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जानें कितने प्रकार के होते हैं वजायनल इंफेक्शन?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/08/2020

    जानें कितने प्रकार के होते हैं वजायनल इंफेक्शन?

    वजायनल इंफेक्शन यानी कि योनि में संक्रमण महिलाओं में सबसे सामान्य समस्या है। लेकिन वजायनल इंफेक्शन कई तरह के होती हैं। जिसका असर सेहत पर अलग-अलग पड़ता है और इसके कारण भी अलग-अलग होते हैं। जैसा कि जानकारी ही सबसे बड़ा इलाज है। इसलिए आपको जानना जरूरी है कि आपको किस तरह का इंफेक्शन हो सकता है। आइए हैलो स्वास्थ्य आपको बताएगा कि वजायनल इंफेक्शन कितने प्रकार के होते हैं और आप किस तरह से इसका इलाज कर सकते हैं।

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    कितने प्रकार के होते हैं वजायनल इंफेक्शन?

    सामान्यतः वजायनल इंफेक्शन निम्न प्रकार के होते हैं :

    1. बैक्टीरियल वजायनॉसिस (Bacterial vaginosis)
    2. यीस्ट इंफेक्शन
    3. सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (sexually transmitted infections)
    4. वजायनाइटिस (Vaginitis)
    5. यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection)

    बैक्टीरियल वजायनॉसिस (Bacterial vaginosis)

    बैक्टीरियल वजायनॉसिस वजायना में बैक्टीरियम की अधिक वृद्धि के कारण होने वाला वजायनल इंफेक्शन है। सेक्स करने से भी बैक्टीरियल वजायनॉसिस होता है और ये उन्हें भी हो सकता है जो लोग सेक्सुअल एक्टिव नहीं होते हैं। मेनोपॉज और हॉर्मोनल बदलावों के कारण भी बैक्टीरियल वजायनॉसिस हो जाता है। जिसके कारण भी वजायना से बदबू आती है

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    किन्हें हो सकता है बैक्टीरियल वजायनॉसिस

    बैक्टीरियल वजायनॉसिस अमूमन 15 से 44 साल की महिलाओं के अंदर होता है। इस वजायनल इंफेक्शन के होने का खतरा सबसे ज्यादा निम्न लोगों को होता है : 

    • नए पार्टनर के साथ सेक्स करने से
    • कई लोगों के साथ सेक्स करने से
    • सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल न करने से
    • अगर आप गर्भवती हैं तो भी आपको बैक्टीरियल वजायनॉसिस हो सकती है। चार में से एक महिला गर्भावस्था में बैक्टीरियल वजायनॉसिस से परेशान रहती है। 

    बैक्टीरियल वजायनॉसिस के लक्षण क्या है?

    बैक्टीरियल वजायनॉसिस के लक्षण बहुत महिलाओं में सामने नहीं आते हैं। लेकिन, जो भी लक्षण सामने आते हैं, वो निम्न हैं :

    • इस वजायनल इंफेक्शन में योनि से असामान्य सा डिस्चार्ज होता है। जो देखने में सफेद और ग्रे रंग का होता है। इस वजायनल डिस्चार्ज से अजीब तरह की बदबू आती है। 
    • पेशाब करने में जलन
    • वजायना और उसके आसपास खुजली

    बैक्टीरियल वजायनॉसिस का इलाज क्या है? 

    बैक्टीरियल वजायनॉसिस बैक्टीरिया से होने वाला एक वजायनल इंफेक्शन है। ज्यादातर बैक्टीरियल इंफेक्शन का इलाज एंटीबायोटिक्स से द्वारा किया जाता है। अगर आपको बैक्टीरियल वजायनॉसिस है तो आप डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज कराएं। अगर आप दवा का कोर्स पूरा नहीं करेंगे तो आपको फिर से बैक्टीरियल वजायनॉसिस होने का खतरा रहेगा। 

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    यीस्ट इंफेक्शन 

    यीस्ट इंफेक्शन यीस्ट नामक फंफूद से होने वाली एक समस्या है। जो महिला के योनि और गुप्तांगों को प्रभावित करती है। यीस्ट इंफेक्शन के कारण योनि पर दाने निकल जाते हैं, जो संक्रमण के साथ बढ़ते जाते हैं।

    किन्हें हो सकता है यीस्ट इंफेक्शन?

    लगभग 75 प्रतिशत महिलाएं यीस्ट इंफेक्शन से पीड़ित होती है। यीस्ट इंफेक्शन वजायना के अलावा स्तनों पर भी हो सकता है (अगर महिला स्तनपान करा रही है तो संभावना बनती है)। यूं तो यीस्ट इंफेक्शन सेक्स करने से नहीं फैलता है, पर कुछ मामलों में पाया गया है कि सेक्स करने से यीस्ट इंफेक्शन पार्टनर को हो जाता है। इसलिए हमेशा सुरक्षित सेक्स करना चाहिए

    यीस्ट इंफेक्शन होने का सबसे ज्यादा खतरा निम्न लोगों को होता है :

     यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं? 

    यीस्ट इंफेक्शन होने के क्या कारण हैं? 

    यीस्ट इंफेक्शन एक फंगल इंफेक्शन है जो फफूंद के कारण होता है। यीस्ट नामक फंफूद वजायना में नमी पाते ही फैलने लगता है। जिसके बाद यह पूरी वजायना में फैलने लगता है। 

    यीस्ट इंफेक्शन का इलाज क्या है? 

    यीस्ट इंफेक्शन होने पर एंटीफंगल दवाओं से इलाज किया जाता है। माइकोनाजोल या टायोकॉनाजोल जैसी दवाओं को डॉक्टर यीस्ट इंफेक्शन में देते हैं। लेकिन, ये दवाएं बिना डॉक्टर के परामर्श के न खाएं। 

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    सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (sexually transmitted infections)

    सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs) को सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STDs) भी कहा जाता है। ये वजायनल इंफेक्शन वजायनल, ओरल या एनल सेक्स के द्वारा होता है। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन महिलाओं में बांझपन का कारण भी बनता है। 

    किन्हें हो सकता है सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs)?

    2002-03 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs) बीमारी से हर साल लगभग 100 लाख महिलाएं परेशान रहती हैं। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन 15 साल से 24 साल तक ही महिलाओं में होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। 

    सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं?

    सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन होने के क्या कारण हैं? 

    • असुरक्षित यौन संबंध बनाने से या वजायनल, ओरल या एनल सेक्स करने से आपको यह वजायनल इंफेक्शन हो सकता है। इससे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन अनसेफ सेक्स से फैलता है। 
    • अगर आप सेक्स नहीं करते हैं तो भी आपको सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन हो सकता है। अगर आप अपने जननांगों को छूते हैं तो आपको सिफैलिस और हर्पिस होने का खतरा रहता है। 
    • एक गर्भवती महिला या स्तनपान कराने वाली महिला से सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन उसके बच्चे को भी हो सकता है।

    सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का इलाज क्या है? 

    सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के इलाज के लिए ओरल दवा या मलहम दिया जाता है। जो सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के असर को धीरे-धीरे कम करती है। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन में कई तरह की समस्याएं होती हैं। इसलिए डॉक्टर लक्षणों के आधार पर दवा और इलाज करते हैं। 

    वजायनाइटिस (Vaginitis)

    वजायनाइटिस एक वजायनल इंफेक्शन है, जिसमें योनि में जलन और दर्द होता है। वजायनाइटिस होना बहुत सामान्य है। जिस कारण वजायना से बदबू आती है। 

    किन्हें हो सकता है वजायनाइटिस?

    वजायनाइटिस ज्यादातर महिलाओं को होता है। ये अमूमन 18 साल से 40 साल तक की महिलाओं को होने का खतरा ज्यादा रहता है। 

    वजायनाइटिस के लक्षण क्या हैं?

    वजायनाइटिस के लक्षण बैक्टीरियल वजायनॉसिस और यीस्ट इंफेक्शन की तरह ही होते हैं। 

    वजायनाइटिस होने के क्या कारण हैं? 

    वजायनाइटिस होने के लिए नुकसानदायक बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं।वजायनाइटिस उन्हीं बैक्टीरिया से होते हैं, जो बैक्टीरियल वजायनॉसिस के लिए जिम्मेदार होते हैं।

    वजायनाइटिस का इलाज क्या है? 

    वजायनाइटिस का इलाज एंटीबायोटिक्स के द्वारा किया जाता है। इसके अलावा सेक्स करते समय कॉन्डम का प्रयोग जरूर करें। जिससे आपको वजायनाइटिस होने का खतरा कम हो जाएगा। 

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन 

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) महिलाओं में होने वाली सबसे सामान्य बीमारी है। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गनइजेशन (WHO) के रिपोर्ट के अनुसार तकरीबन 50 प्रतिशत महिलाओं को कभी ना कभी यूरिन इंफेक्शन की परेशानी हुई है। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का मुख्य कारण सफाई (हाइजीन) नहीं रखना माना जाता है। जिसमें योनि व मूत्रमार्ग में जलन और दर्द भी हो सकता है। UTI किसी भी उम्र की महिला को कभी भी हो सकता है। 

    किन्हें हो सकता है यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन?

    यूटीआई होना बहुत सामान्य है। ये 25 में से 10 महिलाओं को होता ही है। इसके अलावा 25 में से 3 पुरुष भी यूटीआई की समस्या से परेशान रहते हैं। पुरुष यूटीआई से कम प्रभावित होते हैं क्योंकि उनका मूत्रमार्ग महिलाओं की तुलना में लंबा होता है। जिससे बैक्टीरिया को महिलाओं के यूरिनरी ट्रैक्ट को प्रभावित करने में आसानी होती है। 

    यूटीआई होने का सबसे ज्यादा खतरा निम्न लोगों को होता है :

    यूटीआई के लक्षण क्या हैं?

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लक्षण निम्न हैं : 

    • बार-बार पेशाब लगना
    • साफ नहीं बल्कि धुंधली पेशाब होना
    • पेशाब से या वजायना से बदबू आना
    • पेशाब करने में दर्द या जलन महसूस होना
    • पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द होना
    • ज्यादा देर तक टॉयलेट पास होना
    • संक्रमण के कारण बुखार आना
    • किडनी में इंफेक्शन होना

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का कारण क्या हैं? 

    यूटीआई के संक्रमण के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया का नाम इश्चीरिया कोलाई (Escherichia coli) है। ये बैक्टीरिया हमारे आंतों में रहता है। फिर यह हमारे मलाशय (rectum) से गुदा (Anus) तक पहुंचता है। फिर वजायना से होते हुए मूत्रमार्ग तक बैक्टीरिया पहुंच जाता है। फिर हमारे मूत्राशय (Urinary Bladder) को प्रभावित कर देता है। जिससे ये संक्रमण हो जाता है।

    इसके अलावा यूटीआई होने के निम्न कारण होते हैं : 

    • तनाव, बीमारी और प्रेगनेंसी से इम्यून सिस्टम में बदलाव आने के कारण यूटीआई हो सकता है।
    • गर्भनिरोध, एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉइड दवाओं के सेवन से भी यूटीआई हो सकता है।
    • डायबिटीज के कारण भी यूटीआई हो सकता है।
    • टाइट पैंट्स पहनने से गुप्तांगों के पास नमी हो जाती है जिसके कारण संक्रमण हो जाता है।

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का इलाज क्या है? 

    • यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का इलाज एंटीबायोटिक्स की मदद से किया जाता है। जिसे डॉक्टर के परामर्श पर ही लेना चाहिए। ये एंटीबायोटिक्स को डॉक्टर दिन में दो बार लगभग पांच से सात दिनों तक खाने के लिए कहते हैं। 
    • इसके अलावा संक्रमण को कम करने के लिए लो डोज की एंटीबायोटिक्स ले सकती हैं। जैसे- नाइट्रोफ्यूरैनटॉइन, ट्राइमेथॉप्रिम-सल्फामेथॉक्साजोल और सिफैलेक्सिन को आप यूटीआई दोबारा होने पर ले सकते हैं।  जिससे यूटीआई के दोबारा होने के जोखिम कम हो जाएंगे। 
    • आपको ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए। जिससे ज्यादा मात्रा में यूरीन होगी और यूटीआई के बैक्टीरिया फ्लश हो जाएंगे। 
    • यूटीआई के लिए आप चाहें तो करौंदे (cranberry) का जूस भी पी सकते हैं। करौंदा यूटीआई के संक्रमण को कम करता है।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। 

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