जन्म कुंडली की जगह मेडिकल हिस्ट्री क्यों जरूरी?
हिंदू धर्म में अधिकतर लोग ज्योतिष विज्ञान के ऊपर विश्वास करते हैं। अक्सर लोग स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याओं को कुंडली में छिपे योग और ग्रहों की दशा से जोड़कर देखते हैं। ज्योतिष विज्ञान और हमारी स्वास्थ्य समस्याओं में क्या संबंध है, इस संबंध में अभी तक जानकारों के बीच आम सहमित नहीं बनी है।
परिवार में कई ऐसे कारक जैसे जीन, माहौल और लाइफस्टाइल समान होते हैं। यह कारक कहीं न कहीं परिवार में चल रहीं स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी देते हैं। इन कारकों के आधार पर तैयार की गई मेडिकल हिस्ट्री के जरिए डॉक्टर भविष्य में किसी व्यक्ति या परिवार के अन्य सदस्य या आने वाली पीढ़ी में किसी विशेष बीमारी के खतरे का अंदाजा पहले ही लगा सकते हैं। जन्म कुंडली के आधार पर इन सभी पक्षों का पूर्वानुमान लगाना कितना संभव है, इस संबंध में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। 2020 यानिकी नए वर्ष में आपको भी जन्म कुंडली की जगह मेडिकल हिस्ट्री पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
शादी के लिए मेडिकल हिस्ट्री क्यों जरूरी?
शाद की एक ऐसा बंधंन है, जिसमें अलग-अलग परिवार और पृष्ठभूमि से जुड़े हुए दो लोग एक रिश्ते में बंध जाते हैं। ऐसे में दोनों ही लोगों की पारिवारिक मेडिकल हिस्ट्री भी अलग होती है। शादी से पहले दोनों पार्टनर्स को एक दूसरे की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता होना जरूरी है। इससे पति पत्नी के बीच विश्वास और प्यार का संबंध और मजबूत होता है। शादी के बाद यदि दोनों में से किसी एक को दूसरे की कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जानकारी मिलती है, जिन्हें आज भी हमारे समाज में एक बुराई के रूप में देखा जाता है तो इसका असर पति पत्नि के रिश्ते पर पड़ता है।
मौजूदा समय में एचआईवी इंफेक्शन का उदाहरण देना गलत नहीं होगा। हेपेटाइटिस-बी और एचआईवी इंफेक्शन एक ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिनकी जानकारी न होने पर यह असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर दूसरे पार्टनर की बॉडी में प्रवेश कर सकती हैं। यदि आप माता पिता बनने की योजना बना रहे हैं तो एक दूसरे की मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी होना बेहद ही जरूरी होता है। सही मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी से इन बीमारियों को न सिर्फ एक दूसरे में फैलने से रोका जा सकता है, बल्कि संभावित संतान में भी इन्हें फैलने से रोका जा सकता है।
शादी के लिए मेडिकल हिस्ट्री में गोवा ने उठाया था बड़ा कदम
जुलाई, 2019 में गोवा सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने मैरिज रजिस्ट्रेशन से पहले एचआईवी टेस्ट अनिवार्य करने की बात कही थी। हालांकि, उनके इस बयान की कई लोगों ने कड़ी आलोचना भी की थी। उन्होंने कहा था, ‘हम गोवा में कपल्स के मैरिज रजिस्ट्रेशन से पहले एचआईवी टेस्ट कराना अनिवार्य करने पर विचार कर रहे हैं। मौजूदा समय में मैरिज रजिस्ट्रेशन से पहले एचआईवी टेस्ट कराना अनिवार्य नहीं है।’
राणे उस वक्त गोवा के कानून मंत्री भी थे। उन्होंने कहा था कि शादी से पहले एचआईवी टेस्ट कराने की अनिवार्यता को विधि विभाग के समक्ष रखा गया है। उन्होंने कहा, ‘यदि विधि विभाग इसे अपनी मंजूरी दे देता है तो आने वाले मॉनसून सीजन में इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा।’
2006 में बिल्कुल ठीक ऐसा ही प्रस्ताव उस वक्त के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री दयानंद नावरेकर ने रखा था। हालांकि, यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया था। गोवा सरकार के इस कदम की देशभर में आलोचना भी हुई थी। कुछ लोगों ने इसे सीधे-सीधे निजता के कानून के अधिकार का हनन भी कहा था।
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