महिलाओं और बच्चों में एचआईवी और AIDS काफी तेजी से फैलता है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 38 प्रतिशत महिलाएं एचआईवी और AIDS से पीड़ित हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर गर्भावस्था में एचआईवीऔर AIDS की बीमारी है, तो जन्म लेने वाला शिशु भी एचआईवी और AIDS के संक्रमण का शिकार हो सकता है।
और पढ़ें: एचआईवी (HIV) और एड्स(AIDS) के बारे में आप जो जानते हैं, वह कितना है सही!
गर्भ में पल रहे शिशु तक एचआईवी कैसे पहुंच सकता है?
गर्भावस्था के दौरान मां से शिशु में लेबर, बेबी डिलिवरी या फिर ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान एचआईवीका संक्रमण फैल सकता है। इसे मेडिकल टर्म में पेरिनेटल ट्रांसमिशन (Perinatal transmission) कहते हैं। बच्चों में एचआईवी इंफेक्शन का सबसे अहम कारण पेरिनेटल एचआईवी ट्रांसमिशन ही माना जाता है। इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार एचआईवी इंफेक्टेड मां और शिशु की संख्या कई देशों में बढ़ी हैं। इसलिए गर्भावस्था में एचआईवी और AIDS जैसी बीमारी है तो सचेत रहें।
- हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा से शिशु तक संक्रमण पहुंच सकता है।
- शिशु के जन्म के समय वजायना से तरल पदार्थ भी निकलता है। इसके संपर्क में रहने से भी शिशु में एचआईवी का खतरा हो सकता है।
- शिशु को स्तनपान करवाने के दौरान भी एचआईवी का खतरा हो सकता है।
इन तीन अहम कारणों से शिशु में एचआईवी की संभावना बढ़ जाती है।
एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं की देखभाल दिन-प्रतिदिन बेहतर होती जा रही है। यदि एचआईवी का उपचार ठीक से किया जाए तो संक्रमित मांओं के गर्भ से जन्म लेने वाले 200 में से केवल एक शिशु ही इस विषाणु की चपेट में आ सकता है।
गर्भावस्था में दवाएं लेने से वायरस का अपरा से होते हुए शिशु तक पहुंचने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। इसलिए, अगर आपको एचआईवी है तो सही उपचार और देखभाल शिशु को सुरक्षित रखने में काफी मदद करती है।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इस लेख में एचआईवी से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आपको इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा इसके लिए आप अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।