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डायबिटिक न्यूरोपैथी (Diabetic neuropathy) से ऐसे करें बचाव
हम डायबिटिक न्यूरोपैथी और इसके दुष्परिणामों से बचाव करने के लिए ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने के साथ पांव की अच्छे से देखभाल रख कर सकते हैं।
ब्लड शुगर मैनेजमेंट है जरूरी
द अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन यह सुझाव देता है कि वैसे व्यक्ति जो डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित हैं उन्हें साल में कम से कम दो बार ए1सी की जांच करवानी चाहिए। यह ब्लड टेस्ट हमारे बीते हुए दो व तीन महीनों के ब्लड शुगर लेवल के औसत की जांच कर परिणाम बताता है। द अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार ए1सी सात फीसदी से कम होना चाहिए, यदि ब्लड शुगर लेवल ज्यादा है तो उस मामले में हमें डेली मैनेजमेंट की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में दवाओं का सेवन करने के साथ हमें डायट मैनेजमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है।
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पांव की करें देखभाल
डायबिटिक न्यूरोपैथी (Diabetic neuropathy) बीमारी के होने से पांव संबंधी परेशानी होती है। खासतौर पर हमारे पांव के घाव भरते ही नहीं है। लेकिन हम चाहें तो इन परेशानियों से निजात पा सकते हैं, इसके लिए साल में एक बार हमें डॉक्टर से अपने पांव की जांच करवानी जरूरी हो जाती है। वहीं जब भी आप डॉक्टर के पास जाएं अपने पांव को जरूर दिखाएं, वहीं घर पर भी पांव की अच्छे से देखभाल करें। पांव की देखभाल के लिए डॉक्टर की सुझाई गई बातों पर ध्यान दें।
- रोजाना अपने पांव की देखभाल करें : पांव में देखें कि कहीं फफोले, घाव, कट, क्रैक, स्किन में रेडनेस, छिलने वाली त्वचा और सूजन तो नहीं। आप चाहे तो इसकी जांच करने के लिए शीशे की मदद ले सकते हैं, या परिवार के अन्य सदस्यों से इसकी जांच करवा सकते हो, यदि किसी प्रकार का कट मार्क हुआ तो डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
- अपने पांव को सूखा व साफ रखें : गुनगुना पानी और साबुन से हमेशा अपने पांव को धोना चाहिए। अपने पैरों को भिंगोने से बचाना चाहिए। उंगलियों के बीच में पानी न लगे इसको लेकर भी सचेत रहना चाहिए।
- पांव को करें मॉश्चराइज : यदि आप अपने पांव को मॉश्चराइज करेंगे तो इससे क्रैक होने की संभावनाएं भी कम हो जाती है। लेकिन उंगलियों के बीच में लोशन लगाने से परहेज करना चाहिए। ऐसा कर फंगल ग्रोथ को रोका जा सकता है।
- पांव की उंगलियों के नाखून को सावधानीपूर्वक हटाएं : पांव की उंगलियों के नाखूनों को सावधानीपूर्वक काटें। कोशिश यही रहनी चाहिए कि नाखून के कोने नुकीलें न हो, यह आपके पांव के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
- साफ व सूखे मोजे पहनें : कॉटन के मोजे पहनें, टाइट मोजे पहनने से बचने के साथ-साफ व सूखे मोजे पहनें।
- फिट व कुशन युक्त जूतें पहनें : वैसे जूतें व स्लीपर्स को पहनें जो हमारे पांव की रक्षा करें। वैसे जूते पहने जो हमारे पांव में आसानी से आ जाएं व फिट हो जाए।
क्या करें व क्या न करें
जरूरी यही है कि जैसा कि हम पहले भी चर्चा कर चुके हैं कि टाइप 1 डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित लोग पांच साल में एक बार और डायबिटीज टाइप 2 की बीमारी से ग्रसित लोग साल में एक बार जरूर डॉक्टरी सलाह लें। वहीं डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित लोगों को खास सावधानी बरतनी पड़ती है। खानपान से लेकर सेहत का उन्हें खास ख्याल रखना चाहिए, यहां तक कि उन्हें अपने पांव की भी देखभाल करनी चाहिए वहीं किसी प्रकार के दुष्प्रभाव दिखने पर डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।