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महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा दिल का दौरा स्मॉल और नॉनफेटल होता है। कुछ दिल की बीमारियां जैसे कि हार्ट फेल होना, एरिथिमिया, एंजाइना, कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट इन्फेक्शन आदि की समस्याओं से महिलाओं को गुजरना पड़ता है। हाय कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol), हाय बीपी (High BP), मोटापा, डायबिटीज (Diabetes), मेंटल स्ट्रेस, मोनोपॉज, प्रेग्नेंसी कॉम्प्लीकेशन, इंफ्लामेट्री डिजीज आदि कारणों से महिलाओं में दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर इन बीमारियों के लक्षणों को पहचानकर सही समय पर इलाज कराया जाए, तो बीमारियों से बचा जा सकता है।
हार्ट डिजीज के लिए ट्रीटमेंट (Treatment for heart disease)
हार्ट डिजीज का ट्रीटमेंट बीमारी के प्रकार पर निर्भर करता है। अगर आपको हार्ट इंफेक्शन की समस्या है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने की सलाह देंगे। डॉक्टर मेडिकेशन के साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह भी देते हैं। हार्ट डिजीज को ठीक करने के लिए तीन तरीके अपनाएं जा सकते हैं।
मेडिकेशन (Medications)
मेडिसिन की सहायता से हार्ट की समस्या को नियत्रिंत किया जा सकता है। ये बीमारी के लक्षणों को कम करने का काम करती है। हार्ट डिजीज के प्रकार के अनुसार ही डॉक्टर दवाओं का सेवन करने की सलाह देंगे।
लाइफस्टाइल में बदलाव (Lifestyle changes)
लाइफस्टाइल में बदलाव कर भी हार्ट डिजीज की समस्या से बचा जा सकता है। अगर आप स्वास्थ्य जीवनशैली को अपनाएंगे, तो बीमारी के लक्षणों को काबू में रख सकते हैं। आपको डॉक्टर डायट में बदलाव के साथ ही एक्सरसाइज करने की सलाह भी दे सकते हैं। खाने में कम नमक की मात्रा और कम मात्रा में फैट हेल्दी हार्ट के लिए जरूरी होता है।
सर्जरी (Surgery)
जब किसी कारण से आर्टरी पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है, तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सर्जरी की सहायता से बीमारी के लक्षणों को बढ़ने से रोका जा सकता है। डॉक्टर सर्जरी के दौरान स्टेंट को आर्टरी में इंसर्ट करते हैं, ताकि ब्लड फ्लो में किसी तरह की समस्या न हो। डॉक्टर हार्ट की बीमारी के अनुसार ही सर्जरी करने या न करने का फैसला लेते हैं।
हार्ट डिजीज से बचने के लिए डायट