के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
हृदय की विद्युत प्रणाली, दिल की धड़कन को प्रभावित करती है। विद्युत प्रणाली में गड़बड़ होने पर दिल की सामान्य धड़कन भी हिल जाती है। ऐसे में हृदय बहुत तेजी से धड़कना शुरू कर सकता है या बहुत धीमा भी हो सकता है। इसे ही हार्ट रिदम डिसऑर्डर (Heart rhythm disorder) कहते हैं।
हार्ट का काम बहुत पेचीदा होता है। यह पूरे शरीर में रक्त और पोषक तत्वों को प्रवाहित करता है। दिल एक स्थिर गति से धड़कता है इसलिए आप इसे सुन सकते हैं। दिल की धड़कन को विद्युत प्रणाली नियंत्रित करती है। जब उस प्रणाली में समस्या होती है दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है। दिल की धड़कन उस समय भी बढ़ जाती है जब आपने दौड़ लगाई हो। लेकिन कुछ समय तक दिल की धड़कन तेज होना सामान्य बात है लेकिन ये हमेशा बने रहने से खतरा हो सकता है। कई मामलों में हार्ट रिदम डिसऑर्डर (Heart rhythm disorder) समस्या पैदा कर सकता है। इससे आपको दिल की बीमारी भी हो सकती हैं।
हार्ट रिदम डिसऑर्डर (Heart rhythm disorder) कई प्रकार के होते हैं। जानते हैं इनके बारे में—
इसे स्टोक एडम डिसीज भी कहते हैं। यह हृदय को ब्लॉक करने जैसी स्थिति होती है। इससे हृदय गति काफी धीमी हो जाती है। जिससे आप बेहोश भी हो सकते हैं। यह तब होता है जब दिल की विद्युत प्रणाली बाधित होती है।
एट्रियल फ्लटर तब होता है जब तेजी से बिजली के संकेत तेजी से हृदय के ऊपरी कक्षों की मांसपेशियों को छूते हैं तो दिल की धड़कन बहुत तेज हो जाती है। एट्रियल फ्लटर किसी को भी हो सकता है।
जब साइनस नोड अपने विद्युत संकेतों का ठीक से संचालन नहीं कर पाती है तो हृदय की गति धीमी हो जाती है। इसे साइनस सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है।
यह बीमारी ज्यादातर बच्चों में पाई जाती है। सांस लेते और छोड़ते समय अगर दिल की धड़कन या धीमी होती है तो उसे साइनस अरिदमिया कहा जाता है।
हार्ट बीट कई कारणों से प्रभावित होती है। कई बार मौसम बदलने पर भी हार्टबीट में परिवर्तन हो सकता है। विंटर में टेम्प्रेचर कम हो जाता है और हार्ट रेट अचानक से बढ़ सकती है। अगर आप चलने के दौरान, सोने के दौरान या मेहनत वाले काम करने के दौरान हार्ट बीट में बदलाव महसूस कर रहे हैं तो ये घबराने की बात नहीं है। हार्ट बीट तेज होने की वजह विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं, लेकिन हार्ट बीट तेज होने की वजह अगर कम नींद, चिंता, तनाव या फिर स्लीपिंग डिसऑर्डर है तो आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। अनियमित दिल की धड़कन कई प्रकार की समस्याएं खड़ी कर देती है। ऐसे में डॉक्टर से जांच कराना बहुत जरूरी हो जाता है।
और पढ़ें – Keloid: केलॉइड क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
विद्युत आवेगों में किसी भी प्रकार की रुकावट होती है तो हार्ट रिदम डिसऑर्डर (Heart rhythm disorder) हो सकता है। स्वस्थ दिल वाले व्यक्ति की हृदय गति 60-100 बीट प्रति मिनट के बीच होनी चाहिए। एक व्यक्ति जितना अधिक फिट होता है, उसकी हृदय गति उतनी ही कम होती है। उदाहरण के लिए, ओलंपिक एथलीटों में आमतौर पर दिल की धड़कन 60 बीट्स प्रति मिनट से कम होती है क्योंकि उनके दिल बहुत मजबूत होते हैं। कई कारणों से हार्ट रिदम डिसऑर्डर हो सकता है। जैसे—
एक स्वस्थ व्यक्ति शायद ही कभी लंबे समय तक हार्ट रिदम डिसऑर्डर से पीड़ित होगा। अगर कोई नशीली दवाओं का प्रयोग ज्यादा करता है तो उसकी विद्युत प्रणाली असंतुलित हो जाती है। जिससे हार्ट रिदम डिसऑर्डर (Heart rhythm disorder) की संभावना बढ़ जाती है।
इलेक्ट्रिकल सिग्नल ठीक से नहीं मिलने के कारण अनियमित दिल की धड़कन की समस्या होती है। ऐसा तब होता है जब स्पेशल नर्व सेल्स इलेक्ट्रिकल इंपल्स ठीक तरह से हार्ट तक नहीं पहुंच पाता है। वहीं अगर हार्ट के दूसरे हिस्से से इलेक्ट्रिकल सिग्नल शुरू हो जाए तो भी एरिथमिया की समस्या हो सकती है।
निम्न परिस्थितियों में एरिथमिया की परेशानी शुरू हो जाती है।
और पढ़ें – Pain: दर्द क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
एरिथमिया या अनियमित दिल की धड़कन (Heart rhythm disorder) की परेशानी निम्नलिखित कारणों से बढ़ सकती है:
एलेक्ट्रोलाइट की अनियमित्ता जैसे पोटैशियम, सोडियम, कैल्शियम और मैग्नेशियम की समस्या होने पर एरिथमिया की समस्या हो सकती है।
और पढ़ें – ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) क्या है? जानिए इसके लक्षण, कारण, घरेलू उपचार
एक स्वस्थ हृदय प्रति मिनट 60 से 100 बार धड़कता है। व्यायाम के दौरान या तनाव की स्थिति में दिल की धड़कन तेज हो सकती है। सोते समय यह धीमी गति से धड़कता है। दिल की धड़कन का तेज होना या धीमा हो जाना, एक सामान्य बात होती है। इसी वजह से जब हार्ट रिदम डिसऑर्डर (Heart rhythm disorder) होता है तो कई लोग इसे महसूस नहीं कर पाते हैं। हार्ट रिदम डिसऑर्डर के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं—
ये भी पढ़ें: कहीं आप में भी तो नहीं हैं इस खतरनाक बीमारी के लक्षण
इस बारे में हीरानंदानी हॉस्पिटल, वाशी ए फोर्टिस नेटवर्क हॉस्पिटल, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. बृजेश कुंवर के अनुसार, “हार्ट बीट में आए उतार-चढ़ाव के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, लेकिन हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा नहीं हाेता है। यदि आपका दिल बहुत तेजी धड़कता है या सीन में सेंसेशन महसूस होता है तो आप खतरे में हैं। ये स्थिति हमेशा बनी बनी रह सकती है या कभी-कभी भी हो सकती है। अगर ऐसा एक बार होता है तो घबराने की जरूरत नहीं है। अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें। यदि आपने दवाई ली है और असर नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से बताएं। इसके अलावा ये लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाएं।”
और पढ़ें – Dry Cough : सूखी खांसी (ड्राई कफ) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि रोगी की हार्ट रिदम डिसऑर्डर कब-कब महसूस होता है। इसमें डॉक्टर आपसे कई सारे सवाल पूछ सकते हैं। जैसे आपकी पिछली बीमारी के बारे में, कोई आनुवांशिक बीमारी, आहार और जीवनशैली क्या है?
लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री के साथ-साथ शारीरिक जांच कर हार्ट रिदम डिसऑर्डर की स्थिति समझी जाती है। डॉक्टर हार्ट से जुड़ी परेशानियों और थायरॉइड की जानकारी पेशेंट से ले सकते हैं। डॉक्टर बीमारी की जानकारी के लिए हार्ट मॉनेटरिंग टेस्ट की सलाह देते हैं। इन टेस्ट में शामिल हैं:
अगर टेस्ट के दौरान एरिथमिया की जानकारी नहीं मिल पाती है, तो ऐसी स्थिति में ऊपर बताए गए जांच के अलावा अन्य जांच किए जाते हैं। जैसे:
और पढ़ें – Deep Vein Thrombosis (DVT): डीप वेन थ्रोम्बोसिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
यह आपके दिल को ट्रैक करेगा और यदि यह समस्या है तो दिल की धड़कन को फिर से सामान्य करने की कोशिश करेगा। दिल की धड़कन सामान्य हो जाने के बाद इसे निकाल दिया जाता है। आईसीडी की मदद से आप खुद भी अपने दिल की धड़कन को जब चाहें सामान्य कर सकते हैं।
इलाज के बाद निम्न दो तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं:
स्ट्रोक – फाइब्रिलेशन यानी सीने में कंपकंपी महसूस होने का मतलब है कि हृदय ठीक से पंप नहीं कर रहा है। ठीक से रक्त पंप ना होने के कारण खून के थक्के बन सकते हैं। इससे ब्लॉकेज होने की संभावना होती है। ऐसा होने मस्तिष्क सहित शरीर के कुछ हिस्सों में खून पहुंचना बंद हो सकता है। यह कभी-कभी बहुत घातक होता है।
हार्ट फेल होना – लंबे समय तक टैचीकार्डिया या ब्रैडीकार्डिया से हृदय शरीर और उसके अंगों को पर्याप्त रक्त पहुंचाने में असफल हो जाता है। यह हार्ट फेल की स्थिति पैदा करता है। ठीक से इलाज करवाया जाए तो इस समस्या से बचा जा सकता है। बेहतर जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
और पढ़ें – Gallbladder Cancer: पित्त का कैंसर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
एरिथमिया की समस्या को कम करने के लिए निम्नलिखित टिप्स को अपनाया जा सकता है।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। एक्सपर्ट्स के अनुसार एरिथमिया से जुड़ी रिसर्च अभी भी की जा रही है।यदि बीमारी से जुड़े कोई सवाल हैं, तो बेहतर इलाज के लिए चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है।
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।