
डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी हुई बीमारी है, जो आजकल हर उम्र के लोगों को तेजी से अपनी चपेट में ले रही है, लेकिन बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक होता है। डायबिटीज के कारण अन्य बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में दवाइयों के साथ ही जीवनशैली में बदलाव ला कर इस बीमारी के खतरे और असर को कम किया जा सकता है। लेकिन इससे पहले जान लेते हैं कि आखिर डायबिटीज होता क्या है!
डायबिटीज क्या है?
शरीर में ब्लड शुगर लेवल जिसे ग्लुकोज भी कहते हैं, इसके बढ़ने की स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। इसमें शरीर में इंसुलिन हार्मोन का स्राव कम हो जाता है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है, बस दवा और जीनवशैली में बदलाव करके इसे कंट्रोल किया जा सकता है। बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक बढ़ जाता है इसलिए युवावस्था से ही हर किसी को स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए, क्योंकि बस इसी से डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित बुजुर्गों की कॉर्टिकल हड्डी कमजोर हो जाती है, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है और बुजुर्गो की आबादी बढ़ने के साथ ही यह समस्या भी बढेगी। एक अध्ययन के अनुसार, डायबिटीज पीड़ित बुजुर्गों की मृत्यु दर अधिक होती है और यह एक्यूट और क्रॉनिक माइक्रोवस्कुलर और कार्डियोवस्कुल बीमारी के खतरे को भी बढ़ा देता है। डायबिटीज रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।
कैसे होता है डायबिटीज?
हम जो भी भोजन करते है शरीर बड़ी मात्रा में उसे शुगर में तब्दील कर देता है जिसे ग्लुकोज कहते हैं और इससे हमें एनर्जी मिलती है, लेकिन ग्लुकोज को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करने के लिए शरीर को इंसुलिन नामक हार्मोन की जरूरत होती है, जो ग्लुकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाता है। जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता या हमारा शरीर इसका इस्तेमाल नहीं कर पाता, तब ग्लुकोज खून में रह जाता है और यह एनर्जी में नहीं बदल पाता और इसी स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। जिसके कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं।
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