बैक्टीरिया जनित रोग है क्लामायडिया (chlamydia)
क्लामायडिया (chlamydia) बैक्टीरिया जनित रोग में से एक है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि एसटी़डी से बचाव किया जाए। कई लोगों में देखा गया है कि इस बीमारी के होने के कारण उनमें किसी प्रकार का कोई लक्षण ही दिखायी नहीं देता है। वहीं उनमें सेक्स के दौरान दर्द, डिस्कंफर्ट के साथ पेशाब का आना के साथ पेनिस या वजाइना से ग्रीन यल्लो डिस्चार्ज होता है। वहीं पेट के निचले हिस्से लोअर एब्डामिन में दर्द होता है। वहीं इस बीमारी का इलाज न कराया गया तो व्य्क्ति को यूरेथरा, प्रोस्टेट ग्लैंड, टेस्टिकल्स में इंफेक्शन हो सकता है। वहीं पेल्विस इंफ्लेमेटरी डिजीज के साथ इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि बीमारी से बचा किया जाए। वहीं गर्भवती महिलाओं में यदि इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो उनसे शिशु को भी बीमारी हो सकती है, शिशु में नियोमोनिया के साथ आंखों का इंफेक्शन या फिर आंख की रोशनी तक जा सकती है। इसलिए जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।
प्यूबिक लाइस (कार्ब्स) से बचने के लिए एसटीडी से बचें
प्यूबिक लाइस का ही दूसरा नाम कार्ब्स भी है। इस बीमारी से बचाव के लिए भी एसटी़डी से बचाव जरूरी है। यह छोटे-छोटे इंसेक्ट्स होते हैं जो हमारे प्यूबिक हेयर में घर बना लेते हैं। वहीं हेड लाइस और बॉडी लाइस के जरिए ही शरीर में घुस जाते हैं। बीमारी के होने पर लोगों के प्राइवेट पार्ट या एनसल में खुजली होती है, एनस के आसपास छोटे व पिंक कलर के लाल उभार देखने को मिलते हैं, कम बुखार होने के साथ शरीर में कमजोरी और इरीटेशन होता है। बीमारी के होने पर प्यूबिक हेयर की जड़ पर जुएं के पास सफेद छोटे अंडे दिखते हैं। वहीं यह बीमारी एक दूसरे के कपड़े पहनने, बेड शेयर करने और टावेल का इस्तेमाल करने से भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।
और पढ़ें: क्या कोरोना वायरस और सेक्स लाइफ के बीच कनेक्शन है? अगर जानते हैं इस बारे में तो खेलें क्विज
सेक्स रोग की श्रेणी में आता है ट्राइकोमोनाइसिस (trichomoniasis)
एसटी़डी से बचाव के लिए ट्राइकोमोनाइसिस (trichomoniasis) से भी बचाव जरूरी है, इसको ट्रिच भी कहा जाता है। एक से दूसरे व्यक्ति में असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण होता है। बता दें कि करीब एक तिहाई लोगों में ही इस बीमारी का लक्षण देखने को मिलता है। वहीं लक्षणों में वजायना या पेनिस से डिस्चार्ज होता है, वहीं शारीरिक संबंध बनाने के दौरान और पेशाब करने में परेशानी होना, तुरंत पेशाब होना बीमारी के लक्षणों में से एक हैं। वहीं महिलाओं में डिस्चार्ज होने के साथ मच्छली जैसी बदबू आती है। वहीं बीमारी का इलाज न किया गया तो आगे चलकर यूथेरा में इंफेक्शन, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने के साथ इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। ऐसे में एसटीडी से बचाव किया जाए, ताकी इस प्रकार की बीमारी न हो।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और एसटीडी से बचाव से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।