अगर आपको कफ की समस्या अधिक परेशान कर रही है तो ऐसे में घरेलू उपाय अपनाएं जा सकते हैं। आप खाने में ब्लैक पिपर का यूज कर सकते हैं ताकि कफ की समस्या से राहत मिल जाए। वहीं खाने में ऐसे फूड को शामिल करें जो आपकी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने का काम करें। एक बात ध्यान रखें कि बुखार में एंटीबायोटिक लेने की भूल न करें। बुखार वायरल (Viral) या फिर बैक्टीरिया (Bacteria), दोनों के ही कारणों से हो सकता है। ऐसे में बिना जांच के दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर फीवर वायरल है और ऐसे में एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन किया जा रहा है तो बुखार सही नहीं होगा और साथ ही शरीर को भी नुकसान पहुंत सकता है। बेहतर होगा कि पहले डॉक्टर से जांच कराएं और फिर ही दवा का सेवन करें।
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प्रेग्नेंसी में बुखार होने से बच्चे पर क्या पड़ता है प्रभाव? (Effects of fever in pregnancy on child)
- प्रेग्नेंसी में बुखार होने की वजह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट होने पर स्पाइन और ब्रेन संबंधित परेशानी हो सकती है। ऐसा प्रेग्नेंसी के पहले महीने में ही होता है। रिसर्च के अनुसार 33 में से 1 बच्चे में बर्थ डिफेक्ट (हार्ट, ब्रेन, फेस, आर्म्स और लेग्स) की समस्या होती है।
- एक रिसर्च के अनुसार, प्रेग्नेंसी में बुखार (Fever during pregnancy) होने से शिशुओं में ओरल क्लीफ (ऊपरी होंठ का नाक के संपर्क में आना) का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, एंटीपायरेटिक्स (बुखार को कम करने की दवा) का उपयोग इसके हानिकारक प्रभाव को कम कर सकता है। इस दवाई का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
- एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि की गई है कि गर्भावस्था के दौरान बुखार होने पर शिशु का विकास (Babies growth) प्रभावित होता है और ऑटिज्म की समस्या हो सकती है। ऑटिज्म के कारण बच्चे को बातचीत करने में समस्या होती है।
- सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक शोध में पाया गया कि जिन महिलाओं को शुरुआती गर्भावस्था के दौरान या उससे ठीक पहले सर्दी या फ्लू के साथ बुखार आता है, उनके नवजात शिशु में जन्म दोष की आंशका बढ़ जाती है।
प्रेग्नेंसी में बुखार से बचने के क्या हैं उपाय? (Tips to cure fever during pregnancy)
मीट, पॉश्चराइज्ड मिल्क, फ्रीज में रखे हुए खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। बल्कि प्रेग्नेंसी के दौरान पौष्टिक आहार (Healthy diet) और ठीक तरह से पके हुए भोजन का सेवन करना चाहिए।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:
गर्भावस्था के दौरान हे फीवर (Hay fever) के लिए उपचार क्या हैं?
हे फीवर प्रतिकूल वातावरण से होने वाला एलर्जिक रिएक्शन है। इसकी मुख्य वजह धूल, पालतू जानवर या दूषित वातावरण से होने वाली एलर्जी है। गर्भावस्था के दौरान इससे निजात पाने के लिए आप कुछ सावधानियां अपना सकती हैं, जैसे-
आप उस कारण का पता लगाएं, जिसकी वजह से आपको एलर्जी हो रही है। ऐसा करने से आप बढ़ते हुए हे फीवर को कम कर सकेंगी और इससे उपचार में भी मदद मिलेगी। आप कुछ दवाइयां ले सकती हैं, इसके लिए आप संबंधित डॉक्टर से संपर्क करें। इसके साथ ही दूषित वातावरण और पालतू जानवरों से भी दूरी बनाएं,क्योंकि ये भी हे फीवर के कारण हो सकते हैं।
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प्रेग्नेंसी के दौरान डेंगू बुखार के जोखिम क्या हैं? (Dengue during pregnancy)
डेंगू बुखार प्रेग्नेंट महिला को अपनी चपेट में ले सकता है। इस दौरान यह जोखिम भरा हो सकता है। डेंगू की वजह से इस दौरान प्री-एक्लेमप्सिया, प्री-टर्म लेबर, सी-सेक्शन का जोखिम और फेटल ट्रांसमिशन जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। इसलिए, इससे जुड़ा सटीक डॉक्टरी उपचार बेहद जरूरी है।
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अपनाएं बुखार के घरेलू उपचार (Home remedies)
वैसे तो सामान्य तौर पर या फिर प्रेग्नेंसी में बुखार (Fever during pregnancy) आने पर बिना डॉक्टर की सलाह और जांच के दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन आप बुखार में कुछ घरेलू उपाय का ट्रीटमेंट जरूर कर सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप गरम पानी बेसिल लीव्स डालकर सेवन करें। तेज बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टियां जरूर इस्तेमाल करें। आप सिर के साथ ही हाथ और पैरों को भी ठंडी पट्टियों से पोंछ सकते हैं। ऐसा करने से शरीर का तापमान कम होगा।
अगर आपके पास विनेगर हो तो आप उसे पानी में डालकर पट्टियां कर सकते हैं। सिरके का इस्तेमाल करने से शरीर का बढ़ा तापमान कम हो जाता है। एक बात का ध्यान रखें कि डॉक्टर से जांच कराने के बाद ही आप ये घरेलू उपाय अपनाएं। बिना डॉक्टर के उपाय के सिर्फ घरेलू उपचार करने से समस्या बढ़ भी सकती है। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर के संपर्क में रहे। अगर आपको डॉक्टर ने पेरासिटामोल (Paracetamol) का सेवन करने की सलाह दी है तो समय पर दवाओं का सेवन जरूर करें। अगर आप डॉक्टर की बताई गई जरूरी बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको बुखार की समस्या से राहत मिल जाएगी।
प्रेग्नेंसी में बुखार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि प्रेग्नेंसी में बुखार (Fever during pregnancy) आने के कारण बच्चे में स्पाइन और ब्रेन से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बॉडी टेम्प्रेचर बढ़ने पर या इसके लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें। इस दौरान डॉक्टर फॉलिक एसिड लेने की सलाह देते हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही या प्रेग्नेंसी प्लानिंग के वक्त से ही आहार में फॉलिक एसिड की मात्रा बढ़ा दें। फॉलिक एसिड हरी सब्जियों और साग में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है।
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