जब व्यक्ति के यूरिन में जरूरत से ज्यादा खनिज यानि मिनिरल्स बनने लगते हैं, तो यूरिन में क्रिस्टल बनने लगते हैं। ऐसा दरअसल तब होता है, जब शरीर में प्रोटीन (Protein) या विटामिन (Vitamin) की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है। वैसे ये खतरनाक नहीं होता है, लेकिन अगर प्रोटीन (Protein) या विटामिन (Vitamin) का लेवल अत्यधिक हो जाए, तो यूरिन क्रिस्टल (Urine Crystal) की समस्या हो सकती है। यूरिन क्रिस्टल को एक और मेडिकल टर्म क्रिस्टलोरिया (Crystalluria) के नाम से भी जाना जाता है। अगर क्रिस्टलोरिया की समस्या ज्यादा होने लगे, तो किडनी स्टोन (Kidney stone) का खतरा बढ़ जाता है। इस आर्टिकल में अब सबसे पहले जान लेते हैं यूरिन क्रिस्टल के अलग-अलग प्रकारों को।
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क्या यूरिन क्रिस्टल अलग-अलग तरह के होते हैं? (Types of Urine Crystal)
यूरिन क्रिस्टल 4 अलग-अलग तरह के होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. स्ट्रवाइट (Struvite)- स्ट्रवाइट की समस्या फॉस्फेट (Phosphate), अमोनियम (Ammonium), मैग्नेसियम (Magnesium) और कैल्शियम (Calcium) लेवल शरीर में ज्यादा होने की स्थिति होती है। ऐसी स्थिति में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) की समस्या ज्यादा होती है और पेशाब करने में कठिनाई भी महसूस होती है।
2. यूरिक एसिड स्टोन (Uric acid stones)- नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार एसिडिक यूरिन की वजह से होता है। अगर किसी व्यक्ति को यूरिक एसिड (Uric acid) स्टोन की समस्या होती है, तो उन्हें पेशाब कम लगती है और यूरिन पास करने में भी कठिनाई होती है। वहीं यूरिक एसिड स्टोन की समस्या हार्ट प्रॉब्लम (Heart disease) एवं डायबिटीज (Diabetes) जैसी गंभीर बीमारियों को भी दावत दे सकती है।
3. कैल्शियम ऑक्सलेट (Calcium oxalate)- नैशनल किडनी फाउंडेशन (National Kidney Foundation) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार किडनी स्टोन की समस्या का मुख्य कारण कैल्शियम ऑक्सालेट ही होती है। कैल्शियम ऑक्सलेट प्राकृतिक रूप से हर खाद्य पदार्थ में मौजूद होता है और यह हमारे शरीर में भी बनता है। वहीं रिसर्च के अनुसार कैल्शियम ऑक्सलेट की वजह से इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome), क्रोहन रोग (Crohn’s disease) और ओबेसिटी (Obesity) का खतरा भी बना रहता है। ऐसा दरअसल प्रोटीन, सोडियम, शुगर एवं ऑक्सालेट का सेवन सामान्य से ज्यादा करने की वजह से होता है। ऐसी स्थिति में डिहाइड्रेशन भी होने की संभावना ज्यादा होती है।