के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज हड्डियों की एक बीमारी है। यह डिजीज तब होती है तब बॉडी में अतिरिक्त रूप से हड्डियों को छति पहुंचती हैं और हड्डियां कमजोर बनती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज इन दोनों ही स्थितियों में हो सकती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज की वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कुछ गंभीर मामलों में गिरने पर हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज का मतलब है ‘छिद्रयुक्त हड्डी (porous bone)’, जिसे सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) से देखा जा सकता है। हालांकि, स्वस्थ्य हड्डियां दिखने में शहद के छत्ते के समान नजर आती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज होने पर हड्डियों के बीच छेद बड़े हो जाते हैं। यह सामान्य हड्डियों के मुकाबले ज्यादा बड़े होते हैं।
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इस बीमारी में हड्डियों का घनत्व या मास (mass) कम हो जाता है और ऊत्तकों की संरचना असामान्य हो जाती है। हड्डियों का घनत्व कम होने पर वो कमजोर हो जाती हैं। इससे हड्डियां टूटने की संभावना बढ़ जाती है। यदि आप 50 वर्ष या इससे अधिक उम्र के हैं और आपकी हड्डी टूट गई है तो डॉक्टर से परामर्श लें। इस स्थिति का आंकलन करने के लिए डॉक्टर आपकी हड्डियों के घनत्व की जांच कर सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज एक सामान्य स्थिति है। अकेले अमेरिका में 5.4 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, जिनकी हड्डियों का द्रव्यमान कम है। अध्ययनों के मुताबिक, लगभग हर दो में से एक महिला को यह बीमारी है। वहीं, 50 वर्ष की आयु के चार पुरुषों में से एक की हड्डियां इस बीमारी के चलते टूट जाती हैं। यदि आप 50 वर्ष या इससे अधिक उम्र के हैं और आपकी हड्डी टूट गई है तो डॉक्टर से परामर्श लें। इस स्थिति का आंकलन करने के लिए डॉक्टर आपकी हड्डियों के घनत्व की जांच कर सकता है।।- डॉ सोनल कुमता, सलाहकार, प्रसूति और स्त्री रोग, फोर्टिस अस्पताल
ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज के लक्षण निम्नलिखित हैं:
उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी इस समस्या के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
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यदि आपको समय से पहले मेनोपॉज आया है तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, यदि आपने कई महीनों तक कोर्टिकोस्टेरॉयड (corticosteroids) लिया हो या आपके माता पिता को हिप फ्रैक्चर हुआ हो।
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इस डिजीज के कारण निम्नलिखत हैं:
इस बीमारी के जोखिम निम्नलिखित हैं:
अन्य जोखिम
सेक्स हार्मोन: सेक्स हार्मोन कम होने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ईस्ट्रोजेन का स्तर कम होने से महिलाओं मेनोपॉज आ जाता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। हालांकि, पुरुषों में उम्र के हिसाब से टेस्टोस्टेरोन धीरे-धीरे कम होता है। पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का उपचार इस हार्मोन को कम कर देता है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज इस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर कम कर देता है। इससे उनकी बॉडी में हड्डियों को नुकसान पहुंचने की गति तेज हो जाती है।
थाइरॉयड की समस्या: थाइरॉयड हार्मोन बढ़ने से हड्डियों को नुकसान पहुंचता है। यदि यह हाॅर्मोन अति सक्रिय है तो यह समस्या पैदा हो सकती है। यदि आपने कम थाइरॉयड हाॅर्मोन को बढ़ाने के लिए इलाज में इसे अधिक मात्रा में लिया है तो यह दिक्कत हो सकती है।
अन्य ग्लैंड्स: पेराथाइरॉयड और एड्रेनेल ग्लैंड्स के अतिरिक्त रूप से सक्रिय होने से इस बीमारी का खतरा रहता है।
खराब दिनचर्या और अनुचित खानपान इस बीमारी के खतरे को बढ़ाता है। यदि आपकी बॉडी में कैल्शियम की कमी है तो आपको इसका खतरा ज्यादा रहेगा। कैल्शियम की कमी के चलते हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। एक्सरसाइज न करने से हड्डियों के ऊत्तक कमजोर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, यदि आप ज्यादा एल्कोहॉल का सेवन करते हैं तो आपकी हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
इस बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर परिवार की मेडिकल हिस्ट्री देख सकता है, जिससे इसके खतरों के कारकों का पता चलेगा। इस बीमारी का शक होने पर ‘बोन मिनरल डेंसिटी स्कैन (BMD)’ टेस्ट करा सकता है। बोन डेंसिटी स्कैनिंग में एक एक्स-रे का इस्तेमाल होता है, जिसे डियुअल-एनर्जी-एक्स-रे एब्सोरपिटिओमर्टी (dual-energy X-ray absorptiometry (DEXA)) के नाम से जाना जाता है। DEXA इस डिजीज से होने वाले फ्रैक्चर्स का संकेत देता है। यह इलाज के प्रति व्यक्ति की प्रतिक्रिया को भी मॉनिटर करने में मदद करता है।
दो तरह की डिवाइस से यह टेस्ट किया जाता है:
टेस्ट के नतीजे
इसके नतीजों को DEXA T स्कोर या Z स्कोर के रूप में देते हैं।
स्कोर को अन्य समान उम्र के लोगों के बोन मास के साथ कंपेयर या तुलना की जाती है। हर दो वर्ष में इन टेस्ट को किया जाता है, जिससे नतीजों की तुलना की जा सके।
जिन लोगों को इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है उन्हें बिसफोस्पोनेट्स (bisphosphonates) दवाइयों की सलाह दी जाती है।
उदाहरण के लिए इनमें निम्नलिखित दवाइयां शामिल हैं:
हालांकि इन दवाइयों से आपको उबकाई और पेट में दर्द और हर्टबर्न जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। यदि आप दवाइयों को उचित ढंग से ले रहे हैं तो साइड इफेक्ट्स की संभावना कम होती है।
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ईस्ट्रोजेन, विशेषकर मेनोपॉज के तुरंत बाद शुरू किया जाता है। इससे हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने में मदद मिलती है। हालांकि, ईस्ट्रोजेन थेरिपी ब्लड क्लॉटिंग, एंडोमेट्रियल कैंसर (endometrial cancer) और संभावित हार्ट की बीमारी के खतरे को बढ़ा देती है। इसलिए ईस्ट्रोजेन को बमुश्किल से जवान महिलाओं में इस्तेमाल किया जाता है।
वहीं, पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिरने लगता है। ऐसे में टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी इसके लेवल में सुधार कर सकती है। पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस डिजीज के ट्रीटमेंट के लिए इसकी दवाओं का बेहतर अध्ययन किया गया है। इसे देखते हुए ऐसी दवाओं को अकेले या टेस्टोस्टेरोन के अतिरिक्त लेने की सलाह दी जा सकती है।
यदि आपको यह समस्या है तो डॉक्टर आपको निम्नलिखित घरेलू उपाय बात सकता है:
उचित मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन करने से हड्डियों मजबूत होती हैं। विटामिन डी इस बीमारी को रोकने में अहम भूमिका निभाती है। साथ ही वह बॉडी में कैल्शियम के अवशोषण को भी बढ़ा देती है। हड्डियों के लिए कैल्शियम जरूरी होता है। लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वो रोजाना पर्याप्त कैल्शियम लें। 19 वर्ष और इससे अधिक उम्र के व्यस्कों को प्रतिदिन 1,000 मिलिग्राम (mg) कैल्शियम लेना चाहिए। 51 वर्ष की महिलाओं और 71 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रतिदिन 1,200 mg कैल्शियम लेना चाहिए।
यदि आप रोजाना पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं ले पाते हैं तो आप सप्लिमेंट ले सकते हैं। इन्हें लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है। हालांकि, हमें ज्यादातर विटामिन डी भोजन से नहीं मिलती है। यह सूर्य के संपर्क में आने से मिलती है। ऐसे में डॉक्टर नियमित रूप से धूप में बैठने की सलाह दे सकते हैं।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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