backup og meta

डायबिटीज पेशेंट के लिए मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट के बारे में जानना है जरूरी!

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Niharika Jaiswal


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/11/2021

    डायबिटीज पेशेंट के लिए मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट के बारे में जानना है जरूरी!

    मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट (Mixed Meal Tolerance Test) से पता चलता है कि फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट (शुगर) युक्त लिक्विड मील बेवरेज लेने के बाद आपकी बॉडी कितना इंसुलिन बना रही है। डॉक्टर लैब टेस्ट के साथ इस टेस्ट को भी कराने की सलाह दे सकते हैं। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट युक्त लिक्विड मील लिया जाता है, जिसके बाद हर 30 मिनट में दो घंटे के लिए ब्लड सैम्पल्स लिए जाते हैं। इससे यह पता चलता है कि पैंक्रियास में प्रोड्यूस होने वाली इंसुलिन का प्रोडक्शन करने वाली बीटा सेल्स कितनी अच्छी तरह काम कर रही हैं। आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं कि एमएमटीटी किस तरह ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट से अलग है, मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट (Mixed Meal Tolerance Test) के प्रभाव क्या हैं?

    और पढ़ें: प्रोटीन सप्लिमेंट मिथ्स: क्या जिम जाने पर ही आपको पड़ती है प्रोटीन की जरूरत? खेलिए क्विज और जानिए प्रोटीन से जुड़े ये फैक्ट्स

    मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट (Mixed Meal Tolerance Test) क्या है?

    मिक्स्ड मील के बाद ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म (Glucose metabolism) मील कम्पोजीशन से प्रभावित होता है। एमएमटीटी में रात भर फास्टिंग के बाद पीने के लिए या "मिक्स्ड मील" (कार्बोहाइड्रेट, फैट और प्रोटीन की संतुलित मात्रा) की जरूरत होती है। टेस्ट का टारगेट पैंक्रिअटिस बीटा-सेल इंसुलिन सेक्रेशन और ग्लूकोज टॉलरेंस को मापना है। मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट (MMTT) को बीटा सेल रिजर्व फंक्शन (beta cell reserve function) का गोल्ड स्टैण्डर्ड माना जाता है। लेकिन, डॉक्टर शायद ही कभी इसका उपयोग डायबिटीज केयर के हिस्से के रूप में करते हैं क्योंकि यह टाइम-कंज्यूमिंग और इनवेसिव है। इसके बजाय, मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट का उपयोग अक्सर रिसर्च सेटिंग्स में मेज़रमेंट टूल के रूप में किया जाता है। जब इस टेस्ट का उपयोग क्लिनिकल सेटिंग्स में किया जाता है, तो यह अक्सर टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों पर किया जाता है।

    एमएमटीटी, ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral Glucose Tolerance Test) से अलग एमएमटीटी ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) से अलग है। ओजीटीटी ग्लूकोज टॉलरेंस का एक अच्छा इंडिकेटर है और इसका उपयोग अन्य टेस्ट, जैसे फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज (FBG) और हीमोग्लोबिन A1C के कॉम्बिनेशन में किया जाता है, ताकि प्रीडायबिटीज (prediabetes), डायबिटीज (diabetes) का निदान किया जा सके और गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes) की जांच की जा सके। एमएमटीटी के लिए, आपको कम से कम आठ घंटे की फास्टिंग के दौरान यह टेस्ट किया जाता है। हालांकि, मिक्स्ड मील के विपरीत, ओजीटीटी के दौरान एक व्यक्ति को पानी में घुले 75 ग्राम ग्लूकोज (sugar) के बराबर

    केवल ग्लूकोज लोड लेने के लिए कहा जाता है। ओजीटीटी के रिजल्ट्स डॉक्टर्स को बिगड़ा हुआ (impaired) फास्टिंग ग्लूकोज (आईएफजी) और इम्पेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेंस (आईजीटी) निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं। आईएफजी और आईजीटी का निदान एमएमटीटी का उपयोग करके नहीं किया जा सकता है।

    और पढ़ें: मेटाबॉलिज्म फैक्ट्स: जानिए चयापचय क्या है और उससे जुड़े रोमांचक तथ्य

    मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट का उपयोग (Use of Mixed Meal Tolerance Test)

    टेस्ट के दौरान एक हेल्दी पैंक्रियास ब्लड शुगर को नॉर्मल करने के लिए सटीक मात्रा में इंसुलिन रिलीज करता है। बिगड़ा हुआ इंसुलिन सेक्रेशन जैसे कि इंसुलिन-डिपेंडेंट टाइप 1 (insulin-dependent type 1) और टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस (T2DM) में टेस्ट का उपयोग β-सेल फंक्शन को चेक करने के लिए किया जाता है और इसे ग्लूकागन स्टिमुलेशन टेस्ट (glucagon stimulation test (GST)) की तुलना में अधिक फिजिओलॉजिकल (physiological) माना जाता है, जो कि एंडाउजनेस इंसुलिन सेक्रेशन (endogenous insulin secretion) का स्टैंडर्ड है।

    ग्लूकागन (Glucagon) आइलेट बीटा-सेल (islet beta-cell) के लिए एक शक्तिशाली स्टिमुलस (stimulus) है और क्लिनिकल ​​​​और रिसर्च टारगेट के लिए एंडाउजनेस इंसुलिन सेक्रेशन का आकलन करने के लिए 1 मिलीग्राम ग्लूकागन इंट्रावेनस बोलस इंजेक्शन (intravenous bolus injection) का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। इंसुलिन रिलीज की एमएमटीटी-इंड्यूस्ड स्टिमुलेशन (MMTT-induced stimulation) में इंक्रीटिन हार्मोन (incretin hormones) के जरिए से एक एंटरोइंसुलर एक्सिस (enteroinsular axis) शामिल होता है, जैसे गैस्ट्रिक इनहिबिटरी पेप्टाइड (जीआईपी) gastric inhibitory peptide (GIP), ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड -1 (जीएलपी -1) glucagon-like peptide-1 (GLP-1), और अन्य। ये हार्मोन मुख्य रूप से आंत की एंटरोएंडोक्राइन सेल्स द्वारा बनते होते हैं और मील के बाद ब्लड स्ट्रीम में सेक्रेट होते हैं। इसलिए, एमएमटीटी पैंक्रियास के फंक्शन के साथ- साथ जीएलपी -1 और अन्य इंक्रीटिन हार्मोन रिलीज के जरिए से एंटरोइंसुलर एक्सिस (enteroinsular axis) का आकलन करता है। इसलिए, डायबिटीज और ओबेसिटी की रिसर्च में मेटाबोलिक होमियोस्टेसिस (metabolic homeostasis) को एनालाइज करने के लिए एमएमटीटी का उपयोग अक्सर क्लिनिकल ​​और प्री-क्लिनिकल

    ​​​​रिसर्च दोनों में किया जाता है।

    और पढ़ें: वर्क फ्रॉम होम के लिए 7 आसान एक्सरसाइज, बढ़े हुए वजन को कम करने के साथ ही देगी स्ट्रेंथ भी!

    मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट का प्रभाव (Effect of Mixed Meal Tolerance Test)

    मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट (MMTT) के लिए मेटाबोलिक रिएक्शंस

    एमएमटीटी के प्रभावों की जांच करने के लिए 16 मोटे नॉनह्यूमन प्राइमेट्स (nonhuman primates), सायनोमोलगस बंदरों (cynomolgus monkeys) को शामिल किया गया। नॉनह्यूमन प्राइमेट्स (NHPs) को मिक्स्ड मील सोल्युशन के साथ प्लस एसिटामिनोफेन (plus acetaminophen) की 5 एमएल/किग्रा डोज दी गई। स्टडी में पाया गया कि मिक्स्ड मील के 30 मिनट में प्लाज्मा ग्लूकोज बढ़कर, अधिकतम 6.6 ± 0.4 mmol/L (10.1 ± 4.9% वृद्धि, p = 0.947) हो गया था। प्लाज्मा इंसुलिन और सी-पेप्टाइड (C-peptide) में भी बढ़ोत्तरी हुई। हालांकि, ये धीरे-धीरे अपने लेवल पर वापस आ गए। केवल एलडीएल, मिक्स्ड मील चैलेंज के बाद नहीं बदला है। मील चैलेंज के बाद प्लाज्मा टीजी बढ़ गया। वहीं, प्लाज्मा टीसी 60 से 90 मिनट में काफी कम हो गया। यह स्पष्ट नहीं है कि एमएमटीटी के दौरान प्लाज्मा टीसी और एचडीएल के लेवल में कमी क्यों आई।

    और पढ़ेंः ग्‍लूटेन फ्री डाइट (Gluten Free Diet) क्‍या है? जानिए इसके फायदे और नुकसान 

    गैस्ट्रिक एम्प्टयिंग (Gastric emptying) और एमएमटीटी रेप्रोडक्टिविटी

    16 बंदरों में ओरल एमएमटीटी के साथ प्लस एसिटामिनोफेन लेने के बाद प्लाज्मा एसिटामिनोफेन (Plasma acetaminophen) तेजी से एब्सॉर्ब हो गया। एमएमटीटी की रेप्रोडक्टिविटी को चेक करने के लिए, बंदरों के एक ग्रुप का पहले एमएमटीटी स्टडी के एक सप्ताह बाद और एक ग्रुप का दूसरे एमएमटीटी के बाद टेस्ट किया गया। प्लाज्मा एसिटामिनोफेन अपीयरेंस का समय 1 और 2 एमएमटीटी के बीच लगभग समान था। इसके अलावा, दो एमएमटीटी स्टडीज के बीच मापा गया प्लाज्मा टीसी, एचडीएल और एलडीएल लेवल में कोई स्पष्ट अंतर नहीं था।

    और पढ़ेंः टाइप 2 डायबिटीज में मेटफॉर्मिन और एक्सरसाइज एक दूसरे को कर सकती हैं प्रभावित! जानिए कैसे

    हायपरग्लाइसेमिक (hyperglycemic) और नॉरमोग्लाइसेमिक (normoglycemic) नॉनह्यूमन प्राइमेट्स (NHPs) में एमएमटीटी प्रभावों की तुलना

    16 मोटापा ग्रस्त बंदरों के साथ पहले एमएमटीटी के फास्टेड बेसलाइन ब्लड ग्लूकोज (fasted baseline blood glucose) और इंसुलिन के लेवल को एनालाइज करने से पता चला कि 11 बंदरों में अन्य 5 बंदरों की तुलना में ब्लड शुगर लेवल काफी ज्यादा था। जबकि फास्टेड बेसलाइन प्लाज्मा इंसुलिन और सी-पेप्टाइड लेवल (C-peptide levels) हाइपरग्लाइसेमिक (hyperglycemic) और नॉरमोग्लाइसेमिक ग्रुप्स के बीच में कोई खास कुछ खास अंतर नहीं था। नॉरमोग्लाइसेमिक बंदरों की तुलना में हाइपरग्लाइसेमिक बंदरों में बेसलाइन फास्टिंग ग्लूकोज/इंसुलिन 2 गुना ज्यादा था। हाइपरग्लाइसेमिक बंदरों में प्लाज्मा ग्लूकोज भी अधिक था।

    और पढ़ेंः डायबिटीज और एथेरोस्क्लेरोसिस: जानिए क्यों जरूरी है ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करना

    डेटा से पता चलता है कि मिक्स्ड मील टॉलरेंस टेस्ट नॉनह्यूमन प्राइमेट्स (NHPs) में मेटाबॉलिक फंक्शन्स का टेस्ट करने के लिए एक विश्वसनीय और सुविधाजनक तरीका प्रदान कर सकता है। साथ ही एमएमटीटी एक्स्ट्रा जरूरी जानकारी के साथ इन्क्रिटिन (incretins) और ग्लूकोज होमियोस्टेसिस (glucose homeostasis) की जांच के लिए भी अच्छा है। इस प्रकार, एमएमटीटी ओबेसिटी और डायबिटीज रिसर्च के लिए एनएचपी में β-सेल फ़ंक्शन का टेस्ट करने का एक बढ़िया तरीका साबित हो सकता है। साथ ही एसिटामिनोफेन का प्रयोग नॉनह्यूमन प्राइमेट्स (NHPs) में गैस्ट्रिक एम्प्टयिंग के रेगुलर प्रीक्लिनिकल इवैल्यूएशन के लिए एक भरोसेमंद टेस्ट प्रदान करता है।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    और द्वारा फैक्ट चेक्ड

    Niharika Jaiswal


    Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/11/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement