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सीटी स्कैन एक कंप्यूटरिकृत स्कैन है जिसे कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (computerized tomography scan) कहते हैं। इस स्कैन में कंप्यूटर और एक्स-रे मशीन द्वारा ली गई छवियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन छवियों के माध्यम से क्रॉस सेक्शनल तस्वीरें बनती हैं, जो शरीर में आई गड़बड़ियों को आसानी से समझने में मदद करती हैं। यह स्कैन सॉफ्ट टिशू, रक्त वाहिकाओं और हड्डियों समेत शरीर के कई अंगों पर इस्तेमाल किया जाता है।
इस स्कैन के माध्यम से शरीर में किसी जगह पर लगी चोट, नुकसान या विकृति का पता लगाया जाता है। आपका डॉक्टर आपके सीटी स्कैन की सलाह दे सकता है जब –
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प्रेग्नेंसी के दौरान सीटी स्कैन सुरक्षित नहीं माना जाता है। अगर आप प्रेग्नेंट हैं और किसी वजह से सीटी स्कैन होना है तो डॉक्टर को जरूर बताएं। वैसे तो सीटी स्कैन की रेडिएशन का बच्चे पर प्रभाव नहीं पड़ता पर एहतियातन डॉक्टर सीटी स्कैन की जगह अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जैसे टेस्ट करने की सलाह देता है। इससे किसी भी तरह की रेडिएशन बच्चे तक नहीं पहुंचती। रिपोर्ट्स के मुताबिक कम रेडिएशन के साथ सीटी स्कैन का मनुष्य पर कोई प्रभाव अबतक नहीं पाया गया है।
हां, यह जरूर है कि सीटी स्कैन के दौरान शरीर पर पड़ने वाली तेज रोशनी से शरीर में हल्की सी जलन, मुंह में किसी धातु तरह का स्वाद और शरीर गर्म होने जैसे अहसास होते हैं, जो कुछ समय बाद अपने आप चले जाते हैं।
सीटी स्कैन के कुछ खतरे भी होते हैं। सीटी स्कैन से निकली कुछ रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा हो सकता है। हालांकि, कुछ ही स्कैन में इतना रेडिएशन नहीं होता कि आपको कैंसर हो। हालांकि, बार-बार लगातार सीटी स्कैन और एक्स-रे होने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। खासतौर पर सीने और पेट का एक्स-रे और स्कैन कराने वाले बच्चों में इसका खतरा ज्यादा होता है।
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टेस्ट के पहले कुछ खास तरह की डाई का शरीर का इस्तेमाल किया जाता है जिसे कॉन्ट्रास्ट (Contrast) भी कहते हैं। इसका इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, जिससे एक्स-रे या स्कैन के दौरान वो हिस्सा ठीक तरह नजर आए।
अगर आपको इस डाई से पहले कभी रिएक्शन हुआ है, तो अपने डॉक्टर को यह बात जरूर बताएं। ऐसे में डॉक्टर रिएक्शन से बचने के लिए कुछ दवाईयां दे सकता है।
अगर कॉन्ट्रास्ट पीने के लिए दिया गया है तो अगले 4 से घंटे तक कुछ भी खाने पीने पर पाबंदी होती है।
अगर आपने डाइबिटीज की कोई दवा जैसे मेटफॉर्मिन ली है तो सीटी स्कैन से पहले दी जाने वाली डाई के पहले डॉक्टर को जरूर बताएं। डाई देने के पहले इस दवा को बंद कर दिया जाता है। इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि कही व्यक्ति को किडनी की कोई समस्या ना हो।
सीटी स्कैन में किसी प्रकार का कोई दर्द नहीं होता। अब नई तकनीक के माध्यम से यह कुछ ही मिनट में पूरा हो जाता है। सीटी स्कैन की पूरी प्रक्रिया 30 मिनट में पूरी हो जाती है।
इस प्रक्रिया के दौरान आपको हॉस्पिटल गाउन पहनने और किसी भी प्रकार की ज्वैलरी उतारने के लिए कहा जा सकता है। ज्वैलरी या किसी धातु की वजह से सीटी स्कैन के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं।
इसके बाद डॉक्टर आपको पीठ के बल लेटने को कहते हैं। एक स्लाइड्र के माध्यम से आपका शरीर स्कैन के अंदर जाता है। इसके बाद डॉक्टर कंट्रोल रूप से स्कैनिंग देखते हैं।
स्कैनिंग के दौरान स्लाइडर कुछ ऊपर की उठता है। इसके बाद एक्स-रे मशीन आपको शरीर के आसपास घूमती है। हर रोटेशन में एक्स-रे मशीन दर्जनों इमेज तैयार कर लेती है। इस दौरान मशीन के काम करने की आवाज साफ सुनाई देती है। स्कैनिंग के दौरान स्लाइडर कई बार एडजस्ट होता है। कई बार इसमें कुछ ज्यादा समय लग सकता है।
स्कैनिंग के दौरान मरीज को हमेशा बिना हिले लेटे रहना चाहिए। हिलने-डुलने पर स्कैनर में धुंधली तस्वीरें आती हैं, जो किसी काम की नहीं होतीं। कई बार डॉक्टर आपको सांस रोके रहने के लिए भी कह सकता है, जिससे सीने का हिलना-डुलना ना हो। बच्चों के मामले में डॉक्टर दवाई देकर कुछ देर के लिए उन्हें शांत कर देते हैं।
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सीटी स्कैन पूरा होने के बाद तस्वीरों को रेडियोलॉजिस्ट के पास परीक्षण के लिए भेज दिया जाता है। रेडियोलॉजिस्ट उस डॉक्टर को कहते हैं जो तस्वीरों के माध्यम से उपचार करता है जैसे सीटी स्कैन और एक्स-रे। परीक्षण के बाद डॉक्टर नतीजों के साथ आपसे बात करता है। अगर सीटी स्कैन को लेकर आपके मन में कोई और सवाल हैं, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर पूछें।
अगर डॉक्टर को सीटी स्कैन में किसी प्रकार का फ्रैक्चर, ब्लड क्लॉट, ट्यूमर या कोई असामान्यता नजर नहीं आती तो इसे सामान्य रिपोर्ट माना जाता है। अगर, रिपोर्ट उपरोक्त किसी भी समस्या के होने की पुष्टि होती है तो उसके आधार पर कुछ और उपचार किए जाते हैं।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
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