backup og meta

प्रति मिनट 6.5 लीटर हवा खींचते हैं हम, जानें सांसों (breathing) के बारे में ऐसे ही मजेदार फैक्ट्स

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Priyanka Srivastava द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/04/2021

    प्रति मिनट 6.5 लीटर हवा खींचते हैं हम, जानें सांसों (breathing) के बारे में ऐसे ही मजेदार फैक्ट्स

    अब तक आप सांस के बारे में इतना ही जानते होंगे कि हम सांस लेते हैं और कैसे हमारे फेफड़े जीवनदायनी ऑक्सिजन को उसमें समाहित करते हैं। या आगे थोड़ा और जानते होंगे कि ऑक्सिजन इसके बाद हमारे खून में मिलती है और फिर शरीर इसका जरूरत मुताबिक इस्तेमाल करता है। लेकिन सांसों से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य हैं जो आपने कभी नहीं सुने होंगे। इस आर्टिकल में जानें अपनी सांस के बारे में बेहतरीन फन फैक्ट्स और अपने दोस्तों से भी करें शेयर।

    सांस के बारे में रोचक तथ्य

    • सांस के बारे में सबसे मजेदार फैक्ट यह है कि हर व्यक्ति औसतन प्रति मिनट 6.5 लीटर बराबर हवा खींचता है।
    • 1243 में, अरब चिकित्सक इब्न अल-नफीस सांस लेने की प्रक्रिया का वर्णन करने वाले पहले व्यक्ति थे।
    • सांस का ऑक्सिजन से बहुत ज्यादा संबंध नहीं है। क्योंकि वायु में 21 प्रतिशत ऑक्सिजन है जबकि शरीर को केवल 5 प्रतिशत की जरूरत है।

    सांस लेकर खुदकी सफाई करते हैं फेफड़े

    सांस के बारे में एक और रोचक तथ्य यह भी है कि सांस लेकर आपके फेफड़े खुद की सफाई भी कर लेते हैं। स्वच्छा हवा फेफड़ों में भरते ही उनकी 70 प्रतिशत गंदगी खत्म हो जाती है।

    और पढ़ें : ये सिगरेट कहीं आपको नपुंसक न बना दे, जानें इससे जुड़ी हैरान करन देने वाली बातें

    सांस है हमारे मूड का इंडीकेटर

    सांस के बारे में सबसे मजेदार तथ्य यह है कि यह हमारा मूड इंडीकेटर है। जिसका मतलब है की जब हमारा मूड बदलता है तो सांसों की दर बदलती है और जब सांसें धीमी या तेज होती हैं तो मूड बदलता है। बात करें महिलाओं, पुरुष और बच्चाें के सांस लेने की तो बच्चे और महिलाओं के सांस लेने की दर पुरुषों से ज्यादा तेज होती है।

    सांस के जरिए हम पानी भी छोड़ते हैं

    सांस के बारे में एक और मजेदार तथ्य यह है कि मनुष्य सांसों के जरिए हर घंटे 17.5 एमएल पानी बाहर छोड़ते हैं। यह पानी एक तरह से भाप की तरह बाहर निकलता है, जो हमें दिखाई नहीं देता।

    सांस कई चीजों को करती है कंट्रोल

    सांस लेना शरीर की एकमात्र ऑटोनॉमस प्रणाली है जिसे हम नियंत्रित भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसके उलट सांस हमारे शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित कर सकती है। उदाहरण के तौर पर धीरे-धीरे सांस लेना और लंबी सांसें लेने से आपकी भूख कम हो सकती है। जो लोग जल्दी या तेजी से सांस लेते हैं वे अक्सर अधिक भोजन करते हैं।

    बीमारियों और सांस के बारे में

    एक सामान्य आदमी एक मिनट में 12 बार सांस लेता है। वहीं एक अस्थमा रोगी या जो लोग हाइपरवेन्टीलेट करते है वे इससे दोगुनी बार सांस लेते हैं और यह अधिक मात्रा में ऑक्सिजन लेते है और बहुत अधिक CO2 बाहर निकालते हैं। मुंह से सांस लेना निम्नलिखित समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है जैसे सांसों की बदबू, खर्राटे, स्लीप एप्नियाऔर रात के समय पेशाब। सांस के बारे में एक और रोचक तथ्य यह है कि हम सांस लेते समय दाएं नथूने से ज्यादा सांस लेते हैं। दोनों से बराबर कभी नहीं लेते।

    सांस के बारे में ऐसे समझें (Breathing Mechanics)

    साइंस की भाषा में देखें तो सांस के बारे में कहा जाता है कि यह एक वैंटिलेशन प्रॉसेस है। वैंटिलेशन इसलिए क्योंकि इस प्रकिया में सांस अंदर ली जाती है और छोड़ी जाती है। सांस अंदर लेने के दौरान फूड पाइप का डाइफ्रम संकुचित होता है। इसके साथ ही मसल्स नीचे की ओर धकेले जाते हैं, जिससे हवा आने के लिए जगह बनती है और छाती फूल जाती है।

    कम हो जाता है फेफड़ों का दबाव

    छाती के फूलने से हवा के लिए पर्याप्त जगह बन जाती है। इसके साथ ही फेफड़ों में लो प्रेशर हो जाता है। हवा का सिद्धांत है कि वह हाई प्रेशर से लो प्रेशर की ओर बहती है। शरीर से बाहर यानी हमारे आसपास की हवा हाई प्रेशर की ही होती है। इसकी वजह से यह नाक के जरिए लो प्रेशर जोन यानी हमारे फेफड़ों की ओर आसानी से पहुंच जाती है। निश्चित है सांस के बारे में आपने यह बातें पहले कभी नहीं सुनी होंगी।

    और पढ़ें : किसी के साथ प्यार में पड़ने से लगता है डर, तो हो सकता है फिलोफोबिया

    ऐसे बाहर जाती है सांस

    जब हम रिलेक्स होते हैं या सांस छोड़ने को होते हैं तब डाइफ्रम और उससे जुड़े मसल्स ढीले पड़ जाते हैं। इनके ढीले पड़ते ही फेफड़ों में कैद हवा बाहर जाने के लिए बाध्य हो जाती है। इसी तरह से कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है और सांस लेने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।

    सांस ऐसे होती है कंट्रोल

    दिमाग में सांस संबंधी फंक्शन पहले से ही सेट है। यह फंक्शन शरीर के श्वास तंत्र को संदेश देता है कि उसे कब सांस लेनी है और कब छोड़नी है। हमें इसके लिए बार-बार सोचने की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि, हम स्थिति अनुसार श्वास पर नियंत्रण कर सकते हैं, जो हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

    कार्बन-ऑक्सिजन के हिसाब से चलती हैं सांसें

    सांस के बारे में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली रिपोर्ट 2004 में आई थी। विलिमोर और कॉस्टिल की 2004 की रिपोर्ट में यह सिद्ध किया गया कि हम कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सिजन के स्तर के हिसाब से सांस लेते हैं। हमारा दिमाग इतना चतुर है कि यह सांसाें में कार्बन और ऑक्सिजन के स्तर को मांप सकता है। इस स्तर में संतुलन बनाए रखने के लिए यह लगातार श्वास प्रणाली को संदेश देता रहता है।

    और पढ़ें : तो इसलिए पुरुष नहीं कर पाते हैं एक साथ कई काम, जानें कुछ और फैक्ट्स 

    हम तेजी से सांसें क्यों लेते हैं?

    सांस के बारे में हम यह तो जानते ही हैं कि किसी मेहनत के काम के दौरान हम ज्यादा सांस लेते हैं। ऐसा क्यों होता है, इसे ऐसे समझें। उदाहरण के तौर पर जब हम दौड़ रहे होते हैं या एक्सरसाइज कर रहे होते हैं तब हमारे शरीर में कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। दिमाग को तुरंत इस बात का अहसास हो जाता है और वह श्वास तंत्रिका को गहरी और तेजी से सांस लेने का संदेश भेजता है।

    देखा आपने सांस के बारे में रोचक तथ्य कितने ही हैरान कर देने वाले हैं? क्या अपने सोचा था जो चीज आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसके बारे में आप कुछ कम ही जानते थे? हमारी वेबवाइट के फन फैक्ट कॉलम में पढ़े हेल्थ संबंधित ऐसे ही रोचक और मजेदार तथ्य। 

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Dr Sharayu Maknikar


    Priyanka Srivastava द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/04/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement