निमोनिया और वॉकिंग निमोनिया को बढ़ाने वाले रिस्क फैक्टर (Risk Factor)
निमोनिया को बढ़ाने वाले कुछ रिस्क फैक्ट इस प्रकार हैं, जैसे कि:
- यह छोटे बच्चे को जल्दी होता है
- 60 साल अधिक उम्र वाले लोगों में इसके होने का खतरा ज्यादा होता है
- अस्थमा पेशेंट को (Asthma)
- अधिक स्मोकिंग करने वालो में (Smoking)
- प्रदूषण की समस्या अधिक होने पर
निमोनिया और वाॅकिंग निमोनिया की जांच (Pneumonia and Walking pneumonia Diagnosis)
वैसे वॅाकिंग निमोनिया के शिकार व्यक्ति को बहुत की हल्के लक्षण होने पर मेडिकेशन की सलाह देते हैं। लेकिन कुछ मामलों में और निमोनिया में डॉक्टर कुछ जांच की सलाह दे सकते हैं, जैसे कि:
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निमोनिया और वाॅकिंग निमोनिया उपचार (Pneumonia and Walking pneumonia Treatment)
- सांस की दिक्कत होने पर ऑक्सिजन लगा सकते हैं
- इंट्रावेनस फ्लूइड
- ब्रिदिंग ट्रीटमेंट
- सूजन को कम करने के लिए कोर्टिकोस्टेरोइड
- ओरल और आईवी एंटीबायोटिक दवाएं
वॉकिंग निमोनिया यानि कि एपीटिकल निमोनिया की तुलना में निमोनिया में मरीज की स्थिति ज्यादा गंभीर होती है। गंभीर स्थिति महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। घर पर ही खुद इलाज करने से बचें। कुछ मामलों में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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वाॅकिंग निमोनिया में मेडिकेशन आपके लक्षणों पर निर्भर करता है। इसके अलावा डाॅक्टर आपको कुछ सलाह दे सकते हैं, जैसे कि:
डॉक्टर आपको आराम करने के लिए बोलेंगे। जैसा कि आपने निमोनिया और वाॅकिंग निमोनिया में अंतर जाना। लेकिन इन दोनों को आप एक समझने की गलती न करें। ऐसा भी न करें कि निमोनिया के शुरुआती लक्षण को वाॅकिंग निमोनिया समझकर घर पर ही इलाज शुरू कर दें। दोनों की केस में आप डॉक्टर से मिलें । बस इतना है कि वाॅकिंग निमोनिया में मरीज की जान को खतरा नहीं होता है। अधिक जानकारी के लिए आप आप डॉक्टर से बात करें।