प्रेग्नेंसी में कैंसर होना बेहद चिंताजनक और खतरनाक स्थिति है। ऐसा ही वाकया हुआ था इंग्लैंड के गेट्सहेड शहर में रहने वाली 38 वर्षीय केट पुरदे के साथ। 8 साल पहले केट जब दूसरी बार गर्भवती हुईं, तो उन्हें पता चला की उन्हें कैंसर भी है। गर्भवती केट को डॉक्टर्स ने बताया की उन्हें ब्लड कैंसर है। हालांकि, ये किसी चमत्कार से कम नहीं है कि प्रेग्नेंसी में कैंसर होने के बावजूद वो और उनका बच्चा आज पूरी तरह से स्वस्थ और खुशहाल हैं। हालांकि, हर बार ऐसा नहीं होता है, क्योंकि डॉक्टर्स की मानें तो प्रेग्नेंसी में कैंसर होना मां और बेटे के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
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प्रेग्नेंसी में कैंसर होना कितना सामान्य है?
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक इंर्फोमेशन की रिसर्च के मुताबिक प्रति 1,000 महिला में से 1 महिला को प्रेग्नेंसी में कैंसर होने की संभावना होती है। अगर कैंसर के लक्षणों की पहचान करने में देरी हो, तो यह महिला के साथ-साथ उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है। इसके अलावा, ऐसी महिलाएं जो गर्भवती होने के लिए 30 से 35 साल की उम्र का चुनाव करती हैं, उनमें प्रेग्नेंसी में कैंसर होने का खतरा सबसे अधिक देखा जा सकता है। साथ ही, प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा सबसे अधिक देखा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक, प्रत्येक 3,000 महिला में से 1 महिला प्रेग्रेंसी में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या का निदान कराती है।
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प्रेग्नेंसी में कैंसर के अलग-अलग प्रकारों को समझें
प्रेग्नेंसी में कैंसर के अलग-अलग प्रकारों में स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, लिंफोमा और मेलेनोमा शामिल हैं। इस तरह के कैंसर गर्भावस्था में होने वाले सामान्य कैंसर माने जाते हैं। हालांकि, प्रेग्नेंसी में कैंसर के ये सभी प्रकार गर्भ में पल रहे बच्चे को बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन मां की सेहत के लिए ये काफी जोखिम भरे होते हैं। इसके अलावा कैंसर के उपचार के दौरान की जाने वाली प्रक्रियाएं और चरण भी स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरी और साइड इफेक्ट जैसे प्रभाव भी दिखा सकती हैं। यहां हम आपको प्रेग्नेंसी में कैंसर के अलग-अलग प्रकारों को समझने के लिए उनके लक्षण, जोखिम और बचाव के तरीकों के बारे में बता रहे हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले कुछ सामान्य कैंसर में शामिल हैं:
इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान लंग कैंसर, बोन कैंसर और ब्रेन कैंसर के मामले सबसे दुर्लभ देखे जाते हैं।
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कैसी स्वास्थ्य स्थितियां प्रेग्नेंसी में कैंसर की स्थिति के लिए जोखिम भरी हो सकती हैं?
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सामान्य तौर पर देखा जाए, तो एक गर्भवती महिला में गर्भावस्था के दौरान कई सामान्य शारीरिक और मानसिक समस्याएं देखी जाती है, जिनकी वजह से प्रग्नेंसी में कैंसर होने के लक्षणों को पहचानने में अक्सर देरी हो सकती है, जिनमें शामिल हैंः
प्रेग्नेंसी में कैंसर का स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव पड़ सकता है?
![प्रेग्नेंसी में कैंसर](https://media3.giphy.com/media/sCqnpiUFN228E/200.webp?cid=790b76110faa4333c4331c868e3519d69052c7a2e6f1d5cc&rid=200.webp)
अगर समय रहते प्रेग्नेंसी में कैंसर के लक्षणों को पहचानने के साथ उसका उपचार न किया जाए, तो यह जीवन के लिए जोखिम भरा हो सकता है। हालांकि, अगर समय रहते इसकी पहचान की जाए, तो डॉक्टर इसके प्रभाव से गर्भ में पल रहे भ्रूण को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं और समय रहते गर्भवती महिला का भी उपचार भी कर सकते हैं। गर्भावस्था में कैंसर के लक्षणों को सुनिश्चित करने के लिए आपको एक ऑन्कोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए। ऑन्कोलॉजिस्ट कैंसर का इलाज करने वाले विशेषज्ञ होते हैं।
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प्रेग्नेंसी में कैंसर का भ्रूण पर कैसा प्रभाव पड़ सकता है?
![भ्रूण](https://cdn.helloswasthya.com/wp-content/uploads/2020/02/fetus-300x169.jpg)
आमतौर पर माना जाता है कि प्रेग्नेंसी में कैंसर मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को कम ही नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का एक वर्ग कहता है कि गर्भावस्था में कैंसर किस तरह भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता हैं इसके बारे में अभी भी कोई सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन कुछ प्रकार के कैंसर गर्भानाल के जरिए मां से बच्चे में फैल सकते हैं। इसके अलावा मां के प्लेसेंटा से भ्रूण तक फैलने वाले कैंसर में मेलेनोमा या ल्यूकेमिया जैसे कैंसर के प्रकारों के मामले भी बहुत ही कम पाए देखे जाते हैं। हालांकि, अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर है, तो डॉक्टर बच्चे के जन्म के पहले या बच्चे के जन्म के बाद भी इसके उपचार की सलाह दे सकते हैं। आमतौर पर महिला को कैंसर का उपचार कब कराना चाहिए, इस बात की पुष्टि डॉक्टर गर्भवती महिला के लक्षणों और स्वास्थ्य स्थितियों के अनुसार ही तय करते हैं।
प्रेग्नेंसी में कैंसर और ब्रेस्टफीडिंग पर असर
प्रेग्नेंसी में कैंसर होने पर बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना सुरक्षित माना जाता है। मां का दूध बच्चे के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होता है। कैंसर सेल्स मां के दूध में नहीं आते हैं। हालांकि, कैंसर के उपचार की प्रक्रिया जैसे कीमोथेरिपी या अन्य दवाओं का इस्तेमाल ब्रेस्टफीडिंग की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। इसलिए आपके डॉक्टर आपको सलाह दे सकते हैं कि कैंसर का उपचार कराने के दौरान बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग न कराएं।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में होता है कैंसर का सबसे ज्यादा जोखिम
![प्रेग्नेंसी में कैंसर](https://media3.giphy.com/media/kvKSbXJfQKOY0/200.webp?cid=790b761111a54798fa3ab764c48f33cdbc71e32400191fb8&rid=200.webp)
अगर कैंसर के सेल्स बहुत ही धीमी गति से महिला को प्रभावित करने वाले होते हैं, तो डॉक्टर कैंसर के सेल्स को कैंसर के उपचार की मदद से धीमा कर सकते हैं और प्रसव के बाद कैंसर के उपचार से जुड़ी प्रक्रियाओं पर जोर दे सकते हैं। हालांकि, कुछ कैंसर उपचार गर्भ में बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान कैंसर के उपचार के साइड इफेक्ट्स का जोखिम अधिक होता है। क्योंकि पहली तिमाही के दौरान, मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के अंगों और शरीर की संरचनाएं तेजी से विकसित होती रहती हैं।
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प्रेग्नेंसी में कैंसर का निदान और उपचार कैसे किया जाता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर के निदान और उपचार की प्रक्रिया अब काफी सुरक्षित मानी जाती है। अब ऐसी स्थितियां बहुत ही कम देखी जाती हैं, जब प्रेग्नेंसी में कैंसर के कारण अबॉर्शन कराने का फैसला लिया जाता हो। गर्भवती महिलाएं अपने चिकित्सक की सलाह और अपनी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान या प्रसव के बाद कैंसर के उपचार के विकल्प को चुन सकती हैं।
हालांकि, गर्भवती महिलाओं और सामान्य महिलाओं में कैंसर उपचार की प्रक्रिया और विकल्प एक समान ही हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं का उपचार कब और कैसे किया जा सकता है ये स्थितियों पर भी निर्भर करता है। प्रेग्नेंसी में कैंसर के उपचार के विकल्प कई कारकों पर निर्भर कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कैंसर का प्रकार
- कैंसर शरीर के किस हिस्से या अंग में है
- कैंसर की स्टेज
- गर्भावस्था का समय यानी महिला कितने सप्ताह की गर्भवती है
- अन्य स्वास्थ्य स्थितियां
प्रेग्नेंसी में कैंसर के निदान के विकल्प
प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर के निदान के लिए निम्न विकल्प शामिल हैंः
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प्रेग्नेंसी में कैंसर के उपचार के विकल्प
प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर के उपचार के लिए निम्न विकल्प शामिल हैंः
सर्जरी
सर्जरी की प्रक्रिया प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर का उपचार करने के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है। आमतौर पर यह मां और बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित और सफल उपचार के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, गर्भावस्था में कैंसर के उपचार के लिए सर्जरी का प्रकार कैसा होगा यह कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर में सर्जरी के उपचार की मदद से कैंसर के ट्यूमर को हटाया जाता है।
रेडिएशन थेरिपी
रेडिएशन की प्रक्रिया से गर्भवती महिला के शरीर में बन रही कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है। इसके लिए हाई एनर्जी एक्स-रे का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, रेडिएशन की प्रक्रिया के दौरान गर्भ में पल रहे भ्रूण को नुकसान पहुंचने का भी खतरा बना होता है। अगर प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान कोई महिला कैंसर का उपचार कराना चाहती है, तो रेडिएशन का विकल्प चुनने से पहले उसे अपने चिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिए।
कीमोथेरिपी और अन्य दवाएं
कीमोथेरिपी की प्रक्रिया के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में कैंसर के सेल्स को खत्म करने के लिए कई केमिकल सब्सटेंस का इस्तेमाल किया जाता है। कीमोथेरिपी और अन्य एंटीकैंसर दवाओं का इस्तेमाल करना भी भ्रूण के लिए जोखिम का कारण बन सकते हैं। इसके कारण बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से असक्षम हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के किस हफ्ते में कैंसर का उपचार कराना सबसे सुरक्षित विकल्प होता है?
प्रेग्रेंसी की पहली तिमाही यानी पहले 12 हफ्ते से 14 हफ्ते के दौरान महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण की शारीरिक संरचानओं का विकास सबसे तेजी से होता है। ऐसे में अधिकांश डॉक्टर इस बात पर अपनी सहमती देते हैं कि प्रेग्रेंसी में कैंसर के उपचार के लिए रेडिएशन या कीमोथेरिपी की प्रक्रिया पहली तिमाही के बाद ही दी जानी चाहिए। इसके अलावा अगर प्रसव का समय नजदीक हो, तब भी गर्भावस्था में कैंसर के उपचार की प्रक्रिया नहीं शुरू करनी चाहिए। इसलिए अगर किसी महिला को प्रेग्रेंसी के दौरान कैंसर है, तो इसका उपचार कराने के लिए वो गर्भावस्था की पहली तिमाही के बाद या प्रसव के बाद कैंसर के उपचार की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
इसके अलावा उपचार से पहले निम्न स्थितियों का भी ध्यान रखा जाता हैः
- गर्भावस्था का चरण
- कैंसर का प्रकार, स्थान, आकार और कैंसर का चरण
- कैंसर के उपचार की प्रक्रिया पर महिला और उसके परिवार की इच्छा या सलाह
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