सांस ऐसे होती है कंट्रोल
दिमाग में सांस संबंधी फंक्शन पहले से ही सेट है। यह फंक्शन शरीर के श्वास तंत्र को संदेश देता है कि उसे कब सांस लेनी है और कब छोड़नी है। हमें इसके लिए बार-बार सोचने की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि, हम स्थिति अनुसार श्वास पर नियंत्रण कर सकते हैं, जो हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
कार्बन-ऑक्सिजन के हिसाब से चलती हैं सांसें
सांस के बारे में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली रिपोर्ट 2004 में आई थी। विलिमोर और कॉस्टिल की 2004 की रिपोर्ट में यह सिद्ध किया गया कि हम कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सिजन के स्तर के हिसाब से सांस लेते हैं। हमारा दिमाग इतना चतुर है कि यह सांसाें में कार्बन और ऑक्सिजन के स्तर को मांप सकता है। इस स्तर में संतुलन बनाए रखने के लिए यह लगातार श्वास प्रणाली को संदेश देता रहता है।
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हम तेजी से सांसें क्यों लेते हैं?
सांस के बारे में हम यह तो जानते ही हैं कि किसी मेहनत के काम के दौरान हम ज्यादा सांस लेते हैं। ऐसा क्यों होता है, इसे ऐसे समझें। उदाहरण के तौर पर जब हम दौड़ रहे होते हैं या एक्सरसाइज कर रहे होते हैं तब हमारे शरीर में कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। दिमाग को तुरंत इस बात का अहसास हो जाता है और वह श्वास तंत्रिका को गहरी और तेजी से सांस लेने का संदेश भेजता है।
देखा आपने सांस के बारे में रोचक तथ्य कितने ही हैरान कर देने वाले हैं? क्या अपने सोचा था जो चीज आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसके बारे में आप कुछ कम ही जानते थे? हमारी वेबवाइट के फन फैक्ट कॉलम में पढ़े हेल्थ संबंधित ऐसे ही रोचक और मजेदार तथ्य।