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डायबिटीज इंसिपिडस एक ऐसी असामान्य स्थिति है, जिसमें शरीर के द्रव्यों में उथल-पुथल मच जाती है। इसकी वजह से बार-बार पेशाब लगती है और प्यास भी जरूरत से ज्यादा लगती है। इस समस्या के कारण रात में बेचैनी हो सकती है। नींद आने में समस्या होती है । यदि नींद आ भी गई तो बिस्तर गीला होने का खतरा रहता है। इसके लक्षण डायबिटीज मेलेटस जैसे लग सकते हैं। डायबिटीज मेलेटस इंसुलिन और हाई ब्लड शुगर की समस्या के कारण होता है, जबकि ये गुर्दे से संबंधित है।
डायबिटीज इंसिपिडस एक असामान्य और दुर्लभ बीमारी है। ये बीमारी आमतौर पर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक प्रभावित करती है।ये रोग किसी भी में हो सकता है। बीमारी के लक्षण जानकर उपाय की सहायता से रिस्क फैक्टर को कम किया जा सकता है । अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
इस बीमारी के लक्षण डायबिटीज के समान ही हो सकते हैं। आमतौर पर बार-बार पेशाब लगना और ज्यादा प्यास लगना शामिल है।
हो सकता है कि कुछ संकेत या लक्षण आपको न दिखे या फिर अधिक दिखे। यदि आपको किसी लक्षण के बारे में कोई चिंता है, तो कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
यदि आपको बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ रहा है और अत्यधिक प्यास लगती है, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई लोगों में स्थिति अलग हो सकती है। इसलिए ऐसी परेशानी को नजरअंदाज न करें।
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डायबिटीज इन्सिपिडस आपके पिट्यूटरी ग्लैंड या गुर्दे में समस्या उत्पन्न कर सकता है। आम तौर पर शरीर तरल पदार्थ और बनने वाले मूत्र पर संतुलन बनाए रखता है। आपकी किडनी मूत्र को बनाकर अतिरिक्त तरल पदार्थ निकालती हैं, जो आपके मूत्राशय में अस्थायी रूप से जमा होता है। जब निर्जलीकरण की प्रक्रिया होती है तो पिट्यूटरी ग्लेंड तरल पदार्थ को शरीर में बनाए रखने और कम मूत्र बनाने के लिए किडनी को ADH नामक एक हार्मोन भेजती है। इस हार्मोन को वैसोप्रेसिन भी कहा जाता है। ये हाइपोथैलेमस में बनता है और पिट्यूटरी ग्लेंड में स्टोर होता है।
डायबिटीज इन्सिपिडस के विभिन्न रूप हैं।विभिन्न कारण से इनका निर्धारण होता, जैसे..
यह तब होता है जब हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथि क्षतिग्रस्त हो जाती है। यह ADH के संग्रहण और रिलीज को बाधित करता है। ये सर्जरी, ट्यूमर, मेनिन्जाइटिस, आनुवंशिक विकार या फिर सिर की चोट के कारण हो सकता है।
यह आमतौर पर किडनी की नलिकाओं में दिक्कत के कारण होता है। ये समस्या आनुवंशिक विकार या क्रोनिक किडनी विकार के कारण हो सकता है। कुछ दवाएं हैं जो किडनी की नलिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन दवाओं में लिथियम और डेमेक्लोसायक्लिन शामिल हैं।
स्टेशनल डायबिटीज इन्सिपिडस गर्भावस्था के दौरान होता है और अस्थायी होता है। डिलिवरी के बाद डायबिटीज की यह समस्या ठीक हो जाती है। दरअसल गर्भवती महिलाएं, गर्भवस्था के दौरान अपने आप में कई तरह के बदलाव महसूस करती हैं। अक्सर देखा गया है कि महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज या जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकार हो जाती हैं जिसमें उनका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। आमतौर पर महिलाएं प्रेगनेंसी के 24 हफ्ते से 28वें हफ्ते के बीच जेस्टेशनल डायबिटीज की बीमारी जोर पकड़ती है। यह समस्या अस्थायी होती है और बच्चे के जन्म के बाद खुद ही खत्म हो जाती है।
प्राथमिक पॉलीडिप्सिया स्थिति को डायस्पोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस या साइकोजेनिक पॉलीडिप्सिया के रूप में भी जाना जाता है। ज्यादा तरल पदार्थ के सेवन के कारण ऐसा होता है।
डायबिटीज इंसिपिडस के लिए आपके जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ कारक शामिल हो सकते हैं। जैसे-
लिंग (SEX): महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अक्सर डायबिटीज इन्सिपिडस होने का खतरा अधिक होता है।
जेनेटिक कारक: जिन माता-पिता को डायबिटीज इंसिपिडस होता है, उनके बच्चों को इसका खतरा बढ़ जाता है।
अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
प्रदान की गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
डायबिटीज इंसिपिडस का निदान करने के लिए डॉक्टर रक्त और मूत्र परीक्षण कर सकता है। बीमारी की गंभीरता के आधार पर रोगियों को मस्तिष्क और अन्य परीक्षणों में MRI के लिए कहा जा सकता है।
डायबिटीज इंसिपिडस का उपचार आपकी स्थिति और कारण पर निर्भर करता है।
ADH की कमी है, तो आपका डॉक्टर डेस्मोप्रेसिन नाम का एक सिंथेटिक हार्मोन लिख सकता है। यह दवा नोज स्प्रे या इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध हो सकती है।
इस उपचार का उपयोग नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के लिए किया जाता है। इसमें इस्तेमाल की जाने वाली दवा को हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड कहा जाता है। यह अकेले या अन्य दवाओं के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉक्टर आपको कम सोडयम खाने की सलाह दे सकता है।
अगर समस्या आपकी मानसिक स्थिति के कारण होती है, तो आपका डॉक्टर पहले उस का इलाज करेगा। अगर आपको ट्यूमर की समस्या है तो डॉक्टर सबसे पहले ट्यूमर को हटाने पर विचार करेगा ।
जीवनशैली में परिवर्तन और घरेलू उपचार आपको डायबिटीज की बीमारी से निपटने में मदद कर सकते हैं,
डायबिटीज इंसिपिडस (Diabetes insipidus) का उपचार करवाकर इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। इस बीमारी से पूरी तरह से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है क्योंकि ये कई बार जेनेटिक बीमारी हो सकती है। साथ ही अगर लाइफस्टाइल चेंज किया जाए और दवा का सेवन सही समय पर किया जाए तो डायबिटीज इंसिपिडस के लक्षणों को निंयत्रित किया जा सकता है। ये लाइफलॉन्ग कंडिशन है। अगर आपको इस बीमारी के उपचार के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात जरूर करें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। यदि आपका कोई प्रश्न हैं, तो बेहतर समाधान समझने के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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