गर्भावस्था की शुरुआत से अंत तक एमनियॉटिक फ्लूइड की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
10वें हफ्ता में – 10-20 ml
16वें हफ्ता में – 250 ml
33वें हफ्ता में – 800 ml
38वें हफ्ता से 39वें हफ्ता में – 1000 ml
40वें हफ्ता में – 800 ml और एमनियॉटिक तरल की मात्रा कम होने लगती है।
अगर किसी कारण शरीर में एमनियॉटिक फ्लूइड की मात्रा कम होती हैं तो इसे आहार में विशेष ध्यान देकर बढ़ाया जा सकता है। इसलिए अगर आप प्रेग्नेंसी प्लानिंग कर रहीं हैं या आप गर्भवती हैं तो अपने आहार में निम्नलिखित खाद्य और पे पदार्थ शामिल करें। जैसे-
ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें
सामान्य दिनों के साथ-साथ गर्भावस्था के दौरान भी ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। रिसर्च के अनुसार शरीर में पानी की सही मात्रा एमनियॉटिक फ्लूइड के लेवल को बैलेंस्ड रखने में मददगार होता है। तरल पदार्थों के सेवन से प्रेग्नेंसी के 37वें हफ्ते से प्रेग्नेंसी के 41वें हफ्ते में भी एमनियॉटिक तरल को संतुलित रहने में मदद करता है। आप तरल पदार्थों के रूप में फलों का जूस या फिर सब्जियों का सूप भी ले सकते हैं। अगर आपको किसी फल या सब्जी से एलर्जी है तो बेहतर होगा कि आप उसे डायट में न शामिल करें। अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक तरल में कमी : डायट का ख्याल रखें
गर्भवती महिला आपने डायट का ध्यान तो रखती हैं लेकिन, प्रेग्नेंसी के दौरान लीन प्रोटीन, साबुत अनाज और ज्यादा से ज्यादा मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें।
कभी-कभी प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक तरल की मात्रा में या लेवल में कमी होने के कारण डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह देते हैं। आराम करने से शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है और जो प्लासेंटा में ब्लड फ्लो बढ़ाने में मदद करता है। इससे एमनियॉटिक तरल का लेवल भी ठीक होता है। बेड रेस्ट की सलाह डॉक्टर गर्भवती महिला को दूसरी तिमाही या तीसरे ट्राइमेस्टर की शुरुआत में आराम करने की सलाह देते हैं। हालांकि ज्यादा आराम करना भी गर्भवती महिलाओं के लिए परेशानी हो जाती है। इसलिए इस दौरान आराम करते-करते आप किताबे पढ़ें, गाने सुने या आराम करते हुए कोई अन्य मजेदार काम आप करना चाहें तो आप कर सकती हैं।
लो एमनियॉटिक फ्लूइड गर्भावस्था के किसी भी हफ्ते में हो सकता है, जिसका गर्भ में पल रहे शिशु के सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कभी-कभी गर्भ में पल रहे शिशु में मूवमेंट कम होना और वजायनल डिस्चार्ज होना लो एमनियॉटिक फ्लूइड की ओर इशारा करता है। ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एमनियॉटिक तरल कम होने की स्थिति में डॉक्टर इसके लिए इलाज कर सकते हैं और इसके लेवल को संतुलित रख सकते हैं। यह ध्यान रखें की प्रेग्नेंसी के अलग-अलग स्टेज पर एमनियॉटिक तरल की मात्रा बदलती रहती है। एमनियॉटिक तरल गर्भवती महिला के सेहत पर भी निर्भर करता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर द्वारा बताए गई जांच अवश्य करवाएं।आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।