टेस्टिक्युलर बायोप्सी में आपके अंडकोष से टिशू का नमूना लिया जाता है, जिसे लैब में टेस्ट के लिए भेजा जाता है। अंडकोष पुरुषों के प्रजनन अंग हैं। वह स्पर्म और मेल सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन करते हैं। अंडकोष, अंडकोष की थैली में स्थित होते हैं, जो टिशू की एक मांसल थैली होती है और यह पेनिस के नीचे लटकी होती है।
टेस्टिक्युलर बायोप्सी का मकसद टेस्टिस (वृषण) में गांठ के स्थान और स्थिति का निदान करना, पुरुषों में बांझपन का कारण पता लगाना और विट्रो फर्टिलाइजेन (IVF) के लिए स्पर्म प्राप्त करना है।
डॉक्टर टेस्टिक्युलर बायोप्सी की सलाह निम्न कारणों से दे सकता है-
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एक अन्य संभावित जोखिम है अंडकोष या आसपास के क्षेत्रों में आंतरिक क्षति होना, हालांकि यह दुर्लभ है।
इस टेस्ट के लिए बहुत कम तैयारी की जरूरत होती है।
अपने डॉक्टर को प्रिस्क्रिप्शन या ओवर द काउंटर दवाओं के बारे में बताएं जो आप ले रहे हैं। डॉक्टर से चर्चा करें कि टेस्ट के पहले और दौरान इन दवाओं को लेना है या नहीं।
कुछ दवाओं से प्रक्रिया के दौरान विशेष जोखिम का खतरा रहता है। इसमें शामिल हैः
यदि आपको जनरल एनेस्थिसिया दिया जाना है तो आपको प्रक्रिया से 8 घंटे पहले कुछ खाना और पीना नहीं है। यदि आपको बायोप्सी से पहले घर सीडेटिव दिया जाता है तो आप प्रक्रिया के लिए खुद ड्राइव करके नहीं जा सकते।
बायोप्सी में तकरीबन 15 से 20 मिनट का समय लगता है।
बायोप्सी कई तरीके से की जाती है। बायोप्सी का तरीका आपके टेस्ट के कारण पर निर्भर करता है। आपका डॉक्टर आपको विकल्पों के बारे में बताएगा।
ओपन बायोप्सी प्रदाता के कार्यालय, एक सर्जिकल सेंटर या एक अस्पताल में किया जा सकता है। अंडकोष के ऊपर की त्वचा को एंटीसेप्टिक से साफ किया जाता है ताकि रोगाणु मर जाएं। इसके आसपास के हिस्से को स्टेरलाई टावेल। उस हिस्से को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थेटिक दिया जाता है।
त्वचा पर एक छोटा सा सर्जिकल चीरा लगया जाता है। फिर अंडकोष टिशू का छोटा सा हिस्सा निकाला जाता है। अंडकोष की ओपनिंग पर टांके लगाए जाते हैं। दूसरा टांका त्वचा के चीरे पर लगाया जाता है। यदि ज़रूरत हुई तो यह प्रक्रिया दूसरे अंडकोष के लिए भी दोहराई जा सकती है।
निडल बायोप्सी प्रदाता के ऑफिस में किया जाता है। बायोप्सी वाले हिस्से को साफ करके लोकल एनेस्थिसिया का इस्तेमाल किया जाता है जैसा कि ओपन बायोप्सी में किया जाता है। विशेष सुई से अंडकोष का नमूना निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में त्वचा पर कोई चीरा नहीं लगाया जाता।
टेस्ट के कारण के आधार पर निडल बायोप्सी शायद संभव नहीं हो या इसकी सलाह न दी जाए।
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टेस्टिक्युलर बायोप्सी के बाद आपको खुद की देखभाल करने और सहज महसूस करने के लिए विशेष सलाह दी जाएगी। बायोप्सी के तरीके के आधार पर यह सलाह अलग-अलग हो सकती है।
आपको सलाह दी जा सकती हैः
टेस्टिक्युलर बायोप्सी के बारे में किसी तरह का प्रश्न होने पर और उसे बेहतर तरीके से समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
आपके टिशू के नमूने का माइक्रोस्कोप के नीचे विश्लेषण किया जाता है। पैथोलॉजिस्ट शुक्राणु के उत्पादन और विकास में किसी तरह के दोष का पता लगाता है।
आपके परिणाम शुक्राणु का सामान्य विकास दिखा सकते हैं, यदि पहले आपका स्पर्म काउंट कम या शून्य रहा हो, बांझपन के कारण कोई रुकावट हो सकती है।
वास डिफेरेंस में रुकावट को इस प्रकार के बांझपन का कारण दिखाया गया है। वास डिफेरेंस एक ट्यूब है जो शुक्राणु को अंडकोष से मूत्रमार्ग की ओर ले जाता है। सर्जरी के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है।
असामान्य परिणामों के अन्य कारण हो सकते हैंः
सभी लैब और अस्पताल के आधार पर टेस्टिक्युलर बायोप्सी की सामान्य सीमा अलग-अलग हो सकती है। परीक्षण परिणाम से जुड़े किसी भी सवाल के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में टेस्टिक्युलर बायोप्सी से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। टेस्टिक्युलर बायोप्सी से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।
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