बच्चों में कफ की समस्या : दवा का यूज

छह साल से कम उम्र के बच्चों में सर्दी -जुकाम के लिए दवा का यूज नहीं किया जाता है। दवा का यूज बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है। आमतौर पर दवा देने से बच्चों में कफ की समस्या से राहत नहीं मिल पाती है। कम उम्र के बच्चों को दवा का कॉम्बिनेशन देने पर उन्हें साइड इफेक्ट का अधिक खतरा रहता है। अगर बच्चा चार साल का है और उसे अधिक खांसी आ रही है तो उसे डॉक्टर से पूछने के बाद ही दवा का डोज दें। एक साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए गर्म पानी और नींबू का रस और शहद की कुछ बूदों को मिलाकर पिलाने से खांसी की समस्या से राहत मिल सकती है।
बच्चों में कफ की समस्या : डॉक्टर से संपर्क
ऐसा नहीं है कि बच्चों में कफ की समस्या से निपटने के लिए केवल घरेलू उपाय ही बेहतर होते हैं। अगर बच्चे को कई दिनों से कफ की समस्या है तो बेहतर रहेगा कि डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे को खांसी की वजह से अगर सूजन की समस्या है तो डॉक्टर स्टेरॉयड लिख सकते हैं। अधिक खांसी के कारण बच्चों को बुखार भी आ सकता है। अगर बच्चे को बैक्टीरियल इंफेक्शन है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स भी लिख सकते हैं। बच्चों में कफ की समस्या बढ़ जाने पर उसे अनदेखा बिल्कुल भी न करें। जब एंटीबायोटिक्स लेने के बाद बच्चा सही हो जाए तो दवा को भी बंद कर दें।
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इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
अगर बच्चे को कुछ दिनों से खांसी की समस्या परेशान कर रही है तो इसे अनदेखा बिल्कुल भी न करें। बेहतर रहेगा कि डॉक्टर से संपर्क करें। अस्थमा और एलर्जी की वजह से भी बच्चों को क्रोनिक कफ की समस्या हो जाती है, ऐसे में डॉक्टर का एपॉइंटमेंट लेना जरूरी हो जाता है। कुछ लक्षण के दिखने पर बच्चों को डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।
- बच्चों में कफ की समस्या 10 दिनों ज्यादा होना।
- 3 दिनों से अधिक समय तक 100.4 F (38˚C) से अधिक बुखार
- सांस लेने में दिक्कत
- छाती में दर्द की समस्या
- सांस लेते समय गर्दन या पसली के पिंजरे के आसपास की मांसपेशियां में दर्द की समस्या
- कान में इंफेक्शन के कारण टनिंग की समस्या
डॉक्टर बच्चे की सांस का चेकअप करेंगे और फिर एक्स-रे भी कर सकते हैं।
बच्चे को इमरजेंसी की जरूरत भी पड़ सकती है जब,
- बच्चा बहुत सुस्त या बीमार लग रह हो।
- डिहाइड्रेशन के लक्षण दिख रहे हो।
- तेजी से सांस ले रहा हो, सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही हो।
- होंठ, नाखून, या त्वचा पर नीले रंग के निशान दिख रहे हो। बच्चे को ऑक्सीजन की कमी होने पर शरीर नीले रंग का होने लगता है।
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इन बातों पर भी दें ध्यान
बच्चों को कफ की समस्या से बचाने के लिए शरीर की रोजाना 10-15 मिनट मालिश किसी भी नैचुरल ऑइल (सरसों, जैतून, बादाम) से जरूर करें। इससे ब्लड सर्क्युलेशन बढ़ता है और मसल्स मजबूत होती हैं। ध्यान दें कि मसाज हमेशा नीचे से ऊपर की ओर करनी चाहिए। मसाज अगर नैचुरल सनलाइट में की जाए तो इसका फायदा ज्यादा होता है। वहीं, नहलाते समय बच्चे को ज्यादा देर तक टब में न रहने दें और केवल गुनगुने पानी से ही बच्चे को नहलाएं।
सर्दी के समय फ्लू (flu) और जुकाम होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए, बच्चों को छूने से पहले अपने हाथों को अच्छे से साफ करें। इससे बच्चों को रोगाणुओं से बचाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही घर में आने वाले लोग भी हाइजीन का ख्याल रखें। किसी को सर्दी है तो उन्हें बच्चे से दूर रखें। बच्चे को किसी भी प्रकार के इंफेक्शन और सर्दी से बचाने के लिए ऊनी कपड़े जरूर पहना कर रखें। बच्चों को जरूरत से ज्यादा कपड़े भी न पहनाएं। वरना बच्चा असहज महसूस कर सकता है। बेहतर होगा कि उसके शरीर को ढके न की अधिक कपड़ों को पहनाएं।
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बच्चों में कफ की समस्या आम समस्या है। लेकिन बच्चों में कफ की समस्या कभी-कभी भयानक रूप भी ले सकती है। अगर कफ की शुरुआत हुई है तो घरेलू उपाय अपनाएं जा सकते हैं। लेकिन अधिक दिनों तक बच्चों में कफ की समस्या को अनदेखा न करें। बेहतर रहेगा कि डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और बीमारी का इलाज करें।