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अबॉर्शन से पहले, जानें सुरक्षित गर्भपात के लिए क्या कहता है भारतीय संविधान

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/03/2021

    अबॉर्शन से पहले, जानें सुरक्षित गर्भपात के लिए क्या कहता है भारतीय संविधान

    दुनिया भर में हर साल लगभग 22 लाख से भी अधिक असुरक्षित गर्भपात यानी अबॉर्शन के मामले देखें जाते हैं। जो वैश्विक स्तर पर मातृ मृत्यु दर का एक सबसे बड़ा मुद्दा भी है। सुरक्षित गर्भपात के कई विकल्प मौजूदा हैं, लेकिन अनुभवों की कमी, आर्थिक तंगी और शिक्षा के अभाव के कारण आज भी कई इलाकों में महिलाओं के पास सुरक्षित गर्भपात का कोई आसान विकल्प मौजूद नहीं हो पाता है। भारत की बात करें, तो सामान्य तौर पर देश के कम आय वाले इलाकों में असुरक्षित गर्भपात के मामले सबसे अधिक देखे जाते हैं। भारत के अलावा अन्य देशों में लगभग यही हालात हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, आने वाले साल 2035 तक देश भर में कुशल स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों-दाइयों, नर्सों और चिकित्सकों की वैश्विक कमी 1 करोड़ 29 लाख तक हो जाएगी।

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    और पढ़ें : Termination Of Pregnancy : टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (अबॉर्शन) क्या है?

    सुरक्षित गर्भपात पर भारत के कानून (India’s laws on safe abortion)

    1960 में भारत में गर्भपात के मुद्दे पर कानून बनाया गया जिसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 में लागू किया गया और 2002 और 2003 में 1971 के मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में संशोधन किया गया। जिसमें गर्भपात सेवाओं के जिला स्तर पर संशोधन, असुरक्षित गर्भपात के प्रावधान को रोकने के लिए दंडात्मक उपाय, जल्दी गर्भपात प्रदान करने के लिए सुविधाओं के लिए भौतिक आवश्यकताओं के लिए उचित मेडिकल किट और चिकित्सा गर्भपात की मंजूरी सहित सभी सुरक्षित सेवाओं का विस्तार करने का लक्ष्य तय किया गया है।

    मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 की खास बातें (Highlights of the Medical Termination of Pregnancy Act 1971)

    एमटीपी अधिनियम में किए गए संसोधन के मुताबिक लागू किए गए सुरक्षित गर्भपात के नियमों के तहत कोई भी महिला अपनी अनचाही गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए गर्भपात की मांग कर सकती है। इसके लिए उस महिला पर किसी भी तरह की कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती है। बशर्ते हैं कि गर्भपात अच्छी शर्तों के तहत विश्वास में किया गया हो। भारत में पारित सुरक्षित गर्भपात के लिए अधिनियम के मुताबिक 20 सप्ताह तक के अनचाहे गर्भ को समाप्त करने के लिए गर्भपात का सहारा लिया जा सकता है। हालांकि, इसमें भी कुछ शर्तें हैं जिन्हें महिला द्वारा पूरा किया जाना जरूरी होता है। अगर महिला का गर्भ 12 सप्ताह से कम की अवधि का है तो वो बिना किसी संकोच के सुरक्षित गर्भपात का सहारा ले सकती है, लेकिन अगर गर्भ इससे अधिक अवधि है कि तो महिला को सुरक्षित गर्भपात के लिए कम से कम दो डॉक्टर की अनुमति लेनी आनिवार्य मानी जाती है।

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    किन शर्तों पर की जाती हैं 20 सप्ताह से अधिक अवधि की प्रेग्नेंसी का अबॉर्शन

    अगर कोई महिला अपने 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ के समाप्त कराना चाहती है, तो उसके लिए डॉक्टर निम्नलिखित बातों का मूल्याकंन करते हैं और इस बारे में महिला से भी पूछताछ कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः

    • मेडिकल कंडीशनः प्रेग्नेंसी के कारण महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य जोखिम भरा बन गया हो
    • गर्भनिरोधक साधनों की विफलताः गर्भनिरोधक दवाओं के सेवन के बाद भी गर्भ ठहर गया हो
    • मानवीय दुर्व्यवहारः महिला की गर्भावस्था का परिणाम यौन अपराध या आमानवीय व्यवहार से जुड़ा हुआ हो
    • सामाजिक और आर्थिक स्थितिः गर्भवती महिला के आसपास की सामाजिक स्थिति या आर्थिक स्थिति के कारण महिला की प्रेग्नेंसी उसके जान के लिए जोखिम भरी हो
    • आनुवांशिक स्थितिः गर्भ में पल रहा बच्चा किसी तरह की विकृति या गंभीर बीमारी से पीड़ित हो

    एक बात का ध्यान रखें कि सुरक्षित गर्भपात का कानून महिला अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर भविष्य के लिए बनाया गया है। इसलिए गर्भपात के लिए हमेशा अनुभवी और भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों औरअस्पतालों में ही अबॉर्शन कराना चाहिए।

    एक सुरक्षित गर्भपात के लिए मैं किस तरह के विकल्पों का चयन कर सकती हूं? (What types of options can I choose for a safe abortion?)

    सुरक्षित गर्भपात के लिए मौजूदा समय में कई तरह के विकल्प मौजूद हैं। जिनकी प्रक्रिया का चयन महिला खुद से कर सकती हैं। हालांकि, उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प क्या हो सकता है इसके बारे में एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए।

    शल्य चिकित्सा विधि यानी सर्जरी से सुरक्षित गर्भपात (surgery for the safe abortion)

    अबॉर्शन के लिए सर्जरी के इस प्रक्रिया को आमतौर पर ‘डी एन्ड सी’ यानी डाइलेशन और क्यूरेटेज भी कहा जाता है कानून (एमटीपीटी एक्ट) के अनुसार किसी डिग्री धारक प्रसूति विशेषज्ञ या अनुभवी एम.बी.एस. डॉक्टर के द्वारा ही डाइलेशन और क्यूरेटेज की प्रक्रिया से अबॉर्शन कराना चाहिए। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के इस प्रक्रिया के दौरान विशेषज्ञ पतली छड़ों का इस्तेमाल करते हैं। जिससे गर्भाशय के मुख को फैलाया जाता है। इसके बाद सक्शन मशीन की सहायता से गर्भ के अंदर मौजूद भ्रूण को निकाल लिया जाता है।

    इसके अलावा इसमें एक दूसरा तरीका भी अपनाया जाता है। जिसे ज्यादा बेहतर माना जाता है। इस दूसरी प्रक्रिया में एक सिरिंज का इस्तेमाल किया जाता है जिसे एम.वी.ए. कहते हैं। इस प्रक्रिया में प्लास्टिक कैनुला के इस्तेमाल से गर्भ के मुख को फैलाया जाता है और फिर सिरिंज को गर्भाशय में डालकर गर्भ में मौजूद भ्रूण को बाहर खींच लिया जाता है। विशेषज्ञों की मानें, तो शहरी आबादी इस प्रक्रिया का विकल्प ज्यादा चुनती हैं। हालांकि, अब ग्रामीण इलाकों में भी इस प्रक्रिया को लोग अपना रहे हैं।

    दवाओं के इस्तेमाल से सुरक्षित गर्भपात (Safe abortion using drugs)

    सेफ अबॉर्शन के लिए मार्केट में अलग-अलग ब्रांड की दवाइयां मौजूद हैं। इनमें कुछ आयुर्वेदिक है और कुछ एलोपैथिक दवाएं भी हैं। हालांकि, आपके लिए क्या बेहतर विकल्प हो सकता है इसके बारे में अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। ध्यान रखें कि दवाएं लगभग 7 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने के लिए ही उपयुक्त मानी जाती हैं।

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    मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के लिए वैक्यूम ऐस्परेशन

    वैक्यूम ऐस्परेशन प्रक्रिया में आमतौर पर जनरल एनेस्थिसिया दिया जाता है। इसके बाद सक्शन ट्यूब का इस्तेमाल करके महिला के गर्भाशय से भ्रूण को बाहर निकाल देते हैं। जिसमें 10 मिनट से भी कम समय लगता है। यह प्रक्रिया 14 सप्ताह तक के गर्भ के लिए सुरक्षित मानी जाती है। हालांकि, इस प्रक्रिया के बाद आपको कुछ समय तक बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।

    डॉक्टर्स की मानें, तो अभी भी जल्दी गर्भपात के लिए डी एंड सी की प्रक्रिया सबसे ज्यादा अपनाई जाती है। उनके मुताबिक अबॉर्शन कराने के लिए आने वाली लगभग एक चौथाई से भी कम की संख्या में महिलाएं वैक्यूम ऐस्परेशन की प्रक्रिया का चुनाव करती हैं।

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    अपने इस अधिकार को भी जानें महिलाएं

    अगर कोई महिला वयस्क हैं, तो गर्भपात के फैसले के लिए उसे अपने परिवार या पति की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है। एमटीपी अधिनियम वयस्क महिलाओं को अपने लिए निर्णय लेने की मंजूरी देता है। इसके साथ ही, महिला का गर्भपात भी कानूनी तौर पर गोपनीय रखा जाता है।

    सुरक्षित गर्भपात के लिए सेवाएं प्रदान करने के लिए और देश में असुरक्षित गर्भपातों में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन द्वारा देश के सभी राज्‍यों को सहायता प्रदान की जा रही है, जिसमें निम्‍नलिखित शामिल हैंः

    • चिकित्सों को उच्च स्तर की ट्रेनिंग, जरूरी मेडिकल किट सरकारी अस्पतालों में मुहैया कराना।
    • सुरक्षित गर्भपात त‍कनीकों के बारे में महिला के लिए गोपनीय काउंसलिंग की सुविधा।

    अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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