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टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की देखभाल (Care for children with type 1 diabetes): बेसिक केयर (Basic Care)
कई अस्पताल कुछ ऐसे एजुकेशनल कोर्स प्रोवाइड करते हैं, जिससे रोगी के परिवार या प्रियजनों को इस स्थिति को मैनेज करने में मदद मिल सके। इसका सबसे मुख्य बदलाव रोगी के ग्लूकोज लेवल को लगातार चेक करना और एडजस्ट करना शामिल है। कई बार दिन में दस से बारह बार इसकी जांच करनी पड़ सकती है। आपके बच्चे को कितनी इंसुलिन दी जानी चाहिए, यह बात उसके मील्स की टाइमिंग, उसके द्वारा लिए गए आहार और एक्टिविटी लेवल पर निर्भर करता है। शुरुआत में अपने शिशु या किशोर की ब्लड शुगर लेवल को हेल्दी रेंज में कैसे रखें, यह सब आपको मुश्किल लग सकता है। लेकिन, प्रैक्टिस के साथ यह सब आसान हो जाता है।
यहां तक कि अगर आप गलती करते हैं तो आपको यह पता चल जाएगा कि जब आपके बच्चे के शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत कम या अधिक होगा, तो वो कैसे रिएक्ट करेगा। इसे साथ ही आपको यह भी पता चल जाएगा कि इसे कैसे ठीक किया जा सकता है। अगर आपसे कोई गलती होती है या आपके बच्चे का ब्लड शुगर लेवल बहुत अधिक या कम हो जाए, तो यह स्थिति आपके लिए मुश्किल हो सकती है। लेकिन, याद रखें ऐसे कई तरीके और टूल्स हैं जो इसमें आपके लिए लाभदायक साबित हो सकते हैं। इंसुलिन को शॉट्स या पंप द्वारा दिया जा सकता है। शुरुआत में यह शॉट्स डॉक्टर देते हैं लेकिन बाद में परिवार में से किसी को इसे कैसे रोगी को देना है, यह सीखना पड़ता है।
पंप एक छोटा कंप्यूटर है, जो इंसुलिन की निश्चित डोज देता है। पंप के सही काम करने में मदद के लिए आपको ब्लड ग्लूकोज लेवल को ट्रैक करने की आवश्यकता होती है। माता-पिता, डॉक्टर और खुद रोगी इस बात को निर्धारित कर सकते हैं कि रोगी को कौन सा डिवाइस इस्तेमाल करना है। टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की देखभाल (Care for children with type 1 diabetes) में अब जानते हैं डे-टू-डे केयर के बारे में।
टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की देखभाल: डे-टू-डे केयर (Day-to-Day Care)
अगर आपके बच्चे को यह समस्या है, तो आपको खुद भी इस समस्या के बारे में जानना और लर्न करना होगा। ताकि, आप इस बीमारी को मैनेज कर पाएं। अगर रोगी बहुत छोटा है तो केयरगिवर को ही टाइप 1 डायबिटीज को मैनेज करना पड़ता है। आपको इन चीजों के बारे में सीखना चाहिए:
- कार्बोहाइड्रेट्स को काउंट करना सीखें।
- जानें कि इंसुलिन कैसे काम करती हैं, शॉट्स कैसे दिए जाते हैं और इंसुलिन पंप का इस्तेमाल कैसे करें।
- बच्चे की ब्लड शुगर को चेक करना और रिजल्ट इन्टरप्रेट करना भी सीखें।
- यह भी जानें कि विभिन्न फूड्स, एक्सरसाइजेज और बीमारियों को ब्लड शुगर लेवल पर क्या प्रभाव पड़ता है।
- बच्चे की मेंटल और इमोशनल हेल्थ को सपोर्ट करें और जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल की मदद लें।
- अपने बच्चे को यह सीखने में भी मदद करें कि शरीर में हाय और लो ब्लड शुगर के लक्षणों को कैसे पहचाने और वह खुद टाइप 1 डायबिटीज को कैसे मैनेज करें?
अपने बच्चे या किशोर के दोस्तों, फैमिली, स्कूल एडमिनिस्ट्रेटर्स या अन्य लोगों को इस बारे में बताएं।उन्हें जरूरत पड़ने पर बच्चे की कैसे मदद करनी है यह भी बताएं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप हमेशा अपने शिशु के साथ नहीं रह सकते हैं। ऐसे में, जो कोई भी जरूरत पड़ने पर उसके साथ हो, वो उसकी मदद कर सके। यह तो थी टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की देखभाल (Care for children with type 1 diabetes) के बारे में जानकारी। अब जान लेते हैं कि इस दौरान आपको अपने बच्चे या किशोर के लाइफस्टाइल में क्या बदलाव करने चाहिए?
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जीवनशैली में बदलाव
डायबिटीज का प्रकार चाहे कोई भी हो, इस दौरान जीवनशैली में हेल्दी बदलाव करना बेहद आवश्यक है। हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करने से रोगी को सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है। ऐसे में आप अपने बच्चे के जीवन में निम्नलिखित बदलाव करें:
- बच्चे को हेल्थ आहार दें। नमक, चीनी, वसा, रिफाइंड खाद्य पदार्थों से उसे दूर ही रखें। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर और डायटीशियन की मदद लें।
- नियमित व्यायाम करने की आदत डालें। रोजाना कुछ घंटे व्यायाम करने से आपके बच्चे को न केवल अच्छा महसूस होगा बल्कि हेल्दी रहने में भी मदद मिलेगी।
- बच्चे को तनाव आदि से बचाएं। उसे पर्याप्त रेस्ट करने दें।
- अपने बच्चे या किशोर के वजन को संतुलित रखें। मोटापे को इस परेशानी का एक बड़ा रिस्क फैक्टर माना गया है। अगर आपके बच्चे का वजन अधिक है, तो उसे कम करने की योजना बनाएं। सही डायट और व्यायाम से उसे लाभ होगा।
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इसके साथ ही उसके ब्लड शुगर को नियमित रूप से जांचे और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। अगर टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की देखभाल (Care for children with type 1 diabetes) के बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।