दुनिया भर में हर साल लगभग 22 लाख से भी अधिक असुरक्षित गर्भपात यानी अबॉर्शन के मामले देखें जाते हैं। जो वैश्विक स्तर पर मातृ मृत्यु दर का एक सबसे बड़ा मुद्दा भी है। सुरक्षित गर्भपात के कई विकल्प मौजूदा हैं, लेकिन अनुभवों की कमी, आर्थिक तंगी और शिक्षा के अभाव के कारण आज भी कई इलाकों में महिलाओं के पास सुरक्षित गर्भपात का कोई आसान विकल्प मौजूद नहीं हो पाता है। भारत की बात करें, तो सामान्य तौर पर देश के कम आय वाले इलाकों में असुरक्षित गर्भपात के मामले सबसे अधिक देखे जाते हैं। भारत के अलावा अन्य देशों में लगभग यही हालात हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, आने वाले साल 2035 तक देश भर में कुशल स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों-दाइयों, नर्सों और चिकित्सकों की वैश्विक कमी 1 करोड़ 29 लाख तक हो जाएगी।
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