पुरुषों में होने वाले हॉर्मोनल अंसतुलन प्रॉब्लम का उपचार
पुरुषों में होने वाले हॉर्मोनल प्राॅब्लम के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन इसके उपचार के लिए जरूरी है कि दवाओं के साथ अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं। अच्छी लाइफस्टाइल आपको शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जोने कैसी हो आपकी लाइफ स्टाइल।
वेट कंट्राेल होना है जरूरी
इस बारे में सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर एस के शर्मा का कहना है कि जब कोई पुरुष खुद को सेक्स के दौरान तैयार नहीं कर पाता या सेक्स के लिए इरेक्शन नहीं रख सकता है, उस स्थिति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहा जाता है। कभी-कभी इरेक्शन की समस्या का होना स्वास्थ्य के प्रति चिंता का विषय नहीं है लेकिन, ऐसा लगातार हो रहा है, तो यह तनाव, कॉन्फिडेंस की कमी और रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है। इसके अलावा, इरेक्शन न होना कुछ गंभीर हेल्थ कंडिशन से भी पर्दा उठा सकता है, जिन्हें तत्काल मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है।
कभी-कभी, एक अंडरलाइन कंडिशन का इलाज करना ही ईडी से छुटकारा पाने के लिए पर्याप्त है। दूसरी ओर, ईडी को ठीक करने की प्रक्रिया में दवाएं या दूसरे तरीके भी हो सकते सकते हैं।
आपको डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

ये बात सच है कि इस कंडिशन में आपको डॉक्टर के पास जाने में शर्मिंदा या अनिच्छा हो सकती है लेकिन, अगर आप कुछ हफ्तों से स्तंभन दोष से जूझ रहे हैं, तो आपको डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। डॉक्टर आपकी हेल्थ की नॉर्मल कंडिशन को समझ कर कई टेस्ट करवा सकते है और इस बात का पता लगा सकते हैं कि कौन-सी हेल्थ कंडिशन ज्यादा सीरियस है, जैसे हृदय रोग।
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स्तंभन दोष के प्रकार (Types of Erectile Dysfunction)
नपुंसकता के दो मुख्य प्रकार होते हैं –
इस्कीमिक प्रियपिज्म (Ischemic priapism) – इसके अर्थ होता है लो फ्लो इरेक्टाइल डिसफंक्शन। इस प्रकार के स्तंभन दोष में रक्त इरेक्शन चेंबर में फस जाता है जिसके कारण लिंग उत्तेजित होने में असक्षम होता है।
नॉन-इस्कीमिक प्रियपिज्म (Non-ischemic priapism) – इरेक्टाइल डिसफंक्शन का यह प्रकार लो फ्लो के मुकाबले अधिक दुलर्भ होता है। इसे आसान भाषा में हाई फ्लो इम्पोटेंस कहते हैं। यह स्थिति कम दर्दनाक होती है और आमतौर पर किसी चोट के कारण विकसित होती है। इंजरी के कारण लिंग सही तरीके से गतिविधि नहीं कर पाता है।
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) के लक्षण
आप इरेक्टाइल डिसफंक्शन से तब ग्रस्त होते हैं, जब आपको निम्न लक्षण दिखाई दें – ( Symptoms of Erectile Dysfunction)

- लिंग को इरेक्ट और मजबूत बनाए रखने में समस्या होना
- इरेक्शन (लिंग उत्तेजित होना) में दिक्कत आना
- कामोत्तेजना में कमी
इरेक्टाइल डिसफंक्शन से जुड़े अन्य यौन विकार में निम्न शामिल हैं –
- स्खलन में देरी आना
- शीघ्रपतन
- अनोर्गास्मिया (इस स्थिति में व्यक्ति उत्तेजित होने के बाद भी चरम-सुख प्राप्त नहीं कर पाता है)
अगर आपको तीन या उससे अधिक महीनों से इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टरी जांच द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि आपको यह स्थिति किसी अन्य रोग के कारण हो रही है और इसके इलाज की जरूरत है या नहीं।
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण (Causes of Erectile Dysfunction)
शारीरिक और मानसिक दोनों ही कारणों से स्तंभन दोष हो सकता है। शारीरिक लक्षणों में शामिल हैं:
- लिंग में जाने वाली रक्त वाहिकाओं का संकुचित या नैरो होना, जो सीधे तौर पर हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज के कारण हो सकता है।
- हार्मोन की समस्या होना।
- पहले कराई सर्जरी या चोट लगना।
मानसिक लक्षण, जो स्तंभन दोष होने पर नजर आते हैं, उनमें शामिल हैं –
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स्तंभन दोष के और क्या कारण हो सकते हैं?
हृदय रोग (Heart disease)
बदलती जीवनशैली के कारण ह्दय रोग एक बड़ी बीमारी के रूप में उभरा है। यह बीमारी शारीरिक संबंध को बिगाड़ सकती है। यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष का कारण बन सकता है।
मधुमेह (Diabetes)
कुछ साल पहले तक मधुमेह होने की औसत उम्र 40 साल थी जो अब घटकर 20-30 साल हो चुकी है। पहले इस बीमारी को बुर्जुगों को होने वाली बीमारी माना जाता था लेकिन अब यह बच्चों को भी हो रही है। डायबिटीज के कारण ब्लड वेसल्स और नर्व्स पर बुरा असर पड़ता है, जो कई बार स्तंभन दोष का कारण बनता है।
हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
हाई ब्लड प्रेशर जिसे हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप भी कहते हैं के कारण भी स्तंभन दोष हो सकता है।
हाइपरलिपिडिमिया
हाइपरलिपिडिमिया एक बीमारी है। ऐसा तब होता है जब खून में बहुत अधिक लिपिड होते हैं। लिपिड से मतलब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स से भी है। इस बीमारी में ब्लड वेसल्स ब्लॉक हो जाती हैं जिससे खून की सप्लाई भी धीमी पड़ जाती है। जिससे प्राइवेट पार्ट पर असर होने लगता है। जो कि बाद में स्तंभन दोष का कारण बनता है।
रोग एक बड़ी बीमारी के रूप में उभरा है। यह बीमारी शारीरिक संबंध को बिगाड़ सकती है। यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष का कारण बन सकता है।
बढ़ती उम्र (Aging)
कई बार बढ़ती उम्र भी स्तंभन दोष का कारण बन सकती है। उम्र बढ़ने पर पुरुष या तो जल्दी उत्तेजित नहीं होते या फिर उत्तेजित ही नहीं होते। उनमें सेक्स के प्रति इंटरेस्ट भी खत्म हो सकता है।
शराब का सेवन (Alcohol)
शराब का अत्यधिक सेवन स्तंभन दोष का कारण बन सकता है। इसलिए शराब का सेवन बंद कर दें। इससे स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी पर भी प्रभाव पड़ता है। अगर आप बंद नहीं कर सकते तो कम से कम कर दें।
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नपुंसकता (Erectile Dysfunction) की रोकथाम
1.अपनी मर्जी से ली जाने वाली दवाओं से सावधान रहें
कुछ ओवर-द-काउंटर (उदाहरण के लिए एलर्जी या ठंड की दवा) या निर्धारित दवाएं जैसे कि एंटीडिपेंटेंट्स, ब्लड प्रेशर की दवाएं, नारकोटिक या नशे के दर्द से राहत देने वाली दवा या एंटीथिस्टेमाइंस आपको इरेक्शन में समस्या पैदा कर सकते हैं।
किसी भी दवा का सेवन करने से पहले, डॉक्टर से बात करें कि कहीं ये दवा आपके इरेक्शन पर विपरीत असर तो नहीं डाल रही।
2. अपने पेट के आकार को नियंत्रित करें
35 इंच या उससे कम साइज के कमर वाले पुरुषों की तुलना में 39 इंच की कमर वाले पुरुषों में स्तंभन दोष (Erectile Dysfunction) की समस्या दो गुना ज्यादा होती है। आपका बढ़ा हुआ पेट या बेली आपके लिंग को दांव पे लगा सकता है।
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3.धूम्रपान बंद करें
धूम्रपान वास्तव में आपके इरेक्शन के लिए परेशानी का कारण बन सकता है क्योंकि, यह आपके रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा, शरीर में चारों ओर रक्त को बहने से रोकता है।
4. तनाव छोड़ें
तनाव यौन कार्यों पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि 40 और 50 साल के सफल लेकिन तनाव में रहने वाले पुरुषों की सेक्स लाइफ अच्छी नहीं है।
नपुंसकता (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) का परीक्षण (Diagnosis of Erectile Dysfunction)
शारीरिक परीक्षण
इस स्थिति की जांच के लिए आपका शारीरिक टेस्ट किया जा सकता है। इसमें डॉक्टर आपके हृदय, फेफड़ों, ब्लड प्रेशर और अंडकोष व लिंग का परीक्षण करेंगे। प्रोस्टेट से जुडी समस्याओं के लिए वह आपको रेक्टल परीक्षण की भी सलाह दे सकते हैं।
नॉक्टर्नल पेनाइल टयूम्यसेनस एनपीटी टेस्ट
एनपीटी टेस्ट में एक पॉर्टेबल, बैटरी से चलने वाली डिवाइस का उपयोग करके किया जाता है। जिसे पुरुष के जांघ पर पहनाया जाता है। डिवाइस रात में होने वाली उत्तेजना की गुणवत्ता का मूल्यांकन करती है और डाटा कलेक्ट करती है। जिसका बाद में डॉक्टर डेटा का मूल्यांकन करता है। इस डेटा से डॉक्टर स्तंभन दोष को समझने की कोशिश करता है।
अगर आप शर्मिंदगी के डर से डॉक्टरों के पास नहीं जाना चाहते हैं, तो सच मायने में आपको जाना चाहिए। अगर समय रहते स्तंभन दोष (Erectile Dysfunction) का इलाज न किया तो बद से बत्तर हो जाएगा। ये स्थिति आपके जीवन को बहुत नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकती है।
साइकोसोशल हिस्ट्री
डॉक्टर आप से आपके लक्षणों, हेल्थ हिस्ट्री और सेक्सुअल हिस्ट्री के बारे में सवाल करेंगे या आपको इनसे जुड़े सवालों के फॉर्म को भरने को कहेंगे। आपके जवाब सही होने चाहिए क्योंकि इनकी मदद से ही डॉक्टर आपके इरेक्टाइल डिसफंक्शन की गंभीरता का पता लगा पाएंगे।
अन्य टेस्ट
नपुंसकता (स्तंभन दोष) का पता लगाने के लिए ऊपर दिए गए परीक्षण फेल होने या किसी कारण वर्ष न कर पाने पर निम्न टेस्ट का सहारा लिया जाता है –
- अल्ट्रासाउंड – अल्ट्रासाउंड की मदद से लिंग में मौजूद रक्त कोशिकाओं की जांच की जाती है। इससे लिंग में रक्त प्रवाह का भी पता लगाया जा सकता है।
- यूरिन टेस्ट – यूरिन टेस्ट की मदद से डायबिटीज व अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में पता चलता है।
- ब्लड टेस्ट – ब्लड टेस्ट की मदद से भी अन्य स्वास्थ्य स्थिति जैसे डायबिटीज, थायरॉयड, हृदय रोग और टेस्टोस्टेरोन के स्तर की जांच की जाती है।
- इंजेक्शन टेस्ट – इस परीक्षण के दौरान लिंग में दवा इंजेक्ट की जाती है जिससे लिंग उत्तेजित हो सके। इससे डॉक्टर को लिंग के उत्तेजित होने की स्थिति, कठोरता और समय सीमा के बारे में पता लगाने में आसानी होती है।
इन टेस्ट की मदद से आपके डॉक्टर को इलाज की प्रकिया और सही ट्रीटमेंट का चयन करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही अगर आपकी नपुंसकता (स्तंभन दोष) का कारण कोई अन्य रोग है तो डॉक्टर पहले उसका इलाज करने की सलाह दे सकते हैं।
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Impotence) का इलाज (Treatments for Erectile Dysfunction )
पुरुषों के मन में अक्सर ये सवाल आते हैं कि वह नपुंसकता का इलाज कैसे करें?, क्या इरेक्टाइल डिसफंक्शन को सही में ठीक किया जा सकता है? और स्तंभन दोष की दवा का क्या नाम है? आज हम आपको आपके इन सभी सवालों के जवाब देंगे। तो चलिए जानते हैं स्तंभन दोष (Erectile Dysfunction) के इलाज और दवा के बारे में –
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में दो या उससे अधिक ट्रीटमेंट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे की दवाओं के साथ टॉक थेरेपी।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) की दवा
आपके डॉक्टर आपको दवाओं के सेवन की सलाह देंगे जिनसे ईडी (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) के लक्षणों को कम किया जा सके। इसके लिए आपको कई प्रकार की दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। जब तक आपको अपने अनुसार सही दवा न मिल जाए। नीचे कुछ ऐसी दवाओं के नाम बताए गए हैं जिन्हें स्तंभन दोष में लिंग के रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है –
- स्टेंड्रा (Stendra)
- वियाग्रा (Viagra)
- स्टेक्सिन (Staxyn)
इसके अलावा भी मार्केट में ऐसी कई दवाएं हैं जिनकी मदद से इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
लो टेस्टोस्टेरोन लेवल होने पर आपको टेस्टोस्टेरोन थेरेपी (TRT) की भी सलाह दी जा सकती है।
अन्य रोग के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं से भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन की स्थिति विकसित हो सकती है। ऐसे में किसी दवा के कारण स्तंभन दोष के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर को बताएं। डॉक्टर आपको अन्य दवा के सेवन की सलाह दे सकते हैं। कभी भी दवा को खुद से न छोड़ें और न ही उसमें बदलाव करें।
दवाओं के सेवन से आपको कुछ दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। यदि आपको इलाज की प्रकिया में असुविधाजनक महसूस होता है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर आपको स्तंभन के इलाज के लिए अन्य दवाओं के बारे में सलाह दे सकते हैं।
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टॉक थेरेपी (बातचीत करना)
कई प्रकार के साइकोलॉजिकल कारक इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण हो सकते हैं। जैसे कि चिंता, तनाव, अवसाद और पोस्ट ट्रॉमेटिक डिऑर्डर।
यदि आप साइकोलॉजिकल परेशानियां अनुभव कर रहे हैं तो आपको टॉक थेरेपी से मदद मिल सकती है। आप कई सेशन के दौरान अपने थेरेपिस्ट से निम्न बातों के बारे में विचार-विमर्श कर सकते हैं –
- तनाव और चिंता का कारण
- सेक्स को लेकर आप क्या महसूस करते हैं
- सेक्स के दौरान आपको क्या अनुभव होता है
यदि इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण आपका रिश्ता प्रभावित हो रहा है तो तो किसी रिलेशनशिप काउंसलर से बात करने की कोशिश करें। रिलेशनशिप में आई दरारों के कारण भी स्तंभन दोष हो सकता है। इसलिए रिलेशनशिप काउंसलर की मदद से आपके रिश्ते में भावनात्मक कमी की पूर्ति हो सकती है।