फ्लूइड बॉन्डिंग व्यक्ति का खुद का फैसला है, इसमें व्यक्ति खुद तय करता है कि सेक्स के दौरान किसी भी बैरियर का इस्तेमाल करना है या नहीं। जो लोग फ्लूइड बॉन्डिंग करने के लिए सोचते हैं, वो सेक्स के दौरान बॉडी का तरल पदार्थ एक-दूसरे के साथ आदान प्रदान करते हैं। जिसमें सीमन, लार, ब्लड और इजैकुलेट भी शामिल है। सेफ सेक्स के दौरान कॉन्डम, डेंटल डैम आदि का इस्तेमाल बैरियर की तरह काम करता है। जिससे कई तरह की सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से रोकथाम होती है।
फ्लूइड बॉन्डिंग लोग क्यों करते हैं?
फ्लूइड बॉन्डिंग में बहुत सारे लोगों का मानना है कि बैरियर मेथेड से वो अपनी सेक्स लाइफ एंजॉय नहीं कर पाता है, लेकिन जो लोग फ्लूइड एक्सचेंज करते हैं, वे लोग सिर्फ एक व्यक्ति के साथ कमिटेड रहते हैं। ऐसे लोगों में अगर फ्लूइड बॉन्डिंग होती है तो वे काफी आत्मविश्वास के साथ एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप का आनंद लेते हैं, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि फ्लूइड एक्सचेंज से कोई खास भावनात्मक जुड़ाव होता है।
क्या बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर से इमोशनल बॉन्डिंग बढ़ती है?
कुछ कपल्स का मानना है कि बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर करने से हमारे बीच में इमोशनल बॉन्डिंग बढ़ती है। उनका ये भी मानना है कि ऐसा करने से उनके रिश्ते को एक नई दिशा मिलती है। बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर करने से डीपर फिजिकल कनेक्शन का एहसास होता है। ऐसे में वे बिना किसी चिंता से सेफ सेक्स करते हैं, लेकिन फिर भी सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन होने का जोखिम तो होता ही है।