डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण: मूड में बदलाव (Mood Changes)
ब्लड शुगर लेवल के लगातार उतार-चढ़ाव का प्रभाव व्यक्ति के मूड पर भी पड़ता है। जब शुगर का स्तर कम होता है, तो हम उदास और चिड़चिड़े महसूस करते हैं और जब यह हाय होता है तो हम ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करते हैं व बेहतर मूड में होते हैं। जब यह लेवल बहुत अधिक कम या बहुत अधिक हाय हो जाता है। तो मरीज डिप्रेस्ड महसूस करता है। मूड में आए इस उतार चढ़ाव को टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों के साथ जोड़ कर देखा जाता है। अगर आप भी अपने मूड में बदलाव महसूस करते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें बाद ब्लड शुगर की जांच कराएं।
नजर का धुंधला होना (Blurred Vision)
हमारी आंख हमें इसमें मौजूद एक लेंस के कारण चीजों को देखने में मदद करती है। हाय ब्लड ग्लूकोज के कारण लेंस में एक फ्लूइड बनता है, जिसकी वजह से हमारी नजरों में समस्या हो सकती है। लेकिन जब ब्लड शुगर को कंट्रोल कर लिया जाता है और डायबिटीज मैनेज हो जाती है, तो विज़न भी सामान्य हो जाता है।
अधिक थकावट होना (Excessive Fatigue)
टाइप 1 डायबिटीज की कंडीशन में ब्लड में शुगर बहुत अधिक मात्रा में होती है। क्योंकि सेल्स इसका प्रयोग नहीं कर पाते हैं। इसके व्यक्ति कमजोर और थका हुआ महसूस कर सकता है। हालांकि थकावट महसूस करने के और भी कई कारण हो सकते हैं। टाइप 1 मधुमेह भी उन में से एक है। जिसे पहचानना और मैनेज करना बहुत जरूरी है।
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वजन का कम होना Unexplained Weight Loss)
टाइप 1 डायबिटीज के कारण जहां सामान्य से अधिक भूख और प्यास लगती है। वहीं वजन भी कम हो सकता है। दरअसल इस बीमारी में एनर्जी प्रोवायडिंग मैकेनिज्म सही तरीके से काम नहीं करता है। इसके कारण रोगी अचानक वजन का कम होना महसूस कर सकता है। यानी अगर आप वजन अचानक कम हो रहा हो तो आप उसे डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) में से एक मान सकते हैं।
बिस्तर गीला करना (Bed Wetting)
टाइप 1 डायबिटीज केवल वयस्कों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई बच्चा पहले बिस्तर गीला नहीं करता हो। लेकिन, अचानक ऐसा करने लगे तो यह डायबिटीज टाइप 1 का लक्षण हो सकता है। हाय शुगर लेवल के कारण लगातार यूरिनेशन की समस्या हो सकती है। बच्चे मूत्र त्याग की इच्छा को नींद में भी कंट्रोल नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण उनसे बिस्तर गीला हो जाता है। बिस्तर गीला करना बच्चों में डायबिटीज टाइप 1 का लक्षण (Diabetes type 1 Symptom) हो सकता है।
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सांस से फ्रूटी दुर्गंध आना (Fruity-Smelling Breath)
जब शरीर फैट का प्रयोग एनर्जी प्रोड्यूस करने में करने लगता है, तो इससे कीटोन्स बनते हैं। कीटोन्स के कारण सांस से फ्रूटी स्मेल आने लगती है। अगर इसका उपचार सही समय पर न किया जाए, तो कीटोन्स हाय लेवल के कारण कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis) की समस्या हो सकती है, जो जानलेवा समस्या हो सकती है।
यीस्ट इंफेक्शंस (Yeast Infections)
यीस्ट इंफेक्शंस डायबिटीज टाइप 1 का लक्षण हो सकता है। हाय शुगर लेवल जेनिटल ऑर्गन्स के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। क्योंकि, इसके कारण बैक्टीरिया, यीस्ट और कवक पनपते हैं। जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और वजाइनल इंफेक्शन हो सकता है। इंफेक्शन से बचने के लिए ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करना जरूरी है।
जी मचलना और उल्टी आना (Nausea and Vomiting)
जी मचलना और उल्टी आना टाइप 1 डायबिटीज के जोखिमभरे लक्षणों में से एक है। जब शरीर कार्बोहायड्रेट की जगह एनर्जी रिलीज़ के लिए फैट को बर्न करता है, तो उससे कीटोन्स निकलते हैं। जो इस प्रोसेस का वेस्ट मटेरियल है। कम मात्रा में इनसे कोई अधिक नुकसान नहीं होता है। लेकिन अगर यह अधिक मात्रा में हों, तो जी मचलना और उल्टी आना जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
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डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण: घाव का धीरे -धीरे ठीक होना (Having Sores that Heal Slowly)
डायबिटीज के कारण घाव को ठीक होने में बहुत अधिक समय लग जाता है। डायबिटीज के कारण मरीज जख्म को महसूस भी नहीं कर पाता है। जिसके कारण अधिकतर इस घाव का उपचार नहीं हो पाता और इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं, डायबिटीज ड्राय और खुजली वाली स्किन का कारण भी बन सकती है। इसके अलावा, कुछ अन्य डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) हो सकते हैं जैसे पेट में दर्द, सांस लेने में समस्या या बेहोशी। यह इसके गंभीर लक्षण हैं इन स्थितियों में तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है।
यह तो थी डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) क्या हैं, इसके बारे में पूरी जानकारी। अगर किसी बच्चे या वयस्क में इस डायबिटीज का निदान होता है, तो सबसे पहले जरूरी है उसका सही उपचार। दवाइयों, इंजेक्शन, शुगर लेवल को नियमित रूप से मॉनिटर और डायट का ख्याल रख कर यह स्थिति मैनेज हो सकती है। इसके कारण होने वाले किसी भी हार्मफुल इफेक्ट से बचने के लिए शुगर कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। क्योंकि यह कई जटिलताओं का कारण बन सकती है। जिनमें से कुछ घातक हो सकती है। अब जाइए, किस तरह से संभव है इस समस्या का उपचार?