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ओरल हेल्थ की समस्या : ऐसे करें डायग्नोज (Diagnosing oral diseases)
ओरल हेल्थ की समस्या को कुछ तरीकों से पहचाना जा सकता है, जिसमें डेंटल एक्स रे, एमआरआय स्कैन, सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी का समावेश होता है। डेंटल एक्स रे की मदद से डॉक्टर आपके दांतों की जड़ को आसानी से देख सकते हैं, जिससे पता लगाया जा सकता है कि आपको मसूड़ों से जुड़ी कोई समस्या तो नहीं है।
ओरल हेल्थ : क्योंकि ट्रीटमेंट है जरूरी! (Treatment of oral diseases)

डेंटल समस्याओं में को कई तरह से ठीक किया जा सकता है, जिसमें प्रोफेशनल क्लीनिंग के साथ-साथ डेंटिस्ट के पास रूटीन चेकअप भी एक समाधान है। इसके अलावा डेंटिस्ट आपको अलग-अलग ट्रीटमेंट दे सकते हैं,जिसमें मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं, इंफेक्शन और दूसरी प्रॉब्लम्स का समाधान मौजूद है।चलिए जानते हैं ओरल हेल्थ (Oral Health) को बनाए रखने के लिए इन समस्याओं का समाधान कैसे करें।
क्लीनिंग (Cleanings)
प्रोफेशनल क्लीनिंग से आपके दांतों पर मौजूद प्लाक को आसानी से हटाया जा सकता है, जिसे ब्रश या फ्लॉसिंग की मदद से निकाला जाता है। इसके अलावा दातों में मौजूद टार्टर को भी प्रोफेशनल क्लीनिंग के जरिए साफ किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को डेंटल हाइजीनिस्ट के जरिए पूरा किया जाता है। टार्टर के निकाले जाने के बाद डेंटल हाइजीनिस्ट हाय पावर टूथब्रश से आपके दातों को साफ करते हैं, जिसके बाद फ्लॉसिंग और रिंसिंग के साथ आपके दातों को क्लीन किया जाता है। इस डीप क्लीनिंग की प्रक्रिया को रूट प्लानिंग और स्केलिंग के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रक्रिया से ना सिर्फ आपके दातों पर मौजूद टार्टर निकाला जाता है, बल्कि गम लाइन की भी अंदर तक सफाई की जाती है।
फ्लोराइड ट्रीटमेंट (Fluoride treatments)
डेंटल क्लीनिंग के अलावा डेंटिस्ट आपको फ्लोराइड ट्रीटमेंट की सलाह भी दे सकते हैं, जो कैविटी से आपके दांतो को बचाती है। फ्लोराइड एक नेचुरल मिनिरल के तौर पर माना जाता है, यह आपके दातों के इनैमल को मजबूत बनाता है और दातों को बैक्टीरिया और एसिड से दूर रखता है।
एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
इन ट्रीटमेंट के अलावा यदि आप गम इंफेक्शन से जूझ रहे हैं, तो आपको डेंटिस्ट द्वारा एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह भी दी जा सकती है। गम इंफेक्शन जल्दी ही आपके जबड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसीलिए डेंटिस्ट आपको एंटीबायोटिक्स प्रिसक्राइब कर सकते हैं। एंटीबायोटिक्स के अलावा डॉक्टर माउथ जेल, ओरल टैबलेट और कैप्सूल के रूप में भी आपको दवा दे सकते हैं।
टूथ फिलिंग (Fillings)
यदि आपके दांतो को ज्यादा नुकसान पहुंचा है, तो डेंटिस्ट आपको कैविटी से निपटने के लिए टूथ फिलिंग की भी सलाह दे सकते हैं। इसमें डेंटिस्ट आपके दातों में ड्रिल करके उसमें कंपोजिट भरते हैं। इसके साथ-साथ क्राउंस और सीलेंट्स की प्रक्रिया से भी दांतों की देखभाल की जा सकती हैं।
रूट कैनाल (Root canal)
यदि आपको टूथ डेकेय की समस्या हो चुकी है, तो रूट कैनाल के जरिए डेंटिस्ट आपकी मदद कर सकते हैं। रूट कैनाल के दौरान दांतों में मौजूद नर्व को या तो बदला जाता है या निकाल दिया जाता है। और उसकी जगह पर बायो कंपोज़िट मटेरियल या एड्हेसिव सीमेंट भर दिया जाता है। इस तरह आपके दातों को नुकसान पहुंचाने से बचाया जा सकता है और आपको दर्द से राहत मिलती है।
सर्जरीज (Surgery for Oral problems)
डेंटल और ओरल प्रॉब्लम से लड़ने के लिए सर्जरीज का सहारा भी लिया जा सकता है, जिसमें फ्लैप सर्जरी, बोन ग्राफ्टिंग, सॉफ्ट टिशु ग्राफ्ट, टूथ एक्सट्रैक्शन और डेंटल इंप्लांट्स जैसी सर्जरीज का भी सहारा लिया जाता है। दांतो से जुड़ी अलग-अलग समस्याओं के लिए इन सर्जरीज की सलाह डेंटिस्ट आपको दे सकते हैं।
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ओरल हेल्थ की दिक्कत का ये है समधान!
ओरल हेल्थ हर उम्र के लोगों के लिएजरूरी है और साथ ही यह हर उम्र के लोगों के लिए बड़ी समस्या भी साबित हो सकती है। ओरल हेल्थ आपकी ओवर ऑल हेल्थ को इफेक्ट कर सकती है। व्यस्कों तो इसके बारें में जानकारी लेकर खुद की ओरल हाइजीन का ख्याल रख सकते हैं। लेकिन बच्चे और बुजुर्गों को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती और साथ ही उनके लिए यह समस्या बहुत बड़ी भी हो सकती है। ओरल हेल्थ (Oral Health) को बनाए रखने के लिए टिप्स:
- दिन में दो बार ब्रश करें।
- एक बार ब्रश करने में तीन मिनट का समय दें।
- ब्रश करते समय दांतों और मसूड़ों पर ब्रश को ज्यादा रगड़ें नहीं, बल्कि, हल्के हाथों से ब्रश को इधर-उधर घुमाएं।
- ब्रश करने के बाद उंगली से धीरे-धीरे मसूड़ों की मालिश करें, इससे मसूड़े मजबूत होते हैं।
- दांतों के बीच फंसे टुकड़ों को निकालने के लिए फ्लॉस (धागे से दांतों की सफाई) का इस्तेमाल करें।
- फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट और माउथवॉश का इस्तेमाल करें।
- कुछ भी खाने के बाद कुल्ला जरूर करें।
- दांतों की तरह ही रोजाना जीभ की सफाई करनी भी जरूरी है।
- जीभ की सफाई के लिए टंग क्लीनर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- हर रोज अपने मुंह की जांच करें। अगर किसी तरह की सूजन, कटने के निशान या कोई स्पॉट नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- साल में कम से कम दो बार किसी अच्छे डेंटिस्ट से अपने ओरल हेल्थ (Oral Health) की जांच करवाएं।
बच्चों को ओरल हेल्थ को बनाए रखना भी पेरेंट्स के लिए एक चुनौती हो जाती है। इसके अलावा छोटी उम्र में ही बच्चों में ओरल हाइजीन का ख्याल रखकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जा सकता है। बच्चों में ओरल हेल्थ (Oral Health) को बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स हैं:
बच्चों के ओरल हाइजीन को बनाए मजेदार
बच्चों को ओरल हेल्थ (Oral Health) के लिए जागरूक करने के लिए उन्हें समझाएं कि ओरल हाइजीन उनके लिए क्यों जरूरी है। साथ ही उन्हें यह भी बताना चाहिए कि ओरल हेल्थ का ख्याल न रखने पर उन्हें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा दांत व मसूड़ों में परेशानी होने पर वे कैसे अपनी पसंदीदा आइसक्रीम और कैंडी का मजा नही ले पाएंगे। साथ ही पेरेंट्स बच्चों की ओरल हाइजीन को मजेदार बनाकर उन्हें यह करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं:
- बच्चों को अपना टूथब्रश चुनने की आजादी दें। ऐसे में वे अपनी पसंद के कार्टून कैरेक्टर वाला ब्रश चुन सकते हैं, साथ ही इसके साथ वे अपने पसंदीदा कैरेक्टर के साथ खेलते हुए अपनी ओरल हेल्थ (Oral Health) का ध्यान रख सकेंगे।
- बच्चों को उनकी पसंद के फ्लेवर का टूथपेस्ट लाकर दें। अपनी पसंद का फ्लेवर होने पर बच्चे ब्रश करते समय नखरे नहीं दिखाएंगे।
- बच्चों की ओरल हाइजीन के बारे में किताबें पढ़ें या वीडियो देखें और जानकारी इकट्ठा करके उनसे इस बारे में बात करें।
- बच्चों की ओरल हाइजीन को मेंटेन करने के लिए टाइमर का भी इस्तेमाल कर सकते है। जान लें कि बच्चों को कम से कम दो मिनट के लिए अपने दांत ब्रश करने चाहिए, समय का ख्याल रखने के लिए उनका पसंदीदा गाना बजा सकते हैं।
- बच्चों की ओरल हाइजीन अच्छी होने पर उन्हे मोटिवेट करें। उन्हें मीठी चीजें न दें। इसके बदले में बच्चों को फल या कुछ और हेल्दी चीजें दें
बच्चों की ओरल हाइजीन बेहतर करने के बहुत से उपाय हैं लेकिन पेरेंट्स का इन पर ध्यान देना जरूरी है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान ओरल हेल्थ (Oral Health during Pregnancy)
साथ ही प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए भी ओरल हेल्थ का ख्याल रखने की जरूरत होती है। मॉर्निग सीकनेस और हॉर्मोनल बदलाव के कारण गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। प्रेग्नेंट महिलाएं कुछ टिप्स को फॉलो करके इन समस्याओं से बच सकती हैं।
- गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस होना भी एक आम समस्या है। ऐसे में अगर दांतों को ब्रश करने में परेशानी हो, तो ऐसा टूथपेस्ट चुनें जिसका स्वाद माइल्ड हो।
- प्रेग्नेंसी के दौरान मसूड़ों में सेंसटिविटी भी हो जाती है। ऐसे में क्लोरिनेटेड पानी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। इस तरह के पानी के इस्तेमाल से दांत कमजोर हो जाते हैं और साथ ही हिलने की भी समस्या हो सकती है। कई मामलों में इसके लक्षण अभी नहीं एक उम्र के बाद दिख सकते हैं।
- किसी भी तरह की ओरल हाइजीन की समस्या में बिना डॉक्टर के पारमर्श के एक्स-रे या किसी अन्य तरह की जांच भी न कराएं।
ओरल हेल्थ प्रॉब्लम : मिथ्स हैं, तो फैक्ट्स भी हैं!
अक्सर ओरल हाइजीन और ओरल हेल्थ को लेकर हम कुछ मनगढ़ इन बातों पर विश्वास कर लेते हैं, जो आगे चलकर ओरल समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। इसीलिए आज हम आपको ओरल हेल्थ से जुड़े कुछ ऐसे मिथ्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके फैक्ट जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
मिथ: मसूड़ों से खून आना कोई बड़ी बात नहीं है।
फैक्ट : लोगों का मानना है कि मसूड़ों से खून आना एक आम समस्या है। अक्सर लोग सोचते हैं कि ब्रश करने के दौरान छोटी-मोटी चोट की वजह से खून आ सकता है, लेकिन यह बहुत बड़ा मिथ है। फैक्ट यह है कि मसूड़ों में सूजन होने की वजह से खून आने की समस्या होती है, जो एक ओरल हेल्थ (Oral Health) प्रॉब्लम मानी जाती है। मसूड़ों में सूजन, बैक्टीरियल इन्फेक्शन, जिंजिवाइटिस या दातों में प्लाक जमा होने की वजह से हो सकती है, इसीलिए ऐसी स्थिति में लापरवाही ना बरतते हुए डेंटिस्ट को दिखाना एक सही फैसला हो सकता है।
मिथ : ओरल हाइजीन में फ्लॉसिंग की कोई जरूरत नहीं है।
फैक्ट : अक्सर लोग सिर्फ दांतों को ब्रश करके अपनी होरल हाइजीन मेंटेन रखने की बात सोचते हैं। लेकिन फ्लॉसिंग ओरल केयर रूटीन का एक अभिन्न हिस्सा है। अक्सर लोगों को मसूड़ों में ऐसी जगह पर तकलीफ होती है, जहां पर रोजाना साफ-सफाई नहीं होती। दांतो के बीच का ऐसा हिस्सा जो ब्रश की पहुंच से बाहर होता है यहीं पर प्लाक जमने की समस्या होती है और यही मसूड़ों में सड़न पैदा करता है।इसीलिए फ्लॉसिंग करना आपके लिए बेहद जरूरी माना होता है।
मिथ : दांतों में दर्द हो, तभी डेंटल चेकअप की जरूरत है।
फैक्ट : कई बार लोग यह सोचते हैं कि डेंटल चेकअप तभी कराना चाहिए, जब आपके दांतों में तेज दर्द हो रहा हो। लेकिन यह एक बड़ी मुसीबत को आमंत्रण देना साबित हो सकता है। दांतों और मसूड़ों से जुड़ी हुई तकलीफ आपको लंबे समय तक परेशान कर सकती है, इसीलिए हर थोड़े समय में डेंटल चेकअप करवाते रहना चाहिए।दातों की छोटी-मोटी समस्याओं को नजरअंदाज करके यदि आप डेंटिस्ट के पास जाने से बचते रहेंगे, तो आपको आगे चलकर दांतो से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
ओरल हेल्थ : क्योंकि खान पान का ध्यान रखना भी है जरूरी (Food for oral health)
कुछ भी खाने से पहले यह जरूर जान लें कि वह आपके दांतों या मूसूड़ों पर किस तरह का प्रभाव डाल सकता है।
- कोशिश करें कि मीठा कम खाएं।
- बाजार में मिलने वाले सॉफ्ट ड्रिंक या कोल्ड ड्रिंक न पिएं।
- दूध या दूध से बनी चीजें, मांस, मछली, प्याज, लहसुन जैसी चीजें दांतों के बीच में फंस सकती हैं। इसलिए खाने के बाद साफ पानी से कुल्ला जरूर करें।
- दिन भर पानी की अधिक मात्रा पिएं।
- ताजी और रेशेदार सब्जियों का अधिक सेवन करें।
- फास्ट फूड से दूर बनाएं।
- धूम्रपान से दूरी बनाएं रहें। तंबाकू खाने से मुंह का कैंसर हो सकता है। इसके अलावा, धूम्रपान मसूड़ों की बीमारी, मुंह से दुर्गंध आना, दांतों का पीला पड़ना जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
- मुंह में ड्राईनेस की समस्या बार-बार आती हो, तो शुगर फ्री गम चबाना लाभकारी हो सकता है। इससे मुंह में लार बनती रहेगी।
तो यह थे ओरल हेल्थ (Oral Health) से जुड़े कुछ जरूरी टिप्स, जो आपके मुंह का स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करेंगे। अगर आपका मुंह स्वस्थ रहेगा, तो कई तरह की बीमारियां भी आपसे दूर रहेंगी।