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टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों को इस तरह से पहचान सकते हैं आप !

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों को इस तरह से पहचान सकते हैं आप !

    डायबिटीज का अर्थ है शरीर में ब्लड ग्लूकोज या ब्लड शुगर के लेवल का बहुत अधिक होना। डायबिटीज के दो मुख्य प्रकार हैं जिन्हें टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के नाम से जाना जाता है। आज हम बात करने वाले हैं डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) के बारे में। डायबिटीज से प्रभावित अधिकतर लोग टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं। हालांकि टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बीच में बहुत से समानताएं हैं लेकिन इन दोनों के कारण अलग-अलग हैं। यही नहीं, इनका उपचार भी अलग तरीकों से होता है। जानिए, क्या हैं डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms)। सबसे पहले जानते हैं टाइप 1 डायबिटीज के बारे में।

    टाइप 1 डायबिटीज क्या है? (Type 1 Diabetes)

    टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति के पैंक्रियास इंसुलिन नहीं बना पाते। यह पैंक्रियास इंसुलिन नहीं बना पाते क्योंकि रोगी के शरीर का इम्यून सिस्टम (Immune System) उन सेल्स पर अटैक कर के उन्हें नष्ट कर देता है, जो इंसुलिन बनाते हैं। इंसुलिन वो हॉर्मोन्स हैं जो ग्लूकोज की सेल्स में जाने में मदद करते हैं ताकि उन्हें ऊर्जा मिले। इंसुलिन के बिना बहुत अधिक मात्रा में ग्लूकोज ब्लड में रह जाता है। समय के साथ यह हाय ब्लड ग्लूकोज हार्ट, किडनी, नर्वज, मसूड़ों और दांतों आदि के लिए गंभीर समस्या बन सकती है। कुछ लोग, खासतौर पर वयस्क जिनमें टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) का हाल ही में निदान हुआ होता है, उनमें इसके लक्षण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के जैसे हो सकते हैं।

    ऐसा क्यों होता है इसके सही कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन, इनका कारण जीन्स (Genes) को माना जाता है। वयस्कों के साथ ही बच्चों में भी टाइप 1 डायबिटीज की समस्या हो सकती है। आइए, अब जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में ताकि सही समय पर सही उपचार संभव हो।

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    डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण क्या हैं? (Diabetes Type 1 Symptoms)

    टाइप 1 डायबिटीज की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है और बचपन में भी इसके विकसित होने की संभावना होती है। अगर इसका सही समय पर उपचार न किया जाए, तो इससे शरीर के ऑर्गन्स और टिश्यूज नष्ट हो सकते हैं। डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) इस प्रकार हैं :

    डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण: बार-बार बाथरूम जाना (Excess Urination)

    अगर आपको बिना किसी स्पष्ट कारण के बार-बार मूत्र त्याग के लिए बाथरूम जाना पड़ रहा है, तो सावधान हो जाए। क्योंकि यह टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) का वार्निंग साइन हो सकता है। हाय ब्लड शुगर लेवल के कारण खून के लिए टॉक्सिक एनवायरनमेंट बन सकता है। हमारा शरीर इस एक्सेस शुगर (Excess Sugar) को शरीर से बाहर निकाल कर इसे बैलेंस करने की कोशिश करता है।  ऐसे में किडनी अधिक यूरिन का निर्माण करती है और इसी कारण रोगी को इतनी अधिक बार बाथरूम जाना पड़ सकता है।

    डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण: अधिक पानी पीने की इच्छा (Feeling Thirsty)

    बार -बार मूत्र त्याग के कारण डिहायड्रेशन की समस्या हो सकती है और फ्लूइड के अधिक शरीर से बाहर निकल जाने के कारण प्यास लग सकती है। यही कारण है कि डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) में बार-बार पानी पीने की इच्छा भी शामिल है। कई बार हम इसे सामान्य समस्या समझ लेते हैं। लेकिन यह भी डायबिटीज का संकेत हो सकता है। जिसे समझना और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

    डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण: भूख लगना (Extreme Hunger)

    अधिक प्यास लगने के साथ ही बार-बार भूख लगना भी डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) है। हम जो भी चीज खाते हैं, हमारा शरीर उसे ग्लूकोज में बदल देता है जिससे हमें ऊर्जा मिलती है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित है, तो इंसुलिन की कमी के कारण हमारा शरीर उस ग्लूकोज का प्रयोग नहीं कर पाता है। जिसके कारण रोगी एनर्जी में कमी महसूस करता है। ऐसे में हमारा शरीर अधिक भोजन की इच्छा करता है और हमें अधिक भूख लगती है।

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    डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण: मूड में बदलाव (Mood Changes)

    ब्लड शुगर लेवल के लगातार उतार-चढ़ाव का प्रभाव व्यक्ति के मूड पर भी पड़ता है। जब शुगर का स्तर कम होता है, तो हम उदास और चिड़चिड़े महसूस करते हैं और जब यह हाय होता है तो हम ऊर्जा से भरा हुआ  महसूस करते हैं व बेहतर मूड में होते हैं। जब यह लेवल बहुत अधिक कम या बहुत अधिक हाय हो जाता है। तो मरीज डिप्रेस्ड महसूस करता है। मूड में आए इस उतार चढ़ाव को टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों के साथ जोड़ कर देखा जाता है। अगर आप भी अपने मूड में बदलाव महसूस करते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें बाद ब्लड शुगर की जांच कराएं।

    नजर का धुंधला होना (Blurred Vision)

    हमारी आंख हमें इसमें मौजूद एक लेंस के कारण चीजों को देखने में मदद करती है। हाय ब्लड ग्लूकोज के कारण लेंस में एक फ्लूइड बनता है, जिसकी वजह से हमारी नजरों में समस्या हो सकती है। लेकिन जब ब्लड शुगर को कंट्रोल कर लिया जाता है और डायबिटीज मैनेज हो जाती है, तो विज़न भी सामान्य हो जाता है।

    अधिक थकावट होना (Excessive Fatigue)

    टाइप 1 डायबिटीज की कंडीशन में ब्लड में शुगर बहुत अधिक मात्रा में होती है। क्योंकि सेल्स इसका प्रयोग नहीं कर पाते हैं। इसके व्यक्ति कमजोर और थका हुआ महसूस कर सकता है। हालांकि थकावट महसूस करने के और भी कई कारण हो सकते हैं। टाइप 1 मधुमेह भी उन में से एक है। जिसे पहचानना और मैनेज करना बहुत जरूरी है।

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    वजन का कम होना Unexplained Weight Loss)

    टाइप 1 डायबिटीज के कारण जहां सामान्य से अधिक भूख और प्यास लगती है। वहीं वजन भी कम हो सकता है। दरअसल इस बीमारी में एनर्जी प्रोवायडिंग मैकेनिज्म सही तरीके से काम नहीं करता है। इसके कारण रोगी अचानक वजन का कम होना महसूस कर सकता है। यानी अगर आप वजन अचानक कम हो रहा हो तो आप उसे डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) में से एक मान सकते हैं।

    बिस्तर गीला करना (Bed Wetting)

    टाइप 1 डायबिटीज केवल वयस्कों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई बच्चा पहले बिस्तर गीला नहीं करता हो। लेकिन, अचानक ऐसा करने लगे तो यह डायबिटीज टाइप 1 का लक्षण हो सकता है। हाय शुगर लेवल के कारण लगातार यूरिनेशन की समस्या हो सकती है। बच्चे मूत्र त्याग की इच्छा को नींद में भी कंट्रोल नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण उनसे बिस्तर गीला हो जाता है। बिस्तर गीला करना बच्चों में डायबिटीज टाइप 1 का लक्षण (Diabetes type 1 Symptom) हो सकता है।

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    सांस से फ्रूटी दुर्गंध आना (Fruity-Smelling Breath)

    जब शरीर फैट का प्रयोग एनर्जी प्रोड्यूस करने में करने लगता है, तो इससे कीटोन्स बनते हैं। कीटोन्स के कारण सांस से फ्रूटी स्मेल आने लगती है। अगर इसका उपचार सही समय पर न किया जाए, तो कीटोन्स हाय लेवल के कारण कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis) की समस्या हो सकती है, जो जानलेवा समस्या हो सकती है।

    यीस्ट इंफेक्शंस (Yeast Infections)

    यीस्ट इंफेक्शंस डायबिटीज टाइप 1 का लक्षण हो सकता है। हाय शुगर लेवल जेनिटल ऑर्गन्स के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। क्योंकि, इसके कारण  बैक्टीरिया, यीस्ट और कवक पनपते हैं। जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और वजाइनल इंफेक्शन हो सकता है। इंफेक्शन से बचने के लिए ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करना जरूरी है।

    जी मचलना और उल्टी आना (Nausea and Vomiting)

    जी मचलना और उल्टी आना टाइप 1 डायबिटीज के जोखिमभरे लक्षणों में से एक है। जब शरीर कार्बोहायड्रेट की जगह एनर्जी रिलीज़ के लिए  फैट को बर्न करता है, तो उससे कीटोन्स निकलते हैं। जो इस प्रोसेस का वेस्ट मटेरियल है। कम मात्रा में इनसे कोई अधिक नुकसान नहीं होता है। लेकिन अगर यह अधिक मात्रा में हों, तो जी मचलना और उल्टी आना जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

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    डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण: घाव का धीरे -धीरे ठीक होना (Having Sores that Heal Slowly)

    डायबिटीज के कारण घाव को ठीक होने में बहुत अधिक समय लग जाता है। डायबिटीज के कारण मरीज जख्म को महसूस भी नहीं कर पाता है। जिसके कारण अधिकतर इस घाव का उपचार नहीं हो पाता और इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं, डायबिटीज ड्राय और खुजली वाली स्किन का कारण भी बन सकती है। इसके अलावा, कुछ अन्य डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) हो सकते हैं जैसे पेट में दर्द, सांस लेने में समस्या या बेहोशी। यह इसके गंभीर लक्षण हैं इन स्थितियों में तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है।

    यह तो थी डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) क्या हैं, इसके बारे में पूरी जानकारी। अगर किसी बच्चे या वयस्क में इस डायबिटीज का निदान होता है, तो सबसे पहले जरूरी है उसका सही उपचार। दवाइयों, इंजेक्शन, शुगर लेवल को नियमित रूप से मॉनिटर और डायट का ख्याल रख कर यह स्थिति मैनेज हो सकती है। इसके कारण होने वाले किसी भी हार्मफुल इफेक्ट से बचने के लिए शुगर कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। क्योंकि यह कई जटिलताओं का कारण बन सकती है। जिनमें से कुछ घातक हो सकती है। अब जाइए, किस तरह से संभव है इस समस्या का उपचार?

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    टाइप 1  डायबिटीज का उपचार (Treatment of Type 1 Diabetes)

    सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन ( Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार अगर किसी बच्चे को टाइप 1 डायबिटीज की समस्या है तो माता पिता को उसके आहार, इंसुलिन और अन्य चीजों का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। इसके साथ ही उन्हें अपने बच्चे के लक्षणों पर नजर रखनी पड़ती है और पूरी तरह से डॉक्टर  के सम्पर्क में रहना पड़ता है ताकि कोई भी समस्या होने पर तुरंत मदद ली जा सके। डायबिटीज टाइप 1 का कोई इलाज नहीं है। लेकिन, इस स्थिति को सफलतापूर्ण मैनेज किया जा सकता है। इसका उपचार इस तरह से संभव है:

    • रोजाना डॉक्टर की सलाह के अनुसार इंसुलिन को इंजेक्शन (Insulin Injection) या इंसुलिन पंप (Insulin Pump) के माध्यम से लेना।
    • ग्लूकोज मीटर की मदद से नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को मॉनिटर करना।
    • कीटोन्स के हाय लेवल को यूरिन टेस्ट स्ट्रिप (Test Strip) से चेक करना। यह टेस्ट रोजाना जरूरी नहीं है, लेकिन अगर समस्या का संदेह हो तो इसे करना जरूरी है।
    • मरीज की डायट में परिवर्तन करना, ताकि ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहे। रोगी के आहार में स्लो कार्बोहायड्रेट्स (Slow Carbohydrates) जैसे बीन्स या फलों की मात्रा को बढ़ाना। जो शरीर में एब्सॉर्ब होने में समय
    • लेते हैं।
    • नियमित रूप से व्यायाम करें।
    • तनाव से बचें, क्योंकि यह भी डायबिटीज का एक कारण बन सकता है।
    • जटिलताओं से बचने के लिए नियमित रूप से डायबिटीज की जांच करें।

    हालांकि डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है। लेकिन दुनिया भर में इसके लिए शोध जारी हैं। टाइप 1  डायबिटीज को इंसुलिन इंजेक्शन से मैनेज किया जा सकता है। अगर ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल में रखा जाए, तो इसकी जटिलताओं से भी बचा जा सकता है। कुछ थेरेपीज भी विकसित की जा रही हैं जैसे इंसुलिन पंप।

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    जैसा की आप जान ही गए होंगे कि डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण (Diabetes Type 1 Symptoms) को मैनेज करना बहुत जरूरी है। अगर ब्लड ग्लूकोज का उपचार न किया जाये तो ग्लूकोज शरीर में प्रोटीन से अटैच होने लगती है। जिससे ऑर्गन डैमेज हो सकते है। यह आंखों, किडनी, हार्ट, ब्लड वेसल आदि को प्रभावित कर सकती है। डायबिटीज के साथ जीवन बिताना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इससे पीड़ित बच्चों और किशोरों के लिए इनसे डील करना और भी मुश्किल होता है। छोटे बच्चे यह नहीं समझ पाते कि उन्हें ब्लड टेस्ट कराने या दवा लेने कि जरूरत क्यों है। वो अक्सर ड़र जाते हैं, गुस्सा करते हैं और स्थिति को समझ नहीं पाते।

    अगर बच्चे को यह समस्या है तो माता-पिता की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है क्योंकि इस दौरान उन्हें अपने बच्चे के खानपान और देखभाल का अधिक ध्यान रखना होता है। लेकिन लक्षणों को मैनेज करके और हेल्दी लाइफस्टाइल अपना कर रोगी स्वस्थ जीवन जी सकता है।

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    Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

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