चारकोट फुट/ज्वाइंट को न्यूरोपैथिक ज्वाइंट या चारकोट (न्यूरो/ऑस्टिओ) आर्थ्रोपैथी) भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का पांव संबंधी विकार है, जो हमारे शरीर के सॉफ्ट टिश्यू , हड्डियों और ज्वाइंट के साथ एंकल को प्रभावित करता है। इस समस्या के कारण हड्डियों की मोबिलिटी सामान्य रूप से नहीं हो पाती और भारत में लोग इसे पत्थर पांव भी कहते हैं। चारकोट फुट के रिस्क फैक्टर को जानने के साथ कैसे इस विकार से बचा जाए और यह बीमारी न हो उसे जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
क्या है चारकोट फुट (Charcot Foot)?
चारकोट फुट की समस्या में एक या दोनों पांव और एंकल सुन्न हो जाता है। इसके साथ ही पांव की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, वहीं कई मामलों में यह फ्रैक्चर और हड्डियों के डिसलोकेशन का कारण भी बनता है। बता दें कि इस अवस्था में पैर सुन्न होता है, ऐसे में पांव में फ्रैक्चर और अन्य ट्रामा के कारण होने वाले दर्द या असुविधा के बारे में व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि उसके पैर के साथ कुछ गलत हो गया है। ऐसे में खड़े होने और चलने से व्यक्ति के पैर की हड्डियों को और भी ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है।
विकार के कारण हड्डियां और ज्वाइंट कमजोर होने पर हड्डियां कोलैप्स और डिसलोकेट होने के कारण पांव का आकार पूरी तरह बदल सकता है। पांव रॉकर बॉटम फुट (पथरीला पांव) की तरह दिखने लगता है। वहीं पैर के तलवे का छोर पत्थर की तरह दिखने लगता है व फैल जाता है। चारकोट फुट के कारण पैर में घाव भी हो जाते हैं, ऐसे में घाव आसानी से भर नहीं पाते। यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो आगे चलकर यह समस्या गंभीर अपंगता, टेढ़े-मेढ़ें पांव के साथ अंग विच्छेदन का कारण बन सकती है।
इलाज नहीं किया गया तो होंगे इस प्रकार के बदलाव
चारकोट फुट होने की वजह से हमारे पैर की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कई मामलों में यह टूट भी सकती हैं। इस कारण मरीज में यह लक्षण भी दिख सकते हैं, जैसे
- पैर की उंगलियां मुड़ने लगती हैं
- पैर सामान्य शेप से अलग दिखने लगता है
- एंकल मुड़ने के साथ अस्थिर हो जाता है
- शूज के विपरित हड्डियां दबने लगती हैं : इस कारण पैर की स्किन में घाव हो जाते हैं, जो इंफेक्शन का कारण बनते हैं। अगर व्यक्ति को डायबिटीज है, तो उसके कारण खराब ब्लड फ्लो होने की वजह से मरीज का इंफेक्शन ठीक होने में काफी समय लगता है। यदि लंबे समय तक पैर में इंफेक्शन रहता है तो उस स्थिति में पैर काटने की जरूरत बन जाती है, ताकि इंफेक्शन और ज्यादा न बढ़ें।
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चारकोट फुट के कारण होने वाले लक्षणों पर नजर
चारकोट फुट होने पर मुख्य रूप से मरीज में कुछ खास लक्षण दिखते हैं। इसे तीन अवस्थाओं से आसानी से समझा जा सकता है।
- स्टेज एक में टूटती हैं हड्डियां : फ्रेगमेंटेशन और डिस्ट्रक्शन की समस्या पहले स्टेज में देखने को मिलती है। चारकोट फुट के शुरुआती लक्षणों में देखा गया है कि मरीज के पैर या एंकल में सूजन आने के साथ लालीपन आता है। वहीं, दूसरे पैर की तुलना में प्रभावित पांव की स्किन छूने में गर्म लगती है। शुरुआत में पैर के सॉफ्ट टिश्यू में सूजन आने के कारण छोटी हड्डियों में फ्रैक्चर शुरू हो जाता है। इस कारण पैर के आसपास की हड्डियां टूटने लगती हैं, पैर के ज्वाइंट अपनी स्थिरता को खोते हैं, नतीजतन डिसलोकेशन की परेशानी होती है। अंतत: हड्डियां पूरी तरह से नर्म हो जाती हैं। इस स्टेज के तहत पैर की निचली सतह फ्लैट हो जाती है और पत्थर की तरह दिखने लगती है। यदि बीमारी से ग्रसित मरीज का इलाज न किया गया तो करीब एक साल तक यही लक्षण देखने को मिलते हैं।
- दूसरे स्टेज में लक्षणों में आती है कमी : दूसरे स्टेज में हमारा शरीर बीमारी को ठीक करने का प्रयास करता है। वहीं पैर के डिस्ट्रक्शन में कमी आती है, नतीजतन कम सूजन, कम लालीपन और कम गर्माहट जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
- तीसरे स्टेज में ठीक होती है हड्डियां, लेकिन वास्तविक शेप में नहीं आ पाती : तीसरे और फाइनल स्टेज में पैर की हड्डियां ठीक होती है। लेकिन, इस परिस्थिति के बाद वो अपनी वास्तविक स्थिति में नहीं पहुंच पाती हैं। इस स्थिति के बाद फिर कोई अन्य डैमेज नहीं होता है। लेकिन पैर में होने वाले घाव आगे चलकर अल्सर का रूप ले सकते हैं, यह ज्यादा घातक हो सकते हैं। कई मामलों में इसके कारण पैर को काटकर अलग भी करना पड़ सकता है।
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