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Broken (fractured) forearm: फोरआर्म में फ्रैक्चर क्या है?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/05/2020

Broken (fractured) forearm: फोरआर्म में फ्रैक्चर क्या है?

परिचय

फोरआर्म में फ्रैक्चर का अर्थ है फोरआर्म की एक या दोनों हड्डियों का टूटना। फोरआर्म की दो हड्डियां है रेडियस और अल्ना। कोहनी और कलाई के जोड़ों के सही मोशन के लिए यह दोनों हड्डियां महत्वपूर्ण हैं और दोनों हड्डियां ऊपरी छोर की मांसपेशियों को जोड़ने का महत्वूर्ण काम करती है। यह फ्रैक्चर अधिकतर हाथ के भार गिरने से होता है। इसके अलावा, खेलते हुए या कार एक्सीडेंट आदि से भी यह फ्रैक्चर हो सकता है ।

फोरआर्म के फ्रैक्चर

फोरआर्म में फ्रैक्चर इस प्रकार हैं:

  • गेलियाज़ी फ्रैक्चर

    गेलियाज़ी फ्रैक्चर तब होता है जब अल्ना से रेडियस टूटता है । जब ऐसा होता है, तो अल्ना का अंत कलाई पर अव्यवस्थित हो सकता है।

  • प्लास्टिक डेफोर्मेशन

    प्लास्टिक डेफोर्मेशन आमतौर पर रेडियस और अल्ना को प्रभावित करता है। बच्चों की विकसित होने वाली हड्डियां, वयस्कों की हड्डियों से अधिक लचीली होती हैं। अधिक फाॅर्स से बच्चों की हड्डियां टूटने की जगह विकृत हो सकती हैं।

  • मोंटेगिया फ्रैक्चर

    मोंटेगिया फ्रैक्चर अल्ना और रेडियस दोनों को प्रभावित करता है। आमतौर पर, अल्ना का फ्रैक्चर और रेडियस के शीर्ष पर कोहनी का डिस्लोकेशन है।

  • नाईटस्टिक फ्रैक्चर
  • नाईटस्टिक फ्रैक्चर तब होता है जब उलना रेडियस के स्वतंत्र रूप से फ्रैक्चर होता है।

    यह भी पढ़ें: Greenstick Fracture : ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर क्या है?

    लक्षण

    • फोरआर्म में फ्रैक्चर एकदम बहुत अधिक दर्द का कारण बन सकता है। इसलिए, फोरआर्म में फ्रैक्चर का सामान्य लक्षण है, उसी समय होने वाली दर्द। फोरआर्म में फ्रैक्चर के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
    • बाजू में दर्द जो कलाई या कोहनी को हिलाने पर बढ़ जाती है।
    • फोरआर्म, कलाई और हाथ में दर्द और सूजन।
    • एक असमान्यता जैसे बाजू या कलाई का मुड़ना।
    • सामान्य रूप से बाजू को हिलाने में मुश्किल होना।
    • फोरआर्म या कलाई का गर्म होना, सुन्न होना या उसमे नील पड़ना
    • हाथ का सुन्न होना।

    कारण

    हड्डी तब टूटती है जब हड्डी में अधिक फाॅर्स लगाई जाती है। फोरआर्म में फ्रैक्चर के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

    गिरना : कोहनी या हाथ के भार गिरना फोरआर्म फ्रैक्चर का मुख्य कारण है।

    ट्रॉमा: अगर आपके फोरआर्म पर कोई चीज़ जोर से लगे या किसी चीज़ से आपकी फोरआर्म पर लगे तो यह फोरआर्म की एक या दोनों हड्डियों के टूटने का कारण बन सकता है। जैसे गाडी या मोटरसाइकिल से लगी चोट या एक्सीडेंट होना।

    खेल: खेलते हुए भी फोरआर्म का टूटना संभव है। हालांकि, इस दौरान लगने वाली चोट कम गंभीर से लेकर अधिक गंभीर तक हो सकती है।

    जोखिम

    • बच्चों का छोटी उम्र में विकास होता है। यही नहीं, इस दौरान बच्चों की हड्डियां भी कमजोर होती है। ऐसे में अगर बच्चों की कोहनी में फ्रैक्चर होता है तो उनके विकास में इसका प्रभाव पड़ सकता है।
    • बुजुर्गों की हड्डियां भी कमजोर होती है। ऐसे में अगर उनकी फोरआर्म में फ्रैक्चर आ जाए तो उस के ठीक होने में अधिक समय लगा सकता है।

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    फ्रैक्चर के उपचार के बाद जोखिम

    • मोशन का कम होना: फोरआर्म में फ्रैक्चर के उपचार के बाद बाजू का मोशन कम हो जाता है।
    • इन्फेक्शन : सर्जरी के बाद इन्फेक्शन हो सकता है। अगर फोरआर्म में फ्रैक्चर के बाद संक्रमण होता है, तो संक्रमण को ठीक करने के लिए धातु की प्लेट और स्क्रूस को हटाने की आवश्यकता हो सकती है।
    • दर्दनाक हार्डवेयर: सर्जरी के दौरान उपयोग की जाने वाली धातु त्वचा के नीचे महसूस की जा सकती है, और वे दर्दनाक हो सकते हैं। यदि वे असुविधा का कारण बनते हैं तो उन्हें हटाया जा सकता है, आमतौर पर सर्जरी के कम से कम एक वर्ष के बाद।
    • इससे कम्पार्टमेंट सिंड्रोम होने का जोखिम रहता है।
    • रेडियल नर्व का डैमेज होना और वैस्कुलर इंजरी और ब्लीडिंग का खतरा भी बढ़ सकता है।

    यह भी पढ़ें: Ankle Fracture Surgery : एंकल फ्रैक्चर सर्जरी क्या है?

    उपचार

    फोरआर्म में फ्रैक्चर के उपचार के लिए सबसे पहले चोट का कारण और लक्षणों के बारे में पूछा जाएगा। इसका मेडिकल एग्जामिनेशन इन चीज़ों पर निर्धारित है।

    • त्वचा के घावों का पता लगाना, चोट लग जाना, फोरआर्म में खुला फ्रैक्चर।
    • चोट की संभावना का आकलन करने के लिए कंधे, ऊपरी बांह, कलाई और हाथ की जांच।
    • कोमलता और दर्द का परीक्षण करने के लिए घायल जगह को छूना।
    • ब्लड वेसल से जुड़ी चोटों के लिए पल्स का पता लगाना।
    • रेडियल नर्व को हुए नुकसान को जांचने के लिए
    • न्यूरोलॉजिकल परीक्षण।

    फोरआर्म फ्रैक्चर के उपचार दो तरह से किये जाते हैं:

    नॉनऑपरेटिव ट्रीटमेंट्स

    • कास्ट के साथ उलना के स्थिर, सिंपल या अकेले फ्रैक्चर के उपचार में चार से छे हफ्ते लग सकते हैं। आपके डॉक्टर आपकी प्रोग्रेस को X-Rays से अच्छे से फॉलो करेंगे। ताकि, फ्रैक्चर के बारे में पूरी तरह से पता चल सके। इस दौरान आपको बिलकुल भी वजन नहीं उठाने की सलाह दी जायेगी।
    • कास्ट को निकालने के बाद, आपको फिजिकल थेरेपी दी जायेगी। इसमें कुछ खास एक्सरसाइज शामिल है। इसके बाद डॉक्टर आपको कुछ वजन उठाने की सलाह दे सकते हैं।

    सर्जिकल ट्रीटमेंट्स

    • अधिकतर फोरआर्म्स के मामलों में सर्जरी आवश्यक होती है। फ्रैक्चर का प्लेट और स्क्रू की मदद से ठीक किया जाता है। सर्जरी के बाद आपकी बांह को आराम और सुरक्षा के लिए एक छोटी सी स्पलिंट में रखने की सलाह दी जायेगी। आपको सर्जरी के बाद छह सप्ताह तक वजन उठाने की अनुमति नहीं होगी।

    स्वास्थ्य लाभ

    • हड्डियों में ठीक होने की अद्भुत क्षमता होती है। फोरआर्म की हड्डियां आमतौर पर तीन से छे महीने में ठीक हो जाती हैं। जितनी गंभीर चोट होगी, उतना ही अधिक समय लगेगा ।
    • एक चोट या सर्जरी के बाद दर्द उपचार प्रक्रिया का एक स्वाभाविक हिस्सा है। आपका डॉक्टर और नर्स आपके दर्द को कम करने के लिए काम करेंगे, जो आपको तेजी से ठीक करने में मदद कर सकता है।
    • सर्जरी या चोट के बाद आपको दर्द दूर करने की दवाईयां दी जा सकती हैं। दर्द को दूर करने के लिए ओपिऑइड्स, नॉन एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs), और लोकल अनेस्थेटिक्स दी जा सकती है।

      आपका डॉक्टर दर्द से राहत पाने के लिए इन दवाओं के मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं। ओपिओइड भी दिए जा सकते है।

    • ध्यान रहे, ओपीऑइड सर्जरी या चोट के बाद दर्द से राहत देने में मदद करते हैं, वे एक मादक पदार्थ हैं और इनकी आदत पड़ सकती है। केवल अपने चिकित्सक द्वारा निर्देशित ओपिओइड का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। जैसे ही आपका दर्द सुधरने लगे, ओपीऑइड लेना बंद कर दें। अपने यदि आपके उपचार के कुछ दिनों के भीतर आपका दर्द ठीक न हो तो चिकित्सक से बात करें।

    घरेलू उपाय

    • जब रोगी का फ्रैक्चर पूरी तरह से ठीक न हो जाए, मेटल को न निकालें।
    • फोरआर्म फ्रैक्चर से बचने के लिए किसी भी खेल या मोटरबाइक चलने से पहले फोरआर्म और कलाई के गार्ड पहनें।
    • फोरआर्म में फ्रैक्चर की स्थिति में बाजू और फोरआर्म को स्थिर बनाये रखना बहुत अवश्य है। इसके लिए आप स्लिंग का प्रयोग करें।
    • प्रभावित स्थान पर दर्द और सूजन को कम करने के लिए बर्फ का प्रयोग करें। बैग या कपडे में बर्फ डाले बाजू पर 20-30 मिनटों तक इसे लगा कर रखें। बर्फ को कभी भी त्वचा पर सीधे तौर पर कभी न लगाएं।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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