2. अस्थमा के लिए योगा – अनुलोम विलोम
अनुलोम विलोम कॉमन है। जिसे लगभग सभी लोग कर सकते हैं। इससे फेफड़े मजबूत होते हैं। यह एक तरह का सांस से जुड़ा आसन है। इसमें नाक के सिर्फ एक छिद्र के जरिए सांस ली जाती है और दूसरे छिद्र द्वारा छोड़ी जाती है। इस आसन को करने से फेफड़ों से गंदगी दूर हो जाती है, जिससे फेफड़े अच्छे से काम कर पाते हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए अनुलोम विलोम आसन को बेहद फायदेमंद माना जाता है।
कैसे करें
सबसे पहले अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन में बैठ जाएं। फिर दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छेद को बंद कर लें, और नाक के बाएं छेद से चार तक की गिनती में सांस लें। फिर नाक के बाएं छेद को अंगूठे के बगल वाली दो उंगलियों से बंद कर लें। फिर नाक के दाएं छेद से अंगूठे को हटा दें और आठ तक की गिनती में सांस बाहर निकालें। ये करने के बाद नाक के दाएं छेद से सांस भरें और नाक बंद कर दें। फिर नाक के बाएं छेद से उंगली हटाकर आठ तक की गिनती में सांस बाहर निकालें।
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3. अस्थमा के लिए योगा – शवासन योग
शवासन योग सिर्फ अस्थमा के लिए फायदेमंद नहीं है। यह खून में शुगर की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाने पर भी उसको कम करता है। इस योग को करना बेहद आसान है। इसे आप कहीं भी खुद से कर सकते हैं।
शवासन योग कैसे करें
सबसे पहले ऐसे स्थान का चयन करें, जहां हवा आती हो और आराम से आसन किया जा सके। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं, और अपने दोनों घुटनों के बल फासला रखें। फिर दोनों पैरों के पंजे बाहर और एड़ियां अंदर की ओर रखें। फिर दोनों हाथों को शरीर से लगभग कुछ दूरी पर रखें, और अपने दोनों हाथों की उंगलियां मुड़ी हुई, गर्दन सीधी रखें।
इस अवस्था में आगे बढ़ते हुए अपनी आंखें बंद कर लें और अपने पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक का भाग बिल्कुल ढीला छोड़ दें। फिर अपना ध्यान श्वास के ऊपर लगाएं और यह महसूस करें, कि दोनों नाक के छिद्रों से सांस अंदर जा रही है और बाहर आ रही है।