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मेरा और बेटी का जन्म बिना किसी दवा के हुआ
प्रिया इलाबाद की रहने वाली हैं और पब्लिक हेल्थ से जुड़ा काम करती हैं उन्होंने अपना डिलिवरी अनुभव शेयर करते हुए बताया, “मुझे लगता था कि मेरी प्रेग्नेंसी में कोई जटिलताएं नहीं है, इसलिए मेरा शरीर नॉर्मल तरीके से बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार है। मैंने पब्लिक हेल्थ में मास्टर डिग्री ली है और मुझे लगता है कि दवा या दर्द निवारण के अन्य तरीकों का इस्तेमाल बच्चे को हानि पहुंचा सकता है और मुझे नहीं लगता कि इनके इस्तेमाल से जन्म देने की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाती है। मैंने कई बर्थिंग क्लास अटेंड की थी, इसलिए जानती थी कि एपिड्यूरल सेहत के लिए अच्छा नहीं है। बेटी के जन्म के दौरान जब नर्स ने मुझे एपिड्यूरल देने की बात कही तो मैंने इनकार कर दिया, हालांकि दर्द सहना आसान नहीं था, लेकिन फिर भी मैं मेडिसिन के साइड इफेक्ट से बच्चे को बचाना चाहती थी। अस्पताल में ऐसा करना आसान नहीं था, मगर मैंने बिना किसी दवा और दर्द निवारक के बेटी को जन्म दिया उसी अस्पताल में जहां मेरा जन्म हुआ था।”
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बच्चे के जन्म के बाद दर्द तुरंत कम हो गया
डिलिवरी के बारे में कोलकाता की रहने वाली हाउसवाइफ तनिषा सेन का मानना है कि नॉर्मल डिलिवरी के जोखिम नहीं हैं। उन्होंने बताया, “मैंने नैचुरल बर्थ का विकल्प चुना नहीं था, लेकिन बस ये हो गया। दरअसल, मुझे अचानक दर्द हुआ और उस वक्त अस्पताल नहीं जा पाई और नजदीकी बर्थ सेंटर में गई। जहां कुछ मेरे अनुभव काम आए और प्रोफेशनल की मदद से साढ़े तीन घंटे में ही मेरे बच्चे का जन्म हो गया। यह देखकर मैं बहुत हैरत में थी, क्योंकि मेरी पिछली दोनों एपिड्यूरल प्रेग्नेंसी इससे ज्यादा दर्दनाक थी। मैंने महसूस किया कि पिछली प्रेग्नेंसी की तुलना में इस बार मेरा दर्द जल्दी कम हो गया और मैं बेहतर महसूस करने लगी, लेकिन उस दौरान जिस तरह का असहनीय दर्द होता है यदि मेरे पास एपिड्यूरल का विकल्प होता तो शायद मैं ले लेती, क्योंकि दर्द बर्दाशत करना मुश्किल होता है। यदि आप नैचुरल बर्थ कराना चाहती हैं तो आपको इसे लेकर प्रतिबद्ध होना पड़ेगा। नॉर्मल डिलिवरी में कोई जोखिम नहीं है।”
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दर्द के बावजूद दवा नहीं ली
दो बेटियों की मां आरती सिंह अहमदाबाद से हैं और जॉब करती हैं उन्होंने नॉर्मल डिलिवरी के जोखिम के बारे में अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया, “जब मैं प्रेग्नेंट हुई तो मैंने निश्चय किया कि मैं किसी तरह का एपिड्यूरल नहीं लूंगी और नॉर्मल तरीके से ही अपने बच्चे को जन्म दूंगी। पहली बेटी के जन्म के दौरान में 8 घंटे लेबर में रही और दूसरी बेटी के समय 3 घंटे। मुझे लगता है कि एपिड्यूरल लेने वालों की तुलना में मेरा लेबर टाइम कम था। हालांकि दूसरी प्रेग्नेंसी में दर्द बहुत तीव्र था और मुझे याद है कि मैं दर्द में चिल्लाकर डॉक्टरों से दवा देने को कह रही थी, मगर वह मुझे मेरी ही बात याद दिलाते रहें। वैसे अगर मुझे दोबारा लेबर से गुजरना पड़े तो भी मैं नैचुरल बर्थ ही चुनूंगी।”
जब तक आपकी प्रेग्नेंसी में किसी तरह की कॉम्प्लिकेशन नहीं है और आपको कोई स्वास्थ्य समस्याएं नहीं हैं तो नॉर्मल डिलिवरी में किसी तरह का जोखिम नहीं होता है। नॉर्मल डिलिवरी के जोखिम से जुड़ा फिर भी अगर आपको किसी तरह का कोई कंफ्यूजन है तो एक बार डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।