डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण भी कर सकते हैं जिसमें वह पेट पर गांठ या कोमलता का पता लगाने की कोशिश करते हैं।
पेट का कैंसर पहचानने के लिए ब्लड टेस्ट की सलाह भी दी जा सकती है। इस टेस्ट में विशेष प्रकार के कैंसर के संकेतों का पता लगाया जाता है। इसके साथ ही डॉक्टर आपका टोटल ब्लड काउंट टेस्ट भी कर सकते हैं। इसमें लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं की गिनती व प्लेटलेट और हिमोग्लोबिन का पता लगाया जाता है।
यदि डॉक्टर को पेट में कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह आपको इस रोग के विशेषज्ञ के पास अन्य टेस्ट करवाने के लिए जाने की सलाह दे सकते हैं।
गैस्ट्रिक कैंसर के परीक्षण में निम्न शामिल हैं –
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पेट के कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Stomach Cancer)
इसका उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कितना ज्यादा फैला हुआ है (या कैंसर किस स्टेज पर है)। इसका एकमात्र इलाज सर्जरी है। सर्जरी के दौरान पेट कुछ हिस्सा (सबटोटल गस्ट्रेक्टोमी) अलग किया जाता है या लिम्फ ग्लैंड्स अलग करके पूरे कैंसर को निकलना होता है। पहले से ही किसी और कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए सर्जरी का सुझाव नहीं दिया जाता है। उनको कीमोथेरपी या रेडिएशन थेरेपी से उपचार दे सकते हैं। कुछ लोगों के लिए उनके कैंसर लक्षण मिलाने के लिए सर्जिकल बाईपास प्रोसीजर की जा सकती है।
हालांकि पेट के कैंसर के इलाज अब उपलब्ध हैं। डॉक्टर आपकी स्टेज के हिसाब से ही इलाज करना शुरू करता है। आपकी स्टेज इस बात पर निर्भर करती है कि आपका कैंसर शरीर में कितना फैल चुका है। इसके इलाज के लिए सर्जरी, रेडियेशन थेरिपी, कीमोथेरिपी और दवाइयां आदि दी जाती है।
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पेट में कैंसर का चरणों अनुसार इलाज
स्टेज 0- यह तब होता है जब आपके पेट की कोशिकाओं में संक्रमण हो जाता है यानी कोशिकाएं कैंसर के रूप में बदलने लगती हैं। यह आमतौर पर सर्जरी से ठीक हो जाता है। डॉक्टर आपके पेट के उस हिस्से को भी निकाल सकते हैं, जहां कैंसर पनप रहा है।
स्टेज 1- इस स्टेज में पेट के अंदर ट्यूमर बन जाता है। यह आपके लिम्फ नोड्स में फैल सकता है। इस स्टेज में आपको कीमोथेरेपी या कीमोरैडिशन देने की जरूरत पड़ सकती है। सर्जरी से पहले ट्यूमर को छोटा करने का प्रयास भी किया जाता है।
स्टेज 2- इसमें कैंसर पेट की गहरी परतों और लिम्फ नोड्स में फैल जाता है। इसमें पेट के आस—पास के भागों को सावधानी से हटाने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है। इस दौरान कीमोथेरेपी भी की जाती है।
स्टेज 3- अब कैंसर पेट की सभी परतों में हो जाता है। कैंसर छोटा हो सकता है लेकिन इसमें भी कीमो या कीमोरैडिशन के साथ-साथ आपके पूरे पेट की सर्जरी करनी होती है।
स्टेज 4- इस अंतिम स्टेज में यकृत, फेफड़े या मस्तिष्क जैसे अंगों तक कैंसर फैल गया होता है। इसका इलाज करना बहुत कठिन है। डॉक्टर इसमें आपके लक्षणों को कम करने की कोशिश कर सकता है।
अगर ट्यूमर जठरांत्र प्रणाली के किसी भाग को रोक देता है तो आपको निम्न प्रक्रियाओं की जरूरत पढ़ सकती है – - गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी
- एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें ट्यूमर को एंडोस्कोप की मदद से लेजर से नष्ट कर दिया जाए। इसमें गले की नली से एक पतली सी ट्यूब डाली जाती है।
- सर्जरी की मदद से पेट के कुछ हिस्से को हटाना।
- स्टेंट नामक एक पतली लोहे की ट्यूब को पेट और अन्नप्रणाली के बीच लगाया जाता है जो चीजों को सामान्य बनाए रखने में मदद करती है।
इस चरण में कीमो और रेडिएशन या दोनों थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा आपको टारगेट थेरेपी की भी जरूरत पड़ सकती है। इस प्रकार के ड्रग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करते हैं और स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इस प्रकिया से दुष्प्रभावों का जोखिम भी कम हो जाता है।
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जीवनशैली में बदलाव और कुछ घरेलू उपचार
क्या कुछ घरेलू उपचार या जीवन शैली के बदलाव से ये बीमारी ठीक हो सकती है?
नीचे दिए गए कुछ घरेलू नुस्खे और बदलाव इससे बचने में मददगार साबित होंगे:
- डॉक्टर के इंस्ट्रक्शंस का पालन करें
- धूम्रपान से परहेज करें।
- आहार में फलों और सब्जियों का सेवन भरपूर करें।
- अगर आप हृदय संबंधी समस्याओं या अर्थराइटिस के लिए एस्पिरिन या नॉन स्टेरॉइडल एंटीइन्फ्लामेट्री दवाओं का सेवन रोजाना करते हैं तो अपने डॉक्टर से उनके पेट पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में पूछें।
- आहार में नमकीन और स्मोक्ड खाद्य पदार्थों खाने से बचें
- एल्कोहॉल का सेवन न करें
- समय-समय पर एंडोस्कोपी करें और कैंसर ज्यादा न बढ़े इसका ध्यान रखें।
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नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार अगर पेट में कैंसर का इलाज उसके शुरुआती चरणों में ही करवा लिया जाए तो मरीज के जिंदा रहने की समय सीमा पांच वर्ष तक बढ़ सकती है। इसकी संभावना आमतौर पर 30 प्रतिशत होती है।
अगर आपको कोई भी सवाल या चिंता सता रही है तो सही सुझाव के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।