के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
दमा अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जहां ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) में सूजन के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। सूजन की वजह से मांसपेशियों के बीच से हवा पास होने में परेशानी होती है और घरघराहट की आवाज आती है। इसके साथ इसमें सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी भी होती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इस पर काबू जरूर पा सकते हैं।
अस्थमा (Asthma) के बारे में जानने से पहले अपनी सांस से जुड़े तत्वों के बारे में जानना आवश्यक होता है। आमतौर पर जब हम सांस लेते हैं तो हवा हमारी नाक या मुंह से हो कर गले और वायुमार्ग में जाती है। इसके बाद आखिरी में वह फेफड़ों में समा जाती है।
हमारे फेफड़ों में ऐसे कई छोटे पैसेज होते हैं, जो ऑक्सिजन को रक्त प्रवाह से मिलने में मदद करती है। जब वायुमार्ग में सूजन या उसके आसपास की मांसपेशियों में अकड़न आने लगती है तो यह अस्थमा का संकेत होता है। इसके बाद बलगम वायुमार्ग को भर देता है जिससे फेफड़ों तक हवा पहुंचने में कमी आने लगती है।
इस स्थिति के कारण अस्थमा अटैक पड़ सकता है। सीने में खांसी और अकड़न को आमतौर पर अस्थमा का लक्षण माना जाता है।
यह बेहद तेजी से फैलने वाली बीमारी है। दुनियाभर के लगभग 300 मिलियन लोग अस्थमा (Asthma) से पीड़ित हैं। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है लेकिन, बचपन में इसके संक्रमण (Infection) की संभावना ज्यादा होती है।
अस्थमा का अटैक तब होता है, जब आपके लक्षण अचानक से बिगड़ने लगते हैं। इस स्थिति में आपका वायुमार्ग सूजन, बलगम और अकड़न से भर जाता है।
हालांकि अस्थमा से ग्रस्त हर व्यक्ति को अस्थमा अटैक के एक जैसे सामान्य लक्षण नहीं होते हैं। आपको अलग समय पर अलग प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसके साथ ही लक्षण पहले अटैक के मुकाबले दूसरे अटैक में अधिक या कम गंभीर हो सकते हैं।
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अस्थमा के लक्षण हर व्यक्ति में अलग पाए जाते हैं। आपको अस्थमा का अटैक कई बार पड़ सकता है, लेकिन इसके लक्षण केवल कुछ विशेष समय पर ही दिखाई देते हैं। जैसे कि व्यायाम करते समय या हर समय।
इस बारे में र्किटिकल केयर विभाग के डॉक्टर विपिन भ्रामरे का कहना है कि हमारे हार्ट और फेफड़े एक-दूसरे से संबंधित हैं, बहुत की ड्रेमेटिक वे में। इन दोनों का ही काम, हमारे शरीर में ऑक्सिजन के संचार के जुड़ा है। लेकिन इसमें आयी गड़बड़ी कई कारणों से हो सकती है। इसमें गड़बड़ी होने के बहुत से कारण हो सकते हैं और उनसे कई प्रकार की दिक्कतें भी। यदि आपको सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है तो आपका दिल और फेफड़े दोनों ही स्वस्थ्य हैं। यदि आपकों सांस लेने में कठनाई हो रही है, तो इसके कई कारण हो सकते हैं। फेफड़े और श्वसन तंत्र की समस्याओं में शामिल हैं, जैसे कि किसी प्रकार का इंफेक्शन (Infection) , एलर्जी (Allergy), ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) और अस्थमा की समस्या। सांस फूलने का मतलब यह भी हो सकता है कि दिल की कोई बीमारी भी हो सकती है।
दमा अस्थमा के सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं –
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आमतौर पर अस्थमा के लक्षण अस्थमा के प्रकार पर निर्भर करते हैं। दमा अस्थमा के कई विभिन्न प्रकार हैं। इनमें से सबसे सामान्य ब्रोन्कियल अस्थमा है जो कि फेफड़ों की ब्रांकाई को प्रभावित करता है।
अस्थमा के अन्य मुख्य प्रकारों में बच्चों में अस्थमा और वयस्कों में अस्थमा शामिल है। वयस्कों में होने वाले अस्थमा के लक्षण 20 वर्ष की उम्र के बाद दिखाई देने लगते हैं।
तो चलिए अब जानते हैं दमा अस्थमा के अन्य प्रकार के बारे में, जिनके आधार पर व्यक्ति के लक्षणों की पहचान की जा सकती है –
आपातकालीन स्थिति में आपको निम्न संकेत और लक्षण दिखाई दे सकते हैं –
अस्थमा के गंभीर अटैक जानलेवा हो सकते हैं। अगर ऊपर दिए गए लक्षणों में से आपको कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि बीमारी जितनी पुरानी होगी तकलीफ उतनी ही बढ़ेगी।
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आज तक अस्थमा के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि करने में भी असफल हैं कि क्यों कुछ लोगों को दमा की समस्या होती है और बाकियों को नहीं।
इसका कोई एक सटीक कारण नहीं है। हालांकि, कुछ ऐसे ट्रिगर हैं जो दमा अस्थमा का कारण बन सकते हैं। यह आमतौर पर अनुवांशिक और व्यक्ति के आसपास के पर्यावरण पर निर्भर करते हैं –
अस्थमा अटैक एलर्जन के संपर्क में आने से हो सकता है, जैसे कि पेड़, घास या खरपतवार, धूल के कण, तिलचट्टे या जानवरों की डैंडर। अन्य सामान्य ट्रिगर हवा में पाए जाते हैं, जैसे कि धुआं और रासायनिक धुएं स्ट्रॉन्ग गंध जैसे इत्र।
कुछ बीमारियां – विशेष रूप से फ्लू (Flu), साइनसाइटिस या यहां तक कि एक श्वसन संक्रमण – भी अस्थमा के दौरे को ट्रिगर कर सकता है, जैसा कि इंटेंस एक्सरसाइज , एक्सट्रीम वेदर और इमोशन जो सामान्य श्वास पैटर्न को बदल देते हैं।
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दमा अस्थमा हर उम्र के लोगों पर प्रभाव डालता है लेकिन, बचपन में दमा अस्थमा की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
दमा अस्थमा के यह कुछ सामान्य कारण हैं;
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बच्चों में ट्रिगर्स
कुछ ट्रिगर अस्थमा से पीड़ित बच्चों को विशेष रूप से प्रभावित करते हैं और फेफड़ों में इंफ्लमेशन को और भी बदतर बना सकते हैं। बहुत छोटे बच्चों में अस्थमा के अटैक के लिए सामान्य सर्दी सबसे अधिक होने वाले ट्रिगर में से एक है। दूसरो में शामिल हैं:
यदि आपके बच्चे को अस्थमा है, तो एलर्जिस्ट आपको उन ट्रिगर्स की खोज करने में मदद करेगा जो लक्षणों को लाते हैं या उन्हें और भी खराब करते हैं। लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए पहला कदम यह है कि आपके बच्चे को उन चीजों से दूर करें जो खांसी और कफ देता है।
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अस्थमा और उसके अटैक को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है। हालांकि, आप अपने डॉक्टर के साथ मिलकर एक स्टेप-बाय-स्टेप प्लान तैयार कर। इस प्लान में आप अपनी जीवनशैली के बदलाव और आसपास की जगहों के बारे में परामर्श ले सकते हैं। डॉक्टर आपको बताएंगे कि आपको किस अवस्था में अस्थमा की अधिक समस्या हो सकती है और उससे कैसे परहेज करें।
अस्थमा अटैक के खतरे को कम करने के लिए निम्न बातों का खास ध्यान रखें –
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नियमित योग से शरीर को बीमारियों से दूर रखा जा सकता है। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर जानें योग करने का तरीका
इसका पता मरीज की मेडिकल हिस्ट्री देखकर या फिर ब्रीथिंग टेस्ट द्वारा लगाया जाता है। इससे पता चलता है कि फेफड़े कितनी अच्छी तरीके से कार्य कर रहे हैं। डॉक्टर आपकी धड़कन सुनकर और कुछ अन्य लक्षण देखकर पता लगा सकता है कि आपको दमा अस्थमा है या नहीं।
डॉक्टर कुछ टेस्ट कर सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं;
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अस्थमा के इलाज से पहले स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए नेशनल अस्थमा एजुकेशन एंड प्रिवेंशन प्रोग्राम (National Asthma Education and Prevention Program) के तहत इसके चरणों की पहचान करने से निदान में मदद मिलती है।
अस्थमा के चरण कुछ इस प्रकार हैं –
वर्तमान में, इसका कोई उपचार नहीं है लेकिन, दवाओं का सेवन करके और अपनी जीवनशैली में बदलाव करके दमा अस्थमा को काबू में किया जा सकता है।
आमतौर पर ली जाने वाली कुछ दवाओं का उपयोग किया जाता है और कुछ दवाओं को सांस के द्वारा लिया जाता है जैसे कि, टिको स्टेरॉइड्स (फ्लाइक्टासोन (फ्लोवेट डिस्कस, फ्लोवेंट एचएफए)), बुडेसोनाइड (पल्मिकॉर्ट फ्लेक्सहेलर), मेमेटासोन (असेंमेक्स), कोलिसोनाइड (अल्वेसको), फ्लुनिसोलाइड (एरोबिड), एस्लेलोमीथासोन (क्वावर) शामिल हैं। ल्यूकोट्रिअन मॉडिफायर्स दवाएं हैं जिनमें मोंटेलुकास्ट (सिंगुलैर), जाफिरुकास्ट (एकोलेट) और जाइलुटोन (जीफ्लो, जेफ्लो सीआर) शामिल हैं।
कुछ दवाएं हैं जिनका उपयोग त्वरित-राहत के लिए किया जाता है। इनमें शामिल हैं: बीटा-एगोनिस्ट। इन ब्रोन्कोडायलेटर दवाओं में अल्ब्युटेरोल (प्रोएयर एचएफए, वेंटोलिन एचएफए, अन्य), लेवलब्युटेरोल (एक्सोपेनेक्स एचएफए) और पायरब्यूटेरोल (मैक्सेयर ऑटोहेलर) इत्यादि शामिल हैं।
सांस संबंधी व्यायाम की मदद से आप अपने फेफड़ों में अधिक से अधिक सांस पहुंचा सकते हैं। समय के साथ-साथ यह आपके फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने व गंभीर अस्थमा को कम करने में मदद करती है।
आपके डॉक्टर या अन्य एक्सपर्ट आपको इस प्रकार के व्यायाम सिखाने में मदद कर सकते हैं।
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अगर आपके सामने किसी व्यक्ति को अस्थमा अटैक आता है तो उन्हें सीधा बैठने के लिए कहें और तुरंत इनहेलर का इस्तेमाल करवाएं। दमा अस्थमा के इनहेलर के दो से छह पफ व्यक्ति के लक्षणों को कम कर सकते हैं जिससे उन्हें राहत मिलेगी।
यदि 20 मिनट बाद भी लक्षण कम नहीं होते हैं और दोबारा इनहेलर का इस्तेमाल करने से भी किसी प्रकार की मदद नहीं मिलती है तो तुरंत डॉक्टर या आपातकालीन कक्षं से संपर्क करें।
अगर आपको बार-बार इस प्रकार के अस्थमा अटैक आते रहते हैं तो आपको अपने डॉक्टर से लंबे समय के लिए इलाज का विकल्प चुनने की सलाह लेने की जरूरत पड़ सकती है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको दमा अस्थमा से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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