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बच्चे को पसीना आना: चादर या कंबल
पेरेंट्स हमेशा ही अपने बच्चे की देख-रेख में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं लेकिन, कभी-कभी केयरिंग थोड़ी ज्यादा भी हो जाती है। जब बच्चा सो रहा होता है, तो माता-पिता बच्चे को चादर या कंबल से ढक देते हैं। सर्दियों के मौसम ऐसा करना चाहिए लेकिन, जब मौसम थोड़ा गर्म हो तो ऐसे में मौसम का तापमान समझकर चादर या कंबल से ढकना चाहिए। चादर या कंबल की वजह से शरीर का तापमान बढ़ने की वजह से बच्चे को पसीना आना स्वभाविक होता है।
बच्चे को पसीना आना: डर या सपना
अगर बच्चे सोते हुए डरते हैं या कोई डरावना सपना देख लेते हैं, तो बच्चे को पसीना आ सकता है। हालांकि ऐसी समस्या कभी-कभी होती है। इसलिए ऐसी स्थिति में पेरेंट्स को परेशान होने की जरूरत नहीं होती है। ऐसे वक्त में सिर्फ बच्चे के साथ रहें और अगर बच्चे की उम्र दो साल से ज्यादा है तो उन्हें प्यार से समझाएं।
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बच्चे में पसीना आने के उपरोक्त कारणों के साथ-साथ निम्नलिखित कारणों को भी जानना जरूरी होता है। इन कारणों पर माता-पिता को गौर करना चाहिए। जैसे:-
बच्चे को पसीना आना: 1. हृदय रोग
जिन बच्चों को रात के सोने के दौरान पसीना ज्यादा आता है उन्हें जन्म से ही हार्ट डिजीज की समस्या देखी गई है। ऐसे बच्चों को खाना खाने के दौरान भी सामान्य से ज्यादा पसीना आता है।
बच्चे को पसीना आना: 2. स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी होने वाली परेशानी है। किसी भी बच्चे को रात को सोते हुए अगर पसीना ज्यादा आता है, तो स्लीप एपनिया की वजह से ऐसा हो सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चे की त्वचा नीली पड़ने लगती है और बच्चे को घबराहट महसूस होती है। बच्चे में होने वाली इस परेशानी को पेरेंट्स अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
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बच्चे को पसीना आना: 3. छोटी उम्र में कैंसर
रात के वक्त अत्यधिक पसीना आने के कारण लिम्फोमास (Lymphomas) या किसी अन्य तरह के कैंसर का खतरा होता है। इसलिए अगर बच्चो को रात के वक्त सोने पर सामान्य से ज्यादा पसीना आता है, तो निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान देना आवश्यक होता है। जैसे –
बच्चे को पसीना आना: 4. लंग्स से संबंधित परेशानी
बच्चे जिन्हें हाइपरसेंसिटिविटी निमोनिया (Hypersensitivity pneumonitis) की समस्या होती है उन्हें सोने के दौरान सामान्य से ज्यादा पसीना आ सकता है। कुछ बच्चों को लंग्स में सूजन की भी परेशानी होती है। ऐसा प्रायः एलर्जी की वजह से होता है। इसलिए डस्ट वाली जगहों पर बच्चों को नहीं जाने देना चाहिए और ऐसी जगहों पर मास्क पहनाना चाहिए। हाइपरसेंसिटिविटी निमोनिया अगर कोई बच्चा डस्ट के संपर्क में आया है, तो दो से नौ घंटे के बाद शुरू हो सकती है। अस्थमा की समस्या से पीड़ित बच्चों में हाइपरसेंसिटिविटी निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए बच्चे को पसीना आना संभव है अगर उन्हें निम्नलिखित परेशानी रहती है तो-
- कफ की समस्या
- सांस लेने में परेशानी
- ठंड लगना
- बुखार आना
- बच्चे का सुस्त लगना