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बच्चे का ज्यादा रोना या कॉलिक (Colic) होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?
- वैसे तो एक शिशु का रोना सामान्य है, लेकिन जब शिशु तीन घंटे से ज्यादा एक हाई पिच पर रोए और उसका कारण भी समझ न आए तो डॉक्टर से सलाह लें।
- शिशु का अत्यधिक रोना एक दिन में कम न हो, तो ऐसी स्थिति में चिकित्सीय परामर्श जरूरी है।
- अत्यधिक रोने के साथ शिशु में बुखार (Fever) जैसे अन्य लक्षण भी दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
बच्चे का ज्यादा रोना पेरेंट्स को परेशान कर सकता है। हालांकि अक्सर बिना किसी बात के भी नवजात शिशु नियमित रूप से दिन में एक से चार घंटे रोते हैं तो हो सकता है कि पेरेंट्स को उनके चुप न होने पर गुस्सा आए। ऐसी स्थिति में खुद को थोड़ा शांत रखें। अगर फिर भी शिशु शांत न हो डॉक्टर से संपर्क करें।
कई बार बच्चे का ज्यादा रोना किन्हीं विशेष वजहों से होता है। वे कई शारीरिक परेशानियाें से जूझ रहे होते हैं। जिनके बारे में कई बार पेरेंट्स को पता नहीं चल पाता। आइए जानते हैं उनके बारे में।
बच्चे का ज्यादा रोना कब्ज (Constipation) की वजह से भी हो सकता है
डॉक्टर्स के मुताबिक, नवजात शिशु दिन में चार या पांच बार या हर ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) के बाद स्टूल पास करते हैं। यह सामान्य स्थिति होती है। बच्चे का स्टूल मुलायम से टाइट होना या पास करने में दिक्कत होना कब्ज का ही रूप है। ऐसा होने पर बच्चे असहज हो जाते हैं और रोना शुरू कर देते हैं। ज्यादातर शिशुओं का स्टूल हमेशा वॉटरी या मुलायम आता है। हालांकि, इसकी फ्रीक्वेंसी में विभिन्नता हो सकती है।’
उन्होंने बताया कि यदि छोटे शिशु का चार या पांच दिन में स्टूल मुलायाम आता है तो उसे कब्ज की दिक्कत नहीं होती है। हालांकि मां का दूध पीने पर शिशु की बॉडी अलग तरह से प्रतिक्रिया देती है। वहीं, फॉर्मूला बेस्ड फूड (Formula based feeding) जैसे पाउडर काऊ मिल्क देने पर शिशु दिन में एक बार या अगले दिन स्टूल पास कर सकता है। पाउडर वाले दूध का शिशु की बॉडी में अलग प्रभाव पड़ सकता है, जिससे मां का दूध पीने पर स्टूल पास करने की फ्रीक्वेंसी और पाउडर दूध पीने पर स्टूल की फ्रीक्वेंसी भिन्न हो सकती है।