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एक्वायर्ड इम्यूनो-डिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) की वजह से होने वाली बीमारी है। वायरस की वजह पीड़ित व्यक्ति की इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि HIV वायरस इम्यून सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालना शुरू कर देता है। शरीर का इम्यून पॉवर जैसे ही कमजोर पड़ता है वैसे ही अलग-अलग तरह की बीमारी शुरू हो जाती है। CD 4 टेस्ट की मदद से पेशेंट की स्थिति समझी जा सकती है।
जब कोई भी व्यक्ति एड्स का शिकार होता है तो ऐसी स्थिति में CD 4 सेल्स (सीडी 4) सेल्स की संख्या घट जाती है। सीडी 4 काउंट हमारे इम्यून सिस्टम की क्षमता को दर्शाता है। ऐसे में CD 4 टेस्ट की मदद ली जाती है। इस टेस्ट की मदद से पता लगाया जाता है कि एड्स पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम किस हद तक खराब हो चुका है। क्योंकि ऐसा होने पर उसे मामूली से मामूली संक्रमण भी आसानी से घेरने लग जाते हैं। अगर जांच में मरीज की टी–सेल्स में गिरावट दिखाई देती है, तो तत्काल इम्यून बूस्टर दिए जाते हैं। CD 4 टेस्ट शरीर में CD 4 सेल्स की जानकारी देने में सक्षम होता है।
एड्स पीड़ित व्यक्ति का जब शुरुआती इलाज होता है तो डॉक्टर्स सबसे पहले इस CD 4 टेस्ट की मदद लेते हैं। इलाज में 2 से 8 हफ्तों के अंतराल पर ये टेस्ट किया जाता है। आगे के स्टेजेस में इस जांच को कई बार किया जाता है ताकि संक्रमण के बढ़ने की गति का अंदाजा लगाया जा सके। कई मामलों में देखा गया है कि इन कोशिकाओं की मात्रा सुबह के समय अधिक और शाम में कम होती है। न्यूमोनिया, इन्फ्लुएंजा और हर्पीस सिम्पलेक्स (Herpes Simplex Virus) वायरस का संक्रमण होने पर भी इनकी संख्या में गिरावट आ सकती है। इन्हीं सारी शारीरिक स्थिति को देखते हुए CD 4 टेस्ट की जाती है।
कई बार कैंसर थेरिपी के चलते भी इन सेल्स की संख्या कम हो जाती है। इसलिए हमेशा CD 4 सेल्स का कम होना एड्स का संकेत नहीं हो सकता है। कई बार कम सीडी 4 सेल्स वाले लोग भी ठीक होते हैं और उन्हें बहुत अधिक स्वास्थ्य समबन्धी परेशानियां नहीं होती हैं।
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CD 4 टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर से मिलकर इसके बारे में सारी जानकारी लें।
इस टेस्ट के पहले पेशेंट को कोई खास तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि सीडी 4 टेस्ट के पहले कुछ बातों को ध्यान रखना जरूरी है। जैसे –
इस टेस्ट के पहले या बाद में टेंशन न लें। अत्यधिक तनाव की वजह से भी CD 4 सेल्स की संख्या कम हो सकती है।
CD 4 टेस्ट से जुड़ी और किसी जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें
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डॉक्टर से मिलकर टेस्ट के परिणामों को समझने की कोशिश करें। अगर रिपोर्ट में टी सेल्स की संख्या 350 से कम होने पर डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें।
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार अगर किसी का व्यक्ति का CD 4 टेस्ट किया जा रहा है और अगर उस व्यक्ति का इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग है तब तो किसी तरह की परेशानी नहीं होने की संभावना है लेकिन, अगर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर है तो निम्नलिखित परेशानी हो सकती है।
इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानी हो सकती है।
इस टेस्ट के साथ-साथ लाइफस्टाइल में बदलाव करें और कुछ घरेलू टिप्स अपनाएं। जैसे-
इन घरेलू टिप्स को फॉलो करें और ऊपर बताई गई जीवनशैली का पालन करें।
ध्यान रखें HIV एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण की वजह से होता है। लेकिन, AIDS नहीं होता है। AIDS उसी महिला या पुरुष को होगा जिसे HIV पॉजिटिव है। HIV/AIDS जैसी बीमारी होने पर या इसके लक्षण नजर आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। कोई भी बीमारी होने पर डरने या शर्माने की बजाए डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।
अगर आप Cd 4 टेस्ट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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