- बार-बार यूरिनेशन होना
- बार-बार प्यास लगना
- बहुत भूख लगना
- अत्यधिक थकान
- धुंधला दिखना
- किसी चोट को ठीक होने में ज्यादा समय लगना
- लगातार घटता वजन (टाइप1)
- हाथ / पैर में झुनझुनी या दर्द (टाइप 2)
टाइप 2 डायबिटीज वाले रोगियों में लक्षण बहुत ही कम होते हैं। हो सकता है ऊपर दिए गए लक्षणों में कुछ लक्षण शामिल न हो। यदि आपको किसी भी लक्षण के बारे में कोई शंका है, तो कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।
मुझे अपने डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण खुद में मिलते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
- बहुत प्यास लगना
- सामान्य से अधिक बार यूरिन पास होना
- बहुत थका हुआ महसूस करना
- वजन में कमी और मसल लॉस
- पीनस या वजाइना के आसपास खुजली
- किसी चोट को ठीक होने में ज्यादा समय लगना
- धुंधला दिखना
टाइप 1 डायबिटीज मात्र कुछ हफ्तों या दिनों में ही विकसित हो सकती है।
डायबिटीज किन कारणों से होती है?
जब भोजन पच जाता है और ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करता है, तो इंसुलिन नामक हार्मोन खून और कोशिकाओं से ग्लूकोज को बाहर पहुंचाता है। ग्लूकोज का कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यदि ग्लूकोज को बाहर करने के लिए शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं है या इंसुलिन का उत्पादन ठीक से नहीं होता है, तो शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इसकी वजह से आपके शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है।
किन कारणों से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है?
जो लोग 40 साल से अधिक उम्र के हैं, उन्हें मधुमेह आसानी से हो सकता है। इसके अलावा, जो अधिक वजन वाले हैं, धूम्रपान करते हैं या उनके परिवार में किसी को मधुमेह है तो ऐसे लोगों को डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।
डायबिटीज का निदान कैसे किया जाता है?
किसी मरीज का मेटाबॉलिज्म सामान्य है या उसे प्री-डायबिटीज या मधुमेह है, इसका पता डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षणों से लगा सकते हैं-