पहली बार बनने वाली मां कई बातों से अनजान होती है जो गर्भावस्था के दौरान जानना जरूरी होता है। एक्सपर्ट्स का मानना है की गर्भावस्था में सोने का तरीका भी पहली बार मां बनी महिला को जानना जरूरी होता है क्योंकि इसका सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ सकता है। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं गर्भावस्था में सोने का तरीका क्या है?
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गर्भावस्था में सोते समय रखें इस बात का खास ध्यान
आपने गर्भावस्था में सोने का तरीका तो जान लिया। इसके अलावा आपको यह भी जानना जरूरी है कि प्रेग्नेंसी के दौरान सोते समय क्या नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंट महिला को पीठ के बल सोने से बचना चाहिए। हालांकि, गर्भावस्था के शुरुआत में आप पीठ के बल लेट सकती हैं, लेकिन लंबे समय तक ऐसा करना सही नहीं है। पीठ के बल ज्यादा देर तक लेटने से गर्भाशय का दबाव पीठ की मांसपेशियों, रीढ़ की हड्डियों और रक्त नलियों पर पड़ सकता है। इसकी वजह से शिशु तक रक्त का संचार सही ढंग से नहीं हो पाता है। साथ ही इससे मांसपेशियों में दर्द व सूजन आ सकती है और ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। इसे अलावा स्लिप एप्निया (sleep apnea) जैसी समस्या का सामना भी गर्भवती महिला को करना पड़ सकता है। इसलिए, गर्भावस्था में सोने का तरीका सही होना जरूरी है। गर्भावस्था में सोने का तरीका आपके होने वाले शिशु के विकास को प्रभावित करता है।
कहा जाता है कि किसी भी महिला के प्रेग्नेंसी के पहले तीन और बाद तीन महीने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। प्रेग्नेंसी की शुरूआत में शरीर में बहुत से परिवर्तन होते हैं, जिनके लिए महिला पूरी तरह से तैयार भी नहीं होती है। एक से दो महीने बाद तक प्रेग्नेंट महिला के लिए चीजें नॉर्मल होने लगती है। वहीं प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में जो समस्या मुख्य रूप से आती है, वो है ठीक से सो न पाना। जब पेट अधिक बढ़ जाता है तो लेटने में बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं में एक समस्या है महिला को किस तरह से सोना चाहिए ? वैसे तो महिला को करवट लेना सोना आरामदायक लग सकता है लेकिन तकिए का उपयोग महिला को अधिक राहत दिला सकता है। बच्चे के आकार के बढ़ने के साथ ही महिला का शरीर भी बढ़ने लगता है। बढ़े हुए वजन के कारण आराम से लेट पाना एक चुनौती बन जाता है। बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए मां का पर्याप्त मात्रा में नींद लेना बहुत जरूरी है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को आठ से नौ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। वहीं दिन में थकावट का एहसास होने पर महिलाओं को एक से दो घंटे आराम करना चाहिए। अच्छी नींद लेने से एम्ब्रियो को ब्लड और ऑक्सीजन की अच्छी सप्लाई होती है।
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नींद में बांधा बनते हैं ये कारण
प्रेग्नेंसी के फस्ट ट्राइमेस्ट में महिलाओं का पेट भले ही बड़ा न होता हो लेकिन शरीर में सुस्ती का अनुभव होने के कारण या फिर शरीर में हो रहे हार्मोनल चेंजेस की वजह से महिलाओं को नींद नहीं आती है। वहीं कुछ महिलाओं को शारीरिक दर्द या पेट में दर्द के कारण भी नींद नहीं आती है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन के लेवल में बदलाव होता है। वहीं उल्टी या मतली का एहसास भी महिलाओं की नींद में समस्या पैदा कर सकता है।