यदि किसी नवजात को मां से क्लैमाइडिया होता है तो इससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं जैसे न्यूमोनिया, आई इंफेक्शन और अंधापन।
एचपीवी HPV (Human Papillomavirus)
ह्यूमन पैपीलोमावायरस से संक्रमित होने पर आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। है। एचपीवी का सबसे आम लक्षण जननांगों, मुंह या गले पर मस्सा होना। एचपीवी के अधिकांश मामले बिना इलाज के ही ठीक हो जाता है। एचपीवी संक्रमण होने पर व्यक्ति को ओरल कैंसर, जेनिटल कैंसर या रेक्टल कैंसर भी हो सकता है। वैसे तो इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके गंभीर प्रकार से बचाने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है।
सिफलिस (Syphilis)
सिफलिस बैक्टीरिया से होने वाला यह एक अन्य एसटीडी है जिसके लक्षण जल्दी नजर नहीं आते है। इसमें व्यक्ति के प्राइवेट पार्ट, रेक्टम या मुंह पर घाव हो सकता है। इसके दर्द नहीं होता, लेकिन यह रोग संक्रामक है। इससे पीड़ित व्यक्ति में लाल चकत्ते, थकान, बुखार, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, वजन कम होना या बाल झड़ने जैसे लक्षण दिखते हैं।
एचआईवी (HIV)
यह भी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है जो पीड़ित के इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देता है। इसका समय रहते इलाज न करने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और यह एड्स का रूप ले लेती है। इसके लक्षणों में शामिल है बुखार, ठंडी लगना, दर्द, गले में खराश, सिरदर्द, जी मिचलाना व चकत्ते आदि।
गोनोरिया (Gonorrhea)
यह एक अन्य एसटीडी है जिसके लक्षण जल्दी नजर नहीं आते और इसके अधिकांश लक्षण क्लैमाइडिया जैसे ही होते हैं। इसमें होने वाले डिस्चार्ज का रंग सफेद या पीला हो सकता है। इसमें गले में खराश महसूस होती है और जननांगों के पास खुजली भी हो सकती है। नवजात के लिए यह जानलेवा हो सकता है।
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क्या कॉन्ट्रासेप्शन (गर्भनिरोधक) से सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से बचा जा सकता है?
कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स, इंजक्शन, इंप्लांट या इंट्रा यूटराइन डिवाइस (IUD) आदि कॉन्ट्रासेप्शन के सामान्य तरीक है जो अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाते हैं, मगर कुछ लोगों को यह गलतफहमी है कि इससे एसटीडी से भी बचाव संभव है जो सही नहीं है। एसटीडी से बचाव का सबसे बेहतर तरीका कॉन्डम ही है। वैसे आप यदि कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल कर रही हैं तो इससे आपके शुगर लेवल में बदलाव हो सकता है। इसलिए आप यदि डायबिटीज की शिकार हैं, तो कॉन्ट्रासेप्शन का कोई भी तरीका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।