंट हो जाती है तो उसे तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। गर्भावस्था में फाइब्रॉएड के कारण कोई समस्या न हो, इसके लिए डॉक्टर कुछ मेडिसिन सजेस्ट कर सकते हैं। फाइब्रॉएड की समस्या में दवा की सहायता से उसके आकार को कुछ कम किया जा सकता है।

कुछ केस में डॉक्टर नॉर्मल सर्जरी के जरिए फाइब्रॉएड को निकाल देते हैं। अगर आने वाले समय में महिला प्रेग्नेंट होने के बारे में सोच रही है तो डॉक्टर सर्जरी को रोक सकते हैं। कई केस में डॉक्टर यदि सर्जरी भी करते हैं तो महिला की शारीरिक स्थिति, फाइब्रॉएड की स्थिति और आकार जैसे अन्य विशेष पहलुओं को ध्यान में रख कर कोई फैसला लेते हैं।

  • फाइब्रॉएड के साथ प्रेग्नेंट होने पर गर्भपात (Miscarriage) होने का खतरा रहता है।
  • बिना इलाज के फाइब्रॉएड के साथ प्रेग्नेंट होने पर गर्भपात का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। ऐसे में अगर समय रहते इलाज करवाया जाए तो मिसकैरिज की समस्या को कम किया जा सकता है।
  • फाइब्रॉएड के साथ प्रेग्नेंट होने पर कई बार तो प्रेग्नेंसी में फाइब्रॉएड बच्चे के आकार के साथ बढ़ता जाता है। जिससे ब्लैडर पर दबाव बनने लगता है जिससे यूरिन पास करने में भी परेशानी आती है।
  • नॉन कैंसर ट्यूमर के साथ प्रेग्नेंट होने पर रक्त-नलिकाओं (Blood vessels) पर भी दबाव पड़ता है, जिससे पैरों में सूजन (Swelling) आ जाती है।
  • नॉन कैंसर ट्यूमर के साथ प्रेग्नेंट होने पर अगर फाइब्रॉएड बच्चे के आकार के साथ बढ़ रहा है तो कई बार किडनी की समस्या भी हो सकती है।

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नॉन कैंसर ट्यूमर से क्या होते हैं खतरे?

अगर महिला नॉन कैंसर ट्यूमर के होते हुए प्रेग्नेंट होती है तो उसे कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है।

  1. नॉन कैंसर ट्यूमर के होते हुए प्रेग्नेंट होने पर कई तरहे के खतरे भी हो सकते हैं। अगर प्रेग्नेंसी के समय नॉन कैंसर ट्यूमर छोटा है तो गर्भावस्था के साथ ही उसके बड़े होने की संभावना बढ़ जाती है।
  2. नॉन कैंसर ट्यूमर के साथ प्रेग्नेंट हुई हैं और अचानक से किसी भी प्रकार की समस्या आ गई तो डॉक्टर आपको एडमिट भी कर सकता है।
  3. मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जरिए यूट्रस की जांच की जाती है इसके जरिए पता किया जाता है कि नॉन कैंसर ट्यूमर भ्रूण की जगह न ले सके।
  4. अगर नॉन कैंसर ट्यूमर सर्विक्स की साइड में या लोअर साइड में हो तो बर्थ का रास्ता ब्लॉक हो जाता है। इस कारण नॉर्मल डिलिवरी नहीं हो पाती। अक्सर सी-सेक्शन का सहारा लेना पड़ता है।
  5. नॉन कैंसर ट्यूमर के कारण प्रीमैच्योर डिलिवरी की संभावना भी रहती है।
  6. अगर नॉन कैंसर ट्यूमर का प्रेग्नेंसी से पहले ही आकार बढ़ रहा है तो खतरे की घंटी की तरह है। ऐसे केस में फाइब्रॉएड को हटाने के लिए गर्भाशय तक निकालना पड़ जाता है।
  7. नॉन कैंसर ट्यूमर का आकार तब ज्यादा बढ़ता है जब इस समस्या का इलाज न करवाया जाएं। अगर कंसीव करने के पहले ही इस समस्या का पता चल जाता है तो इलाज करवाना बेहतर रहेगा। अगर इनफर्टिलिटी की समस्या हो रही है तो भी एक बार चेकअप जरूर कराएं, क्योंकि हो सकता है कि नॉन कैंसर ट्यूमर इनफर्टिलिटी का कारण बन रहा हो।

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अगर आपको कंसीव करने में समस्या हो रही है तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर जांच के बाद ही बता पाएगा कि आपको फाइब्रॉएड की समस्या है या फिर नहीं। फाइब्रॉएड और बांझपन का इलाज संभव है। अगर जरूरी होगा तो डॉक्टर आपके फाइब्रॉएड का ट्रीटमेंट करेगा। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

डिस्क्लेमर

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