इसके लक्षण गर्भाशय में मौजूद भ्रूण के लिए कम गंभीर और जानलेवा तक हो सकते हैं। जब एंटी बॉडी शिशु की लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करती हैं तब उसे हेमोलाइटिक बीमारी होती है।
इस बीमारी में शिशु की लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट हो जाने की स्थिति में शिशु की ब्लड स्ट्रीम में बिलिरुबिन (bilirubin) बनना शुरू हो जाता है। बिलिरुबिन एक कैमिकल है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से बनता है। बिलिरुबिन की अधिकता यह संकेत देती है कि शिशु का लिवर पुरानी रक्त कोशिकाओं को ही प्रोसेस करने पर समस्या में है।
यदि जन्म लेने के बाद शिशु की बॉडी में बिलिरुबिन का लेवल ज्यादा है तो उसकी त्वचा पीली और आंखें सफेद पड़ सकती हैं। इस स्थिति को पीलिया कहते हैं । इसके अलावा बच्चे में सुस्ती, मसल टोन कम होना भी इसका एक लक्षण हो सकता है। हालांकि, इसका समुचित इलाज करने पर यह ठीक हो सकती है।
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किन मामलों में होती है रीसस बीमारी?
महिला का ब्लड ग्रुप RhD नेगेटिव होने और पुरुष का ब्लड ग्रुप RhD पॉजिटिव होने की स्थिति में यह बीमारी होने का खतरा रहता है। प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय में मौजूद भ्रूण यदि RhD पॉजिटिव है तो इस स्थिति में महिला की बॉडी एक विशेष प्रकार की एंटी बॉडी का निर्माण करती हैं।
भ्रूण के RhD पॉजिटिव होने की सूरत में महिला की बॉडी भ्रूण को एक बाहरी चीज समझ लेती है। बॉडी भ्रूण को बाहरी समझकर उसे स्वीकारती नहीं है। इससे लड़ने के लिए महिला की बॉडी इन विशेष एंटी बॉडी का निर्माण करती है।
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रीसस भ्रूण के लिए कब घातक हो सकती है?
डॉक्टरों की मानें तो पहली प्रेग्नेंसी में यदि पुरुष पॉजिटिव है और महिला नेगेटिव है तो यह स्थिति इतनी जल्दी सामने नहीं आती। महिला की बॉडी को भ्रूण को बाहरी समझने में समय लगता है। ऐसी स्थिति में भ्रूण को नुकसान पहुंचाने वाली एंटी बॉडी का निर्माण देरी से होता है।
लेकिन, यदि महिला की दूसरी या तीसरी प्रेग्नेंसी है तो इस सूरत गर्भवती महिला की बॉडी ने पहले ही पहली एंटी बॉडी को तैयार कर लिया होता है। जो प्लेसेंटा या गर्भनाल के जरिए भ्रूण में प्रवेश करके उसे नष्ट करना शुरू कर देती हैं। यह एंटी बॉडी भ्रूण के ब्लड में हीमोग्लोबिन के स्तर को कम करना शुरू कर देती हैं, जो उसके लिए जानलेवा हो साबित हो सकता है।
इन स्थितियों में खतरा हो सकता है
- पहली डिलिवरी के दौरान शिशु के ब्लड की कुछ मात्रा महिला के ब्लड में मिल जाना।
- डिलिवरी के दौरान ब्लीडिंग होने से भी यह स्थिति पैदा हो सकती है।
- यदि मां के पेट पर चोट लगी हो।
- पिछली प्रेग्नेंसी में गर्भपात या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने पर।
- यदि RhD नेगेटिव महिला का ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया हो, जो गलती से RhD पॉजिटिव हो। हालांकि, यह काफी दुर्लभ मामलों मे होता है।