प्रेग्नेंसी वीक 36 या गर्भावस्था के अंत में अधिकतर गर्भवती महिलाओं का वजन बढ़ना बंद हो जाता है। इस दौरान आपका वजन बढ़ने के बजाय घटना शुरू हो सकता है। हालांकि, इस दौरान आपको शिशु के लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे उसके वजन पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
अगर आपका वजन उतना ही रहता है या घटने लगता है, तो इसका मतलब है कि आप डिलीवरी के लिए तैयार है। एम्नियोटिक फ्लूड के लीक होने की वजह से आपका वजन घटने लगता है।
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प्रेग्नेंसी वीक 36 में डॉक्टरी सलाह
प्रेग्नेंसी वीक 36 के दौरान मुझे डॉक्टर को क्या-क्या बताना चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 36 के दौरान आपका डॉक्टर आपको लेबर के लक्षणों के बारे में पूरी जानकारी दे सकता है। जिससे आपको पता लग सके कि कब आपका एम्नियोटिक फ्लूड घटने लगा है और कब आपको डिलीवरी के लिए अस्पताल या बर्थ सेंटर जाने की जरूरत है। लेबर पेन या कॉन्ट्रैक्शन अनियमित भी हो सकते हैं। अगर, आपको समझ नहीं आ रहा है कि यह कॉन्ट्रैक्शन फेक है या असली, तो आप अपने डॉक्टर को फोन करके सलाह ले सकती हैं। वो फोन पर जरूरी जानकारी प्राप्त करके आपको सही सलाह दे पाएगा।
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प्रेग्नेंसी वीक 36 के दौरान मुझे किन टेस्ट्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए? (Pregnancy Week 36 Tests in hindi)
प्रेग्नेंसी वीक 36 के दौरान भी आपके मेडिकल डायग्नोस्टिक टेस्ट पिछले हफ्तों वाले ही रहते हैं। इस दौरान डॉक्टर आपके शिशु के आकार का अंदाजा लगाकर डिलीवरी डेट का अनुमान लगा सकता है। प्रेग्नेंसी वीक 36 के दौरान किए जाने वाले टेस्ट्स निम्नलिखित हैं।
- वजन की जांच (इस समय आपका वजन बढ़ना बंद हो सकता है या घटना शुरू हो सकता है)
- ब्लड प्रेशर की जांच (दूसरी तिमाही के मुकाबले इस समय उच्च हो सकता है)
- यूरिन में ग्लूकोज और प्रोटीन की जांच
- पैरों में वेरीकोज वेन और हाथों-पैरों पर सूजन की जांच
- शिशु की हृदय गति
- बाहर से यूट्रस के आकार की जांच
- यूट्रस के ऊपरी हिस्से की लंबाई की जांच, जिसे फंडस कहते हैं
- गर्भ में शिशु की पोजीशन की जांच, ताकि डिलीवरी के समय शिशु की स्थित का पता लग सके