शिशु के जन्म से पहले महिला की बॉडी में डिलिवरी के लक्षण नजर आते हैं। इन लक्षणों के आधार पर लेबर के शुरू होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। आज हम इस आर्टिकल में इन्हीं लक्षणों के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
शिशु के जन्म से पहले महिला की बॉडी में डिलिवरी के लक्षण नजर आते हैं। इन लक्षणों के आधार पर लेबर के शुरू होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। आज हम इस आर्टिकल में इन्हीं लक्षणों के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।
डिलिवरी के चंद दिनों पहले ही शिशु पेल्विक से नीचे की तरफ आने लगता है। शिशु बाहर आने की उचित स्थिति में आ जाता है। इस दौरान दबाव का अहसास होने पर बार-बार बाथरूम जाना पड़ सकता है। इस वक्त शिशु का सिर ब्लैडर के ऊपर आ जाता है, जिससे यह दबाव बनता है।
गर्भाशय की ग्रीवा भी शिशु के जन्म के लिए खुद को तैयार करने लगती है। इस दौरान यह खुलना शुरू हो जाती है और डिलिवरी के कुछ हफ्तों में ऐसा होता है। इस स्थिति में आपका डॉक्टर घर पर ही साप्ताहिक रूप से इसकी जांच कर सकता है। हालांकि, यह संकेत हर महिला में अलग तरह से नजर आ सकता है। कई बार डाइलेशन धीमा या नहीं होता है, इस स्थिति में आपको निराश नहीं होना है।
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डिलिवरी से पहले क्रैंप्स और कमर का दर्द बढ़ जाता है। लेबर के नजदीक आते-आते इसकी तीव्रता और बढ़ जाती है। इस स्थिति में आपकी मसल्स और जोड़ों में खिंचाव शुरू हो जाता है।
गर्भाशय ग्रीवा के खुलने के अतिरिक्त यह पतली भी होती है। डिलिवरी के कुछ दिनों पहले ऐसा होता है। पतली गर्भाशय ग्रीवा के लिए खुलना काफी आसान होता है। हालांकि, इस लक्षण की आंकलन पेल्विक जांच के दौरान आपका डॉक्टर कर सकता है।
डिलिवरी का समय आते-आते महिलाएं काफी थक जाती हैं लेकिन, कुछ महिलाओं को लेबर से पहले अचानक बॉडी में एनर्जी के बढ़ने का अहसास होता है। लेबर से पहले उनके एक्साइटमेंट में भी इजाफा होता है। अक्सर इसे ‘नेस्टिंग’ के नाम से बुलाया जाता है। महिलाओं ने इस अहसास को अपने अनुभव के आधार पर शेयर किया है। इस संबंध में अभी अध्ययन की आवश्यकता है।
अक्सर महिलाओं को पेल्विक में दर्द और बाॅवेल मूवमेंट पर दबाव का अहसास होता है वहीं, कुछ महिलाओं को लेबर से पहले डायरिया या बाॅवेल मूवमेंट का लूज होने का अहसास भी होता है।
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लेबर के शुरू होने से पहले एमनीओटिक फ्लूड का स्राव शुरू हो जाता है। यह रंगहीन और बदबूदार नहीं होता है। कई बार यूरिन और इसमें अंतर कर पाना मुश्किल होता है लेकिन, यूरिन की तरह इस फ्लूड में स्मैल नहीं आती है। यदि एमनीओटिक फ्लूड के स्राव की समस्या हो रही है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई मामलों में यह खतरे का संकेत भी हो सकता है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान म्यूकस प्लग गर्भाशय ग्रीवा में इक्कट्ठा होता है। गर्भाशय ग्रीवा के खुलने की शुरुआत होने पर म्यूकस प्लग वजायना में डिस्चार्ज होने लगता है। यह रंगहीन, गुलाबी या हल्का लाल रंग का हो सकता है। म्यूकस प्लग के निकलने से लेबर एक से दो हफ्ते बाद शुरू हो सकता है।
इन बदलावों को डिलिवरी के लक्षण कहा जाता है। अगर ये लक्षण दिखाई देने लगे तो समझ जाइए कि बच्चे के जन्म का समय पास आ गया है। अगर किसी प्रकार की असहजता महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डिलिवरी के लक्षण तो हमने आपको बता दिए अब हम आपको प्रेग्नेंसी के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं जो हर महिला को पता होना चाहिए।
गर्भधारण के तकरीबन दो सप्ताह पहले स्तन में बदलाव महसूस होना सबसे शुरुआती लक्षणों में से एक है। ऐसे में ब्रेस्ट में भारीपन, दर्द या कसाव महसूस किया जा सकता है। ऐसा हॉर्मोन में हो रहे बदलाव की वजह से होता है। दरअसल प्रेग्नेंसी के दौरान हॉर्मोनल बदलाव मेलेनोसाइटस (melanocytes) पर असर डालती है। इसी कारण ब्रेस्ट में बदलाव होने के साथ-साथ निप्पल भी गहरा हो जाता है। वैसे कई महिलाओं को गर्भावस्था के पहले हफ्तों में ही स्तनों में बदलाव का अनुभव होने लगता है। कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण में ब्रेस्ट सॉफ्ट, भारीपन या फिर स्तन में झनझनाहट भी महसूस करती हैं।
मॉर्निग सिकनेस गर्भधारण करने के 2-4 सप्ताह के बाद शुरू होने लगती है। मॉर्निंग सिकनेस प्रेग्नेंसी के सामान्य लक्षणों में से एक है। दरअसल मॉर्निंग सिकनेस, मतली और उल्टी यह वास्तव में एक मिथ भी माना जा सकता है क्योंकि गर्भावस्था के शुरुआत से मतली या उल्टी दिन के किसी भी समय हो सकती है। कुछ महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस का कभी अनुभव नहीं भी होता है। जबकि कुछ गर्भवती महिलाओं को गंभीर मतली की समस्या होती है। इसकी सबसे विशिष्ट शुरुआत गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते से आठवें वें सप्ताह के बीच होती है। अधिकांश गर्भवती महिलाएं 13वें हफ्ते या 14वें सप्ताह के आसपास लक्षणों से राहत का अनुभव कर सकती हैं लेकिन, कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मतली की समस्या लगातार बनी रह सकती है।
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प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण में स्पॉटिंग भी हो सकती है। प्रेग्नेंट होने के पहले 3 महीने स्पॉटिंग (ब्लीडिंग) होना भी प्रेग्नेंसी के लक्षण होते हैं। कई बार महिला इसे पीरियड्स समझ लेती हैं। कई बार हल्की ब्लीडिंग एग फर्टिलाइज्ड होने के तकरीबन 6 से 12 दिनों बाद भी हो सकती है। अगर विजायनल ब्लीडिंग की समस्या ज्यादा हो रही है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण में बार-बार यूरिन आना सामान्य है। गर्भवती महिलाओं का मानना है कि यह सबसे ज्यादा परेशान करने वाले लक्षणों में से एक है बार-बार टॉयलेट जाने की परेशानी। बार-बार यूरिन की समस्या प्रेग्नेंसी के शुरुआत से डिलिवरी तक बनी रहती है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार बार-बार यूरिन आने की समस्या हॉर्मोनल बदलाव की वजह से होता है। हालांकि अगर इस दौरान अन्य लक्षण जैसे यूरिन के दौरान जलन महसूस होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें। क्योंकि हो सकता है की आप यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (UTI) से पीड़ित हों। अगर समय पर UTI का इलाज नहीं करवाया गया तो तो इंफेक्शन फैलने की संभावना बढ़ सकती है।
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प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण में कब्ज की समस्या भी हो सकती है। गर्भवती महिला पेट से जुड़ी परेशानी जैसे पेट में अकड़ या कब्ज की समस्या भी महसूस कर सकती हैं। ऐसा हॉर्मोन में हो रहे बदलाव के कारण हो सकता है।
हम उम्मीद करते हैं कि डिलिवरी के लक्षण पर आधारित यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इस आर्टिकल में हमने डिलिवरी के लक्षण के साथ ही प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण भी बताएं हैं। अगर आप अधिक जानकारी चाहते हैं तो इस बारे में डॉक्टर से बात करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान और उपचार प्रदान नहीं करते।
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