किसी भी बीमारी का इलाज असंभव अब ऐसा नहीं कहा जा सकता। हम कई बीमारियों से बचने और उनके खतरनाक परिणामों को काफी हद तक रोक सकते हैं। इसी तरह आप एचआईवी पॉजिटिव (HIV Positive) की वजह से बढ़ रही दिल की बीमारियों को भी रोक सकते हैं। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसे मरीज जिनमें एचआईवी पॉजिटिव है उनमें दिल की बीमारियां बढ़ रही है। पूरे विश्व में तीन करोड़ से ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव मरीज हैं और इसके आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
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एचआईवी से कैसे बचें?
एचआईवी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि असुरक्षित तरीके से शारीरिक संबंध (Physical relation) न बनाएं। सेक्स के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें, जैसे:
- सेक्स करते समय हमेशा कंडोम (Condom) का इस्तेमाल करें
- सिर्फ एक ही व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाए। यह भी ध्यान रखें की वह व्यक्ति एचआईवी संक्रमित (HIV Infected) नहीं होना चाहिए।
- एल्कोहॉल (Alcohol) और ड्रग्स (Drugs) का सेवन न करें। इससे आप सही निर्णय ले सकते हैं।
- सिगरेट (Cigrate) या तंबाकू का सेवन भी बंद कर दें।
- एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के ब्लड के संपर्क में न आएं।
क्या मां से शिशु भी एचआईवी (HIV) से हो सकता है संक्रमित?
एवर्ट की साल 2017 के एक रिपोर्ट अनुसार प्रेग्नेंसी के 2 हफ्ते बाद ही गर्भ में पल रहे शिशु में एचआईवी की जानकारी मिल जाती है। साऊथ एशिया में 17 प्रतिशत, ईस्टर्न यूरोप एंड सेंट्रल एशिया में 51 प्रतिशत, लेटिन अमेरिका और कैरिबियन में 45 प्रतिशत, मिडिल ईस्ट और नार्थ अफ्रीका में 28 प्रतिशत, ईस्ट और साऊथ अफ्रीका में 52 प्रतिशत और वेस्ट और सेंट्रल अफ्रीका में 20 प्रतिशत तक शिशु गर्भावस्था में एचआईवी (HIV during pregnancy) से इंफेक्टेड हो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। गर्भावस्था में एचआईवी और AIDS दोनों से कैसे बचा जाए इस पर रिसर्च जारी है। आज जानेंगे गर्भावस्था में एचआईवी और AIDS कैसे गर्भ में पल रहे शिशु को इंफेक्ट कर देता है।
महिलाओं और बच्चों में एचआईवी और AIDS काफी तेजी से फैलता है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 38 प्रतिशत महिलाएं एचआईवी और AIDS से पीड़ित हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर गर्भावस्था में एचआईवीऔर AIDS की बीमारी है, तो जन्म लेने वाला शिशु भी एचआईवी और AIDS के संक्रमण का शिकार हो सकता है।
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गर्भ में पल रहे शिशु तक एचआईवी कैसे पहुंच सकता है?
गर्भावस्था के दौरान मां से शिशु में लेबर, बेबी डिलिवरी (Baby delivery) या फिर ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) के दौरान एचआईवी का संक्रमण (HIV Infection) फैल सकता है। इसे मेडिकल टर्म में पेरिनेटल ट्रांसमिशन (Perinatal transmission) कहते हैं। बच्चों में एचआईवी इंफेक्शन का सबसे अहम कारण पेरिनेटल एचआईवी ट्रांसमिशन ही माना जाता है। इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ (Indian Journal of Public Health) के अनुसार एचआईवी इंफेक्टेड मां और शिशु की संख्या कई देशों में बढ़ी हैं। इसलिए गर्भावस्था में एचआईवी और AIDS जैसी बीमारी है तो सचेत रहें।
- हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा से शिशु तक संक्रमण पहुंच सकता है।
- शिशु के जन्म के समय वजायना से तरल पदार्थ भी निकलता है। इसके संपर्क में रहने से भी शिशु में एचआईवी का खतरा हो सकता है।
- शिशु को स्तनपान करवाने के दौरान भी एचआईवी (HIV) का खतरा हो सकता है।
इन तीन अहम कारणों से शिशु में एचआईवी की संभावना बढ़ जाती है।
एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं की देखभाल दिन-प्रतिदिन बेहतर होती जा रही है। यदि एचआईवी का उपचार ठीक से किया जाए तो संक्रमित मांओं के गर्भ से जन्म लेने वाले 200 में से केवल एक शिशु ही इस विषाणु की चपेट में आ सकता है।
गर्भावस्था में दवाएं लेने से वायरस का अपरा से होते हुए शिशु तक पहुंचने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। इसलिए, अगर आपको एचआईवी है तो सही उपचार और देखभाल शिशु को सुरक्षित रखने में काफी मदद करती है।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इस लेख में एचआईवी से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आपको इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा इसके लिए आप अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।