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पहली तिमाही के दौरान प्रेग्नेंसी डायट प्लान में सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व में फोलिक एसिड, आयरन और विटामिन बी 6 जरूरी होता है।
- फोलिक एसिड बच्चे को न्यूरल ट्यूब डिसऑर्डर जैसे कि स्पाइना बिफिडा (spina bifida) और अन्य जन्म के विकारों जैसे कि क्लेफ्ट पैलेट (cleft palate) से बचाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी डायट प्लान में फोलिक एसिड को जोड़ें।
- स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए आयरन आवश्यक होता है। ये आपके शरीर के चारों ओर ऑक्सिजन ले जाने का काम करता है। पर्याप्त आयरन न होने से आपको थका हुआ महसूस हो सकता है इसलिए प्रेग्नेंसी डायट प्लान में आयरन की मात्रा ठीक ढ़ंग से लें। आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया भारत में आम है इसलिए यह पोषक तत्व पूरे गर्भावस्था में महत्वपूर्ण है।
- मॉर्निंग सिकनेस के कारण आपको बेचैनी लग सकती है। साथ ही ज्यादा खाने का मन भी नहीं करेगा। विटामिन बी 6 मतली को कम करने में मदद कर सकता है। प्रेग्नेंसी डायट प्लान में विटामिन बी 6 का सेवल करें ये आपको प्रेग्नेंसी की सबसे सामान्य परेशानी से बचाता है। एक साथ ज्यादा खाना न खाएं। हर कुछ घंटे में थोड़ा बहुत खाने की कोशिश करें। न तो ज्यादा देर तक खुद को भूखा रखें और न ही एक साथ ज्यादा खाना खाएं। इसके अलावा स्पाइसी और फैटी फूड को एवॉइड करें। इससे सीने में जलन और पेट में तकलीफ की शिकायत हो सकती है।
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इन मेडिकल कंडिशन में रखें ध्यान (Keep in mind these medical conditions)
अगर आपको पहले से किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है तो प्रेग्नेंसी डायट प्लान करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपको किसी चीज से एलर्जी तो नहीं है। अगर आपको डायबिटीज की समस्या है तो आपको पहले से निश्चित करना होगा कि कौन सा फूड अवॉयड करना है। हाइड्रेटेड रहने के लिए दिन में करीब आठ से 12 गिलास पानी जरूर पिएं।
आपको कुछ बातें ध्यान रखने की जरूरत है (Take care of these things)
प्रेग्नेंसी डायट प्लान में फल और सब्जियों को शामिल करते वक्त इस बात ध्यान रखें कि आजकल सभी सीजन में लगभग सभी सब्जियां और फल मिल जाते हैं। आपको ये सोचने कि जरूरत नहीं है कि इस सीजन में फलां चीज नहीं मिलेगी। वैसे भी कहा जाता है कि मौसमी फल या सब्जियां शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। अगर कुछ नहीं भी मिल रहा है तो उसकी जगह सीजन फल या सब्जियों को स्थान दिया जा सकता है। इससे आपको समान न्यूट्रिएंट्स ही मिलेंगे। कई बार सिंगल फूड से ही आपको कई प्रकार का पोषण मिल जाएगा। उदाहरण के लिए दाल में अच्छी मात्रा में फॉलिक एसिड, ओमेगा 3 फैटी एसिड और आयरन की अच्छी मात्रा पाई जाता है। जो लोग वेजीटेरियन है, उनके लिए ये अच्छा स्त्रोत है। चाहे तो पहली तिमाही के लिए एक प्रकार का फूड, वहीं दूसरी तिमाही के लिए अलग प्रकार का फूड अपना सकती हैं। इसके लिए आप डायटीशियन की मदद ले सकती हैं।
प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में डायट प्लान क्या होना चाहिए, ये तो आपने जान लिया। आपको इस बारे में भी जानकारी होनी चाहिए कि प्रेग्नेंसी के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान आपके ऐसे फूड बिल्कुल नहीं खाने चाहिए जिनसे आपको एलर्जी या किसी प्रकार की दिक्कत महसूस होती हो। साथ ही प्रेग्नेंसी में मछली का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। मछली में मरकरी पाया जाता है जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। साथ ही पैक्ड फूड को पूरी तरह से न कह दें तो बेहतर होगा। प्रेग्नेंसी के दौरान घर का बना पौष्टिक आहार खाएं। बाहरी फूड खाना आपके हाजमे के लिए भी ठीक नहीं है। वहीं मैदे से बने आइटम्स न ही खाएं तो बेहतर होगा। महिलाओं को प्रेग्नेंसी में कब्ज की समस्या का सामना भी करना पड़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि फाइबर युक्त आहार को भी खाने में शामिल करें।
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प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान पोषण का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। यहां बताई गई टिप्स को फॉलो करके आप एक बेहतर प्रेग्नेंसी डायट प्लान कर सकते हैं। फिर भी कोई डायट अपनाने से पहले डायटीशियन से संपर्क करें। उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में प्रेग्नेंसी डायट प्लान से जुड़ी जानकारी दी गई है। इस लेख से जुड़ा आपका कोई प्रश्न है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।