बहुत से शिशु को रॉकिंग मोशन पंसद आता है यानी उन्हें झूला झुलाना, उछालना आदि। बच्चे को शांत करने के लिए उन्हें गोद में लेकर थोड़ा उछल-कूद कराते रहें या हाथों का झूला बनाकर झुलाएं।
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नवजात शिशु का रोना कब सामान्य होता है?
सामान्य तौर पर देखा जाए, तो नवजात शिशु का रोना काफी सामान्य हो सकता है। एक नवजात बच्चा औसतन एक दिन में कम से कम दो से तीन घंटे रोता है। जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे- नवजात शिशु को भूख लगना, प्यास लगना, नींद से जागना, डर जाना या फिर किसी प्रकार का शरीर में अंदरूनी या बाहरी तौर पर कोई दर्द होना। आपने गौर भी किया होगा कि जन्म के पहले हफ्ते नवजात शिशु बहुत ज्यादा रोते हैं, लेकिन, धीरे-धीरे नवजात शिशु का रोना अपने आप ही कम होने लगता है। जोकि एकदम सामान्य है। हालांकि, इन सबसे अलग अगर किसी दिन आपका नवजात बच्चा बहुत ज्यादा रोता है या उसके रोने के तरीके में कुछ बदलाव होता है, तो उसे किसी अन्य तरह की समस्या हो सकती है जिसके लिए आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
निम्न स्थितियों में नवजात शिशु का रोना सामान्य हो सकता है, जिसमें शामिल हैंः
- सोकर उठने के बाद बच्चे का रोना
- सोने से पहले नवजात शिशु का रोना
- भूखा होने पर नवजात शिशु का रोना
- दूध पीने के पहले या बाद में बच्चे का रोना। कई बार अगर दूध पीने के बाद बच्चा रोता है, तो उसे डकार दिलाएं।
- जब बच्चा गोद में आना चाहता हो तब भी बच्चे रोते हैं।
- इसके अलावा डायपर गीला करने के बाद भी नवजात शिशु का रोना जारी हो सकता है
- बहुत ज्यादा थकने पर भी बच्चे रोते हैं
- ज्यादा गर्मी या ठंडी महसूस करने पर भी नवजात बच्चा रो सकता है
- कई बार छींक आने पर भी बच्चा रो सकता है।