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पल्मोनरी एम्बोलिस्म कैसे पहुंचा सकता है आपके शरीर को नुकसान, जानिए

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/03/2021

    पल्मोनरी एम्बोलिस्म कैसे पहुंचा सकता है आपके शरीर को नुकसान, जानिए

    पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) पल्मोनरी आर्टरी का ब्लॉकेज होता है। ये समस्या लंग्स यानी आपके फेफड़ों में पाई जाती है। ज्यादातर केसेज में पल्मोनरी एम्बोलिस्म की समस्या शरीर के अन्य भाग या फिर लेग वेंस आदि से लंग्स में ब्लड क्लॉट ट्रेवल करने के कारण होती है। क्लॉट के कारण ब्लड फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाता है, जिस कारण से व्यक्ति की हालत बहुत खराब हो सकती है। अगर ब्लड क्लॉट को फेफड़ों तक जाने से रोका जाए, तो इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको पल्मोनरी एम्बोलिस्म के कारण, लक्षण और ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जानिए क्या होती है पल्मोनरी एम्बोलिस्म की बीमारी और कैसे बचाएं खुद को इस बीमारी से।

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    पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) के कारण क्या हैं?

    पल्मोनरी एम्बोलिस्म

    ब्लड क्लॉट या रक्त के थक्कों के कारण कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पल्मोनरी एम्बोलिस्म डीप वेंस थ्रोम्बोसिस (Deep vein thrombosis) के कारण होता है। इस कंडीशन में नसों में रक्त के थक्के या ब्लड क्लॉट बनने शुरू हो जाते हैं। लेग या पेल्विक से इसकी शुरुआत होती है, जो फेफड़ों तक पहुंचती है।

    • वेंस में ब्लड क्लॉट बनने के कई कारण हो सकते हैं। जानिए किन कारणों से शरीर में रक्त के थक्कें बनने लगते हैं।

      इंजुरी या फिर डैमेज के कारण शरीर में ब्लड क्लॉट की समस्या हो सकती है। इससे मसल्स टीयर ब्लड वैसल्स को डैमेज करती हैं और क्लॉट का कारण बनती हैं।

    • इनएक्टिविटी के कारण भी ब्लड क्लॉट की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर कोई व्यक्ति बीमारी के कारण लंबे समय से बेड में लेटा हुआ है, तो उसे ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो सतती है। लंबे समय तक एक ही स्थान में बैठने वाले लोगों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
    • कुछ मेडिकल कंडीशन भी ब्लड क्वॉटिंग का कारण बन सकती हैं। कैंसर के लिए सर्जरी या फिर कीमोथेरिपी के कारण भी ब्लड क्लॉटिंग की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

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    पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) के लक्षण क्या होते हैं?

    पल्मोनरी एम्बोलिस्म की समस्या होने पर कई प्रकार के लक्षण नजर आ सकते हैं। पल्मोनरी एम्बोलिस्म की समस्या होने पर सबसे पहले व्यक्ति को सांस लेने में समस्या होती है। जानिए और कौन-से लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।

  • चिंता (anxiety)
  • त्वचा में चमक या नीलापन आना (clammy or bluish skin)
  •  नेक, कंधे या जबड़े में दर्द( chest pain that may extend into your arm, jaw, neck, and shoulder)
  • बेहोशी छा जाना (fainting)
  • हार्टबीट का अनियमित होना (irregular heartbeat)
  • सांस लेने में दिक्कत (rapid breathing)
  • हार्टबीट तेज चलना (rapid heartbeat)
  • बेचैनी होना ( restlessness)
  • थूक के साथ खून (Spitting up blood)
  • पल्स कमजोर (Weak pulse)
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    पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) के रिस्क फैक्टर्स कौन से होते हैं?

    पल्मोनरी एम्बोलिस्म की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। यानी किसी भी व्यक्ति में ब्लड क्लॉट की समस्या हो सकती है, जो पल्मोनरी एम्बोलिस्म का कारण बन सकते हैं। जानिए ऐसे कौन-से फैक्टर्स हैं, जो इस बीमारी के रिस्क को बढ़ाने का काम करते हैं।

  • कार्डियोवस्कुलर डिजीज या खासतौर पर हार्ट फेलियर ब्लड क्लॉट का कारण बन सकता है, जो पल्मोनरी एम्बोलिस्म को जन्म देता है।
  • कैंसर जैसे कि ब्रेन कैंसर, ओवेरियन कैंसर, पैंक्रियाज, कोलन, स्टमक, लंग और किडनी कैंसर आदि के कारण ब्लड क्लॉट का खतरा बढ़ जाता है। जिन महिलाओं के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास रहा हो और वो टेमोक्सीफेन ( tamoxifen) ले रही हो, उन्हें भी ब्लड क्वॉटिंग का अधिक खतरा रहता है।
  • कुछ सर्जरी के बाद भी ब्लड क्लॉट का खतरा बना रहता है। डॉक्टर सर्जरी के पहले और सर्जरी के बाद दवाएं देते हैं, ताकि ब्लड क्लाटिंग के खतरे को कम किया जा सके।
  • किडनी डिजीज के साथ ही कुछ ब्लड डिसऑर्डर भी ब्लड क्लॉटिंग के रिस्क को बढ़ाने का काम करते हैं।
  • कोरोना महामारी से पीड़ित लोगों में भी पल्मोनरी एम्बोलिस्म का खतरा बढ़ गया था।
  • स्मोकिंग के कारण भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
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    पल्मोनरी एम्बोलिस्म का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है? कौन से टेस्ट उपलब्ध हैं?

    डॉक्टर पल्मोनरी एम्बोलिस्म को डायग्नोज करने के लिए पहले पेशेंट से बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं और फिर टेस्ट करते हैं। जानिए फेफड़ों की बीमारी की जांच कैसे की जाती है।

    • चेस्ट एक्स-रे की हेल्प से डॉक्टर हार्ट और लंग्स के बारे में अधिक जानकारी मिलती है। साथ ही लंग्स के आसपास की बोंस के बारे में पता चलता है।
    • ईसीजी (electrocardiography) डॉक्टर हार्ट इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को जांचने के लिए किया जाता है।
    • एमआरआई (MRI) की हेल्प फेफड़ों के आसपास की अच्छी इमेज प्राप्त होती है, जो बीमारी के बारे में जानकारी देती है।
    • सीटी स्कैन की हेल्प से डॉक्टर लंग्स की क्रॉस सेक्शन ईमेज मिलती है। वी / क्यू स्कैन स्पेशल स्कैन कहलाता है, जो जरूरत पड़ने पर किया जाता है।
    • पल्मोनरी एंजियोग्राफी(pulmonary angiography) की हेल्प से डॉक्टर एक चीरा लगाकर टूल्स की मदद से वेंस की जांच करते हैं।
    • डुपलेक्स वीनस अल्ट्रासाउंड (Duplex venous ultrasound) टेस्ट की हेल्प से ब्लड फ्लो के बारे में जानकारी मिलती है।
    • डॉक्टर वीनोग्राफी (venography) की हेल्प से पैरों का एक्स-रे करते हैं।

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    पल्मोनरी एम्बोलिस्म का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?

    ब्लड क्लॉट्स के साइज के अनुसार डॉक्टर ट्रीटमेंट करते हैं। अगर ज्यादा ब्लड क्लॉट का निर्माण नहीं हुआ है, तो डॉक्टर पेशेंट को मेडिसिंस देते हैं, ताकि ब्लड क्लॉट्स को खत्म किया जा सके। कुछ ड्रग्स स्मॉल क्लाट्स को ब्रेक करने का काम करते हैं। डॉक्टर आपको एंटीक्वाग्युलेंट (anticoagulants) ड्रग्स दे सकते हैं। इस ड्रग्स से ब्लड क्लॉट्स का फॉर्मेशन नहीं होता है। इमरजेंसी की सिचुएशन में ये दवा डॉक्टर दे सकते हैं। प्रॉब्लमेटि क्लॉट्स को हटाने के लिए डॉक्टर सर्जरी की हेल्प भी ले सकते हैं। जो क्लॉट्स ब्लड फ्लो को रोकने का काम करते हैं, उन्हें सर्जरी की हेल्प से हटाया जाता है। कैथेटर की हेल्प से भी लार्ज क्लॉट को हटाया जाता है। ये प्रोसेस कठिन होता है और डॉक्टर जरूरत पड़ने पर ही इसे करते हैं। ओपन सर्जरी भी पल्मोनरी एम्बोलिस्म की समस्या को दूर करने के लिए की जा सकती है। इसे इमरजेंसी सिचुएशन में ही किया जाता है।

    पल्मोनरी एम्बोलिस्म में डायट (Pulmonary embolism diet) कैसा होना चाहिए?

    पल्मोनरी एम्बोलिस्म या फेफड़ों की बीमारी होने पर खाने में फ्रूट्स और वेजीटेबल्स को शामिल करना चाहिए। साथ ही खाने में व्होल ग्रेन्स (whole grains) जैसे कि ब्राउन राइस, ओटमील, बाजरा, पॉपकॉर्न, आटे से बनी ब्रेड आदि को शामिल करना चाहिए। आप लो फैट प्रोटीन में लीन मीट, सीफूड्स, बींस, सोया, लो फैट डेयरी, एग्स, नट्स और सीड्स ले सकते हैं। बेहतर होगा कि आप डायट के बारे में एक बार डॉक्टर से राय जरूर लें।

    आपको खाने में सोडियम की मात्रा को सीमित करना चाहिए। साथ ही खाने में फैट को भी कम करना चाहिए। खाने में शुगर की अधिक मात्रा और प्रोसेस्ड फूड भी आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। आप हाई फैट प्रोटीन के स्थान पर लो फैट प्रोटीन ले सकते हैं। खानपान का असर शरीर पर साफतौर पर देखने को मिलता है, इसलिए आपको लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

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    लाइफस्टाइल में सुधार आपको बचाएगा बीमारी से

    पल्मोनरी एम्बोलिस्म से बचने के लिए  खानपान के साथ ही हाइड्रेशन का भी ख्याल रखें। आप दिन में पानी का सेवन अधिक करें। एक दिन में सात से आठ ग्लास पानी जरूर पिएं। अगर आप लंबे समय तक एक ही स्थान में बैठे रहते हैं, तो आपको ये आदत छोड़ देनी चाहिए, वरना आपको ब्लड क्लॉट्स का प्रॉब्लम हो सकता है। अगर आपको लंबी ड्राइविंग करनी है, तो बीच में ब्रेक लें और कुछ देर वॉक जरूर करें। डॉक्टर रक्त के थक्के से छुटकारे के लिए सपोर्ट स्टॉकिंग्स (support stockings) पहनने की सलाह दे सकते हैं। अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर को जानकारी दें। पौष्टिक आहार का सेवन, रोजाना एक्सरसाइज और कुछ बातों ध्यान रख आप इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं।

    अगर आपको बीमारी के किसी भी तरह के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर कराया गया ट्रीटमेंट आपको भविष्य में होने वाली परेशानियों से बचा सकता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं।  आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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