आज के समय में लोगों में फेंफड़ों संबंधित बीमारिया काफी बढ़ती जा रही हैं। लंग डिजीज (Lung Disease) में आजकल सबसे पहले काेविड-19 का नाम आता है। लेकिन इसके अलावा, लोगों में सांस की बढ़ती समस्या के और कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अस्थमा और सीओपीडी (Asthma and COPD) यानि कि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic obstructive pulmonary disease) की समस्या। यह दोनों ही श्वसन संबंधी बीमारियां हैं, जो काफी समय से लोगों कोप्रभावित करती आ रही हैं। सांस की बामारी में अस्थमा और सीओपीडी दोनों ही बहुत गंभीर बीमारी है। लेकिन अक्सर लोगों दोनों में फर्क नहीं समझ पाते हैं। काेविड से पहले होने वाली कोई भी सांस से संबंधित बीमारी को लोग अस्थमा के रूप में देखते थें, पर यह धारणा गलत हैं। रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम (Respiratory problem) के कई कारण हो सकते हैं। आज हम यहां बात करेंगे अस्थमा और सीओपीडी (Asthma and COPD) की, दोनों हीसांस की बीमारी हैं, पर दोनों ही एक -दूसरे से अलग हैं। इन दोनों के बीच के अंतर को जानने के लिए आप पहले जानें कि अस्थमा और सीओपीडी है क्या, इन दोनों के बीच के लक्षणों में दिखने वाले अंतर और ट्रीटमेंट के बारें, जानिए:
अस्थमा (Asthma) यानि कि दमा एक श्वसन रोग है, जो कि ब्रोन्कियल नलियों में होने वाली सूजन के कारण होता है। इसमें, पीड़ित व्यक्ति के फेफड़ों (Lung) तक हवा ठीक से न पहुंने के कारण सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। यह एक प्रकार की एलर्जी है। यह समस्या अस्थमा के पेशेंट में कभी भीशुरू हो सकती है। इसमें सांस लेने में तकलीफ (Breathing Problem) के अलावा सीने में दर्द, खांसी (Cough)और बलगम की समस्या हो जाती है। इसमें सांस की नली में सूजन के कारण सांस लेने में और मुश्किल होने लगती है।
सीओपीडी (COPD) क्या है?
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic obstructive pulmonary disease) फेफड़ों से संबंधित बीमारी है, जिसमें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों का रोग (Lung Disease) है। इसमें रोगी को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। ध्रूमपान करने वाले मरीजों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। इसमें फेफड़ों से हवा को बाहर निकालने में मुश्किल (वायु प्रवाह अवरोध) होती है। इस रुकावट के कारण, रोगी को सांस लेने में कठिनाई महसूस होने लगती है।
अस्थमा और सीओपीडी में अंतर (Difference Between COPD & Asthma)
अस्थमा और सीओपीडी (Asthma and COPD) यानि कि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज दाेनों ही फेफड़ों की बीमारी है और इन दोनों में ही सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। लेकिन यह दोनों बीमारी एक नहीं है, दोनों में बहुत अंतर है। वैसे स्वस्थ मनुष्य के फेफड़े स्पंज की तरह होते हैं और जब हम सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन शरीर के अंदर जाता खून में मिल जाता है। फिर शरीर से कॉर्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकलता है। लेकिन सीओपीडी की बीमारी में ऐसा हो नहीं पाता है।ऑक्सीजन शरीर के रक्त में नहीं घुल पाता है और समस्या शुरू हो जाती है। तो ऐसे में शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन पहुंच नहीं पाता है। यही कारण है कि मरीज की सांस फूलने लगती है। ऐसे कई लोग इसे यानि कि सांस फूलने की समस्या को अस्थ्मा की प्रॉब्लम समझ लेते हैं, जोकि गलत है। जबकि अस्थमा की समस्या में ऑक्सीजन नहीं घुल पाने जैसी समस्या नहीं होती है। इसमें वायु फेफड़े तक पहुंच नहीं पाते हैं और मरीज को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। इसके अलावा अस्थमा रोग में श्वास नलियों में सूजन के कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ने लगता है। इन वायु मार्गों यानी ब्रॉनिकल ( ।(Bronchial) टयूब्स के माध्यम से हवा फेफड़ों के अंदर और बाहर जाती है। इसके अलावा नीचें दिए अन्य लक्षणों से भी आप दाेनों के बीच को अंतर को पहचान सकते हैं, जैसे कि:
अस्थमा और सीओपीडी (Asthma and COPD) के लक्षणों के बीच अंतर
अगर हम अस्थमा और सीओपीडी (Asthma and COPD)के बीच के लक्षणों में अंतर की बात करें, तो दोनों डिजीज के बीच आपको कई अंतर देखने को मिल सकते हैं। जिससे दोनों को पहचाना जा सकता है। इस बारे में केजीएमयू चिकित्सा संस्थान के पल्मोनेरी विभाग के हेड डॉक्टर सूर्यकांत ने दोनों के बीच अंतर को बताते हुए कहां कि ऐसे बहुत से लक्षण हैं, जो दोनों के अंतर को समझाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
सीओपीडी रोग होने का सबसे बड़ा कारण है बढ़ता प्रदूषण (Pollution)। जिसके कारण कई लोग लंग डिजीज (Lame disease) के शिकार हो रहे हैं। रोजाना सड़क पर गाड़ियों से उत्पन्न होने वाले धुंओं का प्रभाव लोगों के फेफड़ों पर पड़ रहा है। इसके अलावा धूल, मिट्टी, डस्ट के कारण होने वाले एलर्जन (Allergan) भी सांस के साथ शरीर के अंदर जाकर फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। इन कारणों के अलावा धूम्रपान (Smoking) भी लोगों में इस बीमारी के बढ़ने का कारण है। कई लोग जो चेन स्मोकर होते हैं, बीड़ी या हुक्का पीते हैं, उनमें भी सीओपीडी होने के सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए डॉक्टर स्मोकिंग से बचने की सलाहा देते हैं।
लोगों में अस्थमा कि समस्या कई कारणों से हो सकती हैं, लेकिन जो मुख्य रूप से देखी जाती हैं, वो है स्मोकिंग (Smoking) यानि कि लोगों का अधिक ध्रूमपान करना। इसके बाद मोटापा भी कई लोगों में इस समस्या का बड़ा कारण माना गया है। बढ़ते वजन के कारण भी सांस की नली में दबाव पड़ने लगता है। इसके अलावा अस्थ्मा की समस्या के सबसे मुख्य कारणों में एक एलर्जी भी एक है। जिसके कारण उनमें यह समस्या ट्रिगर होने लगती है। इसके अन्य कारणों में लोगों का अधिक स्ट्रेस लेना और बढ़ता प्रदूषण भी शामिल है।
अस्थमा और सीओपीडी का ट्रीटमेंट्र (Treatment)
अस्थमा (Asthma) का उपचार
अस्थमा एक लाॅन्ग टर्म मेडिकल कंडिशन है। हम यह भीकह सकते हैं कि यह समस्या कभी भी मरीज में ट्रिगर हो सकती है। इसलिए इलाज जीवन भर के लिए होता है। मरीज का इनहेलर (Inhaler) को अपने पासरखना जरूरी होता है। इसके आलावा डॉक्टर द्वारा बताए गए अन्य मेडिकेशन को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। इसमें कुछ चीजों से बचाव काफी जरूरी होता है। रोजाना मेडिकेशन (Medication) में डॉक्टर आपको ये मेडिकेशन बोल सकते हैं, जैसे कि:
इसमें जल्दी आराम के लिए बीटा एगोनिस्ट (beta agonists), इप्रेट्रोपियम(एट्रोवेंट) (ipratropium) (Atrovent), and कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Intravenous corticosteroids) शामिल हैं।
एलर्जी की दवाइयां जैसे कि एलर्जी शॉट्स (इम्यूनोथेरेपी) (immunotherapy) और ओमालिज़ुमैब (एक्सोलैर) (omalizumab) (Xolair) है।
लंबे समय तक अस्थमा को नियंत्रित करने वाली दवाएं जैसे कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids), ल्यूकोटरीनमॉडिफायर (leukotriene modifiers), लंबे समय तक काम करने वाले बीटा एगोनिस्ट (beta agonists )के साथ इनहेलर शामिल है।
अस्थमा की तरह, सीओपीडी की समस्या भी एक लॉन्ग टर्म मेडिकल कंडिशन है। जिसका उपचार लक्षणों पर निर्भर करता है और यह भी लॉन्ग टर्म मेडिकेशन है। ताकि मरीज की हालत बिगड़ने से रोकी जा सके। मेडिकेशन में डॉक्टर आपको धूम्रपान छोड़ना की सलाह देंगे, यदि आप करते हैं। इसके अलावा सेकेंड हैंड स्मोकिंग के दौरान धुएं के संपर्क में आने से बचने की सलाह देंगे। इसके अलावा अन्य मेडिकेश में शामिल हैं, जैसे कि:
इसके अलावा लंग थेरिपी में आपको ऑक्सिजन थेरिपी (Oxygen therapy),पल्मोनेरी रिहैबिलाइेशन प्रोगाम (Pulmonary Rehabilitation programs), एक्सरसाइज ट्रेनिंग और कुछ काउंसलिंग की सलाह देंगे।
इसका रखें ध्यान
इस समस्या से बचने के लिए ध्यान रखें कि हमेशा बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग जरूर करें।
शरीर में पानी की कमी न होने दें। इसके लिए अपने आप को हायड्रेटेड रखें ।
तो आपने जाना कि अस्थमा और सीओपीडी दोनों ही सांस संबधी बीमारी हैं। लेकिन दोनाें एक दूसरे से अलग है। इनके लक्षण और उचार भी काफी भिन्न हैं। अक्सर लोग इसे एक समझने की गलती कर देते हैं। पर जरूरी है कि आप दोनों के बीच को अंतर को समझें। इसके अलावा यह समस्या महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। उनके द्वारा बताए गए मेडिकेशन को भी फॉलों करें। अपने मन से कोई भी घरेलू इलाज या दवा न लें। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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