शोधकर्ताओं ने पहली तिमाही के दौरान लिए गए 477 सोनोग्राम पर दर्ज हृदय दर को लिया और उनकी तुलना दूसरे ट्राइमेस्टर के दौरान लिए गए सोनोग्राम से की, जिसका उपयोग डॉक्टर भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने के लिए करते थे। निष्कर्ष निकला कि एक हार्टबीट से सेक्स का पता नहीं चला।
2016 में, पहली तिमाही के दौरान रिकॉर्ड किए गए 332 फीमेल और 323 मेल फ़ीटस की हार्ट बीट रेट को देखा गया। इन शोधकर्ताओं ने भी उनके बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं पाया।
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बच्चे का लिंग कब निर्धारित होता है?
जैसे ही स्पर्म अंडाणु से मिलता है, आपके बच्चे के सेक्स का निर्धारण हो जाता है। इससे पहले कि आपको पता चलता है कि आप प्रेग्नेंट हैं, कंसेप्शन (conception) के समय ही बच्चे के लिंग डिसाइड हो जाता है। शुरूआती समय में बच्चे के जननांगों का विकास नहीं होता है, लेकिन आपके बच्चे को एक्स या वाई क्रोमसोम वंशानुक्रम में मिलता है।
लड़कियों का जनेटिक इन्फॉर्मैशन पैटर्न XX होता हैं, जबकि लड़कों का पैटर्न XY होता हैं। आपको यह जानकर भी आश्चर्य हो सकता है कि आपके बच्चे के जननांग तुरंत विकसित नहीं होते हैं। वास्तव में, लड़के और लड़कियां गर्भधारण के चार से छह सप्ताह तक अपेक्षाकृत समान ही दिखते हैं। उनके बीच अंतर दिखना 10 और 20 सप्ताह के बीच शुरू होता है।
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बच्चे के सेक्स का पता चलता है इन टेस्ट्स से
हार्टबीट से सेक्स का पता: सेल फ्री डीएनए ( Cell Free DNA)
सेल-फ्री डीएनए एक तरह का ब्लड टेस्ट (Blood test) है। आप अपनी गर्भावस्था के लगभग नौ सप्ताह होने के बाद यह परीक्षण करवा सकते हैं। इस परीक्षण का मुख्य लक्ष्य आपके बच्चे के सेक्स का पता करना नहीं है। इस टेस्ट के जरिए डॉक्टर्स संभावित आनुवंशिक असामान्यताओं की स्क्रीनिंग करते हैं। आपके बच्चे का सेक्स क्रोमसोम उन सभी जनेटिक इन्फॉर्मैशन में से एक हैं।
समान स्क्रीन (वेरीफाई, मेटरनिट 21, हार्मनी) की तुलना में, पैनोरमा भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने का 100 प्रतिशत सटीकता दर का दावा करता है। वाई क्रोमसोम की उपस्थिति या अनुपस्थिति का पता लगाने से बच्चे के लिंग का पता चलता है।
इस बात का ध्यान रखें कि डोनर अंडे का उपयोग करने वाली महिलाओं के लिए या जिन लोगों ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) करवाया है, उनके लिए यह परीक्षण नहीं है। क्योंकि पैनोरमा एक स्क्रीनिंग टेस्ट है, इसलिए आनुवंशिक असामान्यताओं के संबंध में परिणाम फॉल्स पॉजिटिव या फॉल्स नेगटिव भी हो सकते हैं। इसलिए, किसी भी डायग्नोसिस की पुष्टि कुछ और टेस्ट के साथ ही की जानी चाहिए।
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हार्टबीट से सेक्स का पता: आनुवंशिक परीक्षण
आपकी गर्भावस्था के कुछ समय बाद, डॉक्टर आपको एमनियोसेंटेसिस (amniocentesis) या कोरियोनिक विली सैंपलिंग (chorionic villi sampling) करवाने की सलाह देते हैं है। ये परीक्षण सेल-फ्री डीएनए की तरह जेनेटिक असामान्यताओं की पहचान करता है। नतीजतन, इससे आपके बच्चे के लिंग की जानकारी मिल सकती है। ये परीक्षण सेल-फ्री रक्त परीक्षणों की तुलना में अधिक सटीक हैं, लेकिन ये खतरनाक भी हैं और इसमे गर्भपात का जोखिम भी हो सकता है।
सीवीएस परीक्षण आमतौर पर गर्भावस्था के 10 और 13 सप्ताह के बीच किया जाता है। एमनियोसेंटेसिस आमतौर 14 और 20 सप्ताह के बीच किया जाता है।
इससे पहले कि आप अपने बच्चे के सेक्स का पता लगाने के लिए कोई भी टेस्ट करवाएं। इस बात का बेहद ध्यान रखें कि यह बच्चे के लिए जोखिम भरा हो सकता है। डॉक्टर्स इन परीक्षणों की सलाह नहीं देते है जब तक निम्नलिखित चीजें ना हों:
• यदि आपका सेल-फ्री डीएनए परीक्षण सकारात्मक आया है,
• पहले गर्भावस्था में क्रोमोसोमल स्थिति रही हो,
• यदि आपकी उम्र 35 से अधिक है,
• जेनेटिक डिसऑर्डर की फैमिली हिस्ट्री रही हो।
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हार्टबीट से सेक्स का पता: अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
18 से 20 सप्ताह के बीच का समय सबसे आम माना गया है जब कपल अपने बच्चों के लिंग का पता लगाते हैं। कई डॉक्टर गर्भावस्था के इस समय अनैटमी स्कैन करते है जिससे कि आपके बच्चे के फीचर्स और सिर से पैर तक की आंतरिक क्रियाओं की जांच हो सके।
इस नॉन इन्वैसिव टेस्ट के दौरान, आपका डॉक्टर आपके पेट पर जेल लगा कर अल्ट्रासाउंड करता है और आपके बच्चे की तस्वीरें लेता है। अल्ट्रासाउंड के जरिए आपका बच्चा सही प्रकार से विकसित हो रहा है, यह देखा जाता है। इसके साथ ही प्रेग्नेंसी अल्ट्रासाउंड से बच्चे की शरीर की प्रणालियों, बच्चे के चारों ओर एमनीओटिक फ्लूइड (amniotic fluid) के स्तर और गर्भनाल (umbilical cord) का परीक्षण किया जाता है।
इस दौरान आपको बच्चे के लिंग का पता चल सकता है। डॉक्टर अक्सर स्क्रीन पर बच्चे के जननांगों को स्पष्ट रूप से देख सकते है। कभी-कभी, शिशु की स्थिति के कारण, लिंग का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, डॉक्टर आपको बच्चे के सेक्स के बारे में नहीं बताते हैं क्योंकि यह भारत में अवैध है।
विज्ञान कहता है कि प्रारंभिक गर्भावस्था में हार्ट बीट से सेक्स का पता लगाना विश्वसनीय संकेत नहीं है। वास्तव में, पुरुषों और महिलाओं के बीच प्रति मिनट औसत बीट्स में थोड़ा अंतर होता है। इसलिए, स्टडीज से पता चलता है कि हार्टबीट से सेक्स का पता नहीं लगाया जा सकता है।
लिंग का पता लगाना भारत में गैर-कानूनी है इसलिए, आप इसके लिए सोचे भी नहीं। बहरहाल, आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ गर्भ में लड़का है या लड़की इसका अनुमान लगाते रहें और डिलिवरी ड्यू डेट का इंतजार करें।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की दिक्कत का सामना करना पड़े तो इस बारे में डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। बिना डॉक्टर की सलाह के ऐसा कोई भी काम न करें जो आपके बच्चे को किसी प्रकार की समस्या पहुंचाए। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बच्चे की हार्टबीट से सेक्स का पता चलने वाली बात क्लीयर हो गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।