अस्थमा और निमोनिया का निदान कैसे किया जाता है? (Asthma and pneumonia diagnosis)
यदि आपको अस्थमा (Asthma) के लक्षण हैं तो डॉक्टर आपकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री की जांच करने के साथ ही आपके नाक, गले और वायुमार्ग (airways) की भी जांच करता है। इसके अलावा वह आपके फेफड़ों (Lungs) और सांसों का परीक्षण भी करता है। यदि सांस लेते समय फेफड़े से सीटी जैसी आवाज आती है तो यह अस्थमा (Asthma) का लक्षण है। आपके फेफड़ों की कार्यप्रणाली को जांचने के लिए डॉक्टर आपको स्पायरोमीटर (spirometer) पर सांस लेने के लिए कह सकता है। वह एलर्जी टेस्ट (allergy tests) के लिए भी कह सकता है।
यदि आपके लक्षण निमोनिया (Pneumonia) का संकेत देते हैं तो डॉक्टर आपके फेफड़ों की जांच करेगा। निमोनिया (Pneumonia) का एक लक्षण हैं सांस लेते कर्कश आवाज (crackling sound) आना। अधिकांश मामलों में इसके निदान के लिए छाती का एक्स रे (chest X-ray) करने की सलाह दी जाती है। यदि जरूरत पड़े तो ज्यादा स्पष्ट नतीजों के लिए डॉक्टर छाती का सीटी स्कैन (CT chest scan) कराने की भी सलाह दे सकता है। आपका ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है जिससे बल्ड में ऑक्सीजन (Oxygen) की मात्रा और व्हाइट ब्लड सेल्स (white blood cells) की मात्रा का पता चल सके। छाती में बलगम है या नहीं इसकी जांच करके भी निमोनिया का पता लगाया जा सकता है।
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अस्थमा और निमोनिया का उपचार (Asthma and pneumonia treatments)
अस्थमा के इलाज के लिए दोनों ही लॉग्न टर्म और शॉर्ट टर्म ट्रीटमेंट प्लान की जरूरत होती है। जबकि निमोनिया (Pneumonia) के अधिकांश मामलों में डॉक्टर कुछ ही दिनों में मरीज का इलाज कर उसे ठीक कर देता है।
अस्थमा का उपचार (Treating asthma)
अस्थमा एक क्रॉनिक डिसीज (Chronic disease) यानी लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है जिसके लिए लंबे उपचार की जरूरत होती है। जैसे ही आपको दमा के लक्षण दिखे इसके लक्षणों का तुरंत उपचार शुरू करवाना जरूरी है, क्योंकि गंभीर अस्थमा अटैक (acute asthma attack) जानलेवा साबित हो सकता है और यह मेडिकल इमरजेंसी (Medical emergency) की स्थिति है। जिन स्थितियों में आपको अस्थमा अटैक आने का खतरा अधिक होता है उससे दूर रहना जरूरी है जैसे यदि आपको धूल-मिट्टी या किसी अन्य चीज से एलर्जी (Allergy) है तो उससे दूर रहें।
यदि आपको गंभीर अस्थमा है तो अस्थमा अटैक से बचने के लिए आपको रोजाना दवा की जरूरत पड़ सकती है। इसमें शामिल है ओरल या इनहेल्ड कोर्टिकोस्टेरॉइड (corticosteroid), लॉन्ग टर्म बीटा-2 एगोनिसट्स जैसे सालमेटोरोल (salmeterol) या सबलिंगुअल टैबलेट (sublingual tablets), जो कि इम्यूनोथेरेपी (immunotherapy) का प्रकार है।
निमोनिया का इलाज (Treating pneumonia)
यदि आपको दूसरी कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है तो निमोनिया का उपचार घर पर ही किया जा सकता है। घर पर रहकर आराम करें, खूब तरल पदार्थ (Liquid) का सेवन करें जिससे बलगम ढीला होकर छाती से निकल जाए और बुखार (Fever) के लिए आप ओवर द काउंडर दवाएं ले सकते हैं। ध्यान रहे बच्चों को एस्प्रिन (aspirin) न दें। दरअसल, 18 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी बीमारी में एस्प्रिन लेने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि इससे दुर्लभ लेकिन जानलेवा रे सिंड्रोम (Reye’s syndrome) का खतरा बढ़ जाता है। यदि निमोनिया में आपको खांसी भी आ रही है तो डॉक्टर की सलाह पर ही खांसी की दवा लें। डॉक्टर वायरल निमोनिया (viral pneumonia) के लिए एंटीवायरल दवा (antiviral medication) और बैक्टीरियल निमोनिया (bacterial pneumonia) के लिए एंटीबायोटिक्स (antibiotics) दे सकता है।
यदि मरीज को दूसरी स्वास्थ्य समस्या हैं या उसकी उम्र 5 साल से कम और 65 साल से अधिक है तो उपचार थोड़ा मुश्किल हो जाता है। निमोनिया यदि गंभीर है तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाने के साथ ही इन चीजों की जरूरत पड़ सकती है-