- गुप्तांग या रेक्टल एरिया में घाव या छाले
- पेशाब के समय दर्द या जलन होना
- पेनिस से डिस्चार्ज होना
- वजाइनल डिस्चार्ज से दुर्गंध आना
- असामान्य वजाइनल ब्लीडिंग
- सेक्स के दौरान दर्द
- लिम्फ नोड्स में सूजन या घाव
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- बुखार
- हाथ, पैर या शरीर पर रैशेज
लक्षणों को उभरने में कुछ दिनों का भी समय लग सकता है या कई साल भी लग सकते हैं जब तक कि आपको इससे किसी तरह की परेशानी न हो।
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सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के प्रकार (Types Of Sexually Transmitted Diseases)
टाइप 1 डायबिटीज और एसटीडी का कोई कनेक्शन तो नहीं है, लेकिन सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के प्रकार जानना जरूरी है।
क्लैमाइडिया (Chlamydia)
क्लैमाइडिया रोग ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया सिर्फ इंसानों में ही इंफेक्शन फैलता है। सही समय पर निदान करने पर इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। इसके लक्षणों में शामिल है-
- सेक्स और पेशाब के समय दर्द या असहजता
- पेनिस और वजाइना से हरा या पीला डिस्चार्ज
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- यूरेथ्रा, प्रोस्टेट ग्लैंड या टेस्टिकल्स का संक्रमण
- पेल्विक इन्फ्लामेट्री डिसीज
- इन्फर्टिलिटी
यदि किसी नवजात को मां से क्लैमाइडिया होता है तो इससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं जैसे न्यूमोनिया, आई इंफेक्शन और अंधापन।
एचपीवी HPV (Human Papillomavirus)
ह्यूमन पैपीलोमावायरस से संक्रमित होने पर आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। है। एचपीवी का सबसे आम लक्षण जननांगों, मुंह या गले पर मस्सा होना। एचपीवी के अधिकांश मामले बिना इलाज के ही ठीक हो जाता है। एचपीवी संक्रमण होने पर व्यक्ति को ओरल कैंसर, जेनिटल कैंसर या रेक्टल कैंसर भी हो सकता है। वैसे तो इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके गंभीर प्रकार से बचाने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है।
सिफलिस (Syphilis)
सिफलिस बैक्टीरिया से होने वाला यह एक अन्य एसटीडी है जिसके लक्षण जल्दी नजर नहीं आते है। इसमें व्यक्ति के प्राइवेट पार्ट, रेक्टम या मुंह पर घाव हो सकता है। इसके दर्द नहीं होता, लेकिन यह रोग संक्रामक है। इससे पीड़ित व्यक्ति में लाल चकत्ते, थकान, बुखार, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, वजन कम होना या बाल झड़ने जैसे लक्षण दिखते हैं।
एचआईवी (HIV)
यह भी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है जो पीड़ित के इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देता है। इसका समय रहते इलाज न करने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और यह एड्स का रूप ले लेती है। इसके लक्षणों में शामिल है बुखार, ठंडी लगना, दर्द, गले में खराश, सिरदर्द, जी मिचलाना व चकत्ते आदि।
गोनोरिया (Gonorrhea)
यह एक अन्य एसटीडी है जिसके लक्षण जल्दी नजर नहीं आते और इसके अधिकांश लक्षण क्लैमाइडिया जैसे ही होते हैं। इसमें होने वाले डिस्चार्ज का रंग सफेद या पीला हो सकता है। इसमें गले में खराश महसूस होती है और जननांगों के पास खुजली भी हो सकती है। नवजात के लिए यह जानलेवा हो सकता है।
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क्या कॉन्ट्रासेप्शन (गर्भनिरोधक) से सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से बचा जा सकता है?
कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स, इंजक्शन, इंप्लांट या इंट्रा यूटराइन डिवाइस (IUD) आदि कॉन्ट्रासेप्शन के सामान्य तरीक है जो अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाते हैं, मगर कुछ लोगों को यह गलतफहमी है कि इससे एसटीडी से भी बचाव संभव है जो सही नहीं है। एसटीडी से बचाव का सबसे बेहतर तरीका कॉन्डम ही है। वैसे आप यदि कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल कर रही हैं तो इससे आपके शुगर लेवल में बदलाव हो सकता है। इसलिए आप यदि डायबिटीज की शिकार हैं, तो कॉन्ट्रासेप्शन का कोई भी तरीका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से बचाव (Avoidance Of Sexually Transmitted Disease)
एसटीडी से बचाव के लिए सतर्क और जागरुक रहना बहुत जरूरी है साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखें-
- एक ही सेक्सुअल पार्टनर के साथ संबंध बनाएं और कॉन्डम का इस्तेमाल करें।
- बेहतर होगा कि संबंध बनाने के पहले दोनों पार्टनर अपनी एसटीडी जांच करवा लें।
- यदि किसी एक पार्टनर को सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है तो उसे ईमानदारी से दूसरे पार्टनर को बता देना चाहिए और संबंध बनाने से परहेज करें।
- जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाएं।
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सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज वैसे तो हर किसी के लिए चिंता का विषय है, लेकिन डायबिटीज के मरीजों के लिए यह और परेशान करने वाला है क्योंकि इससे संक्रमण और गंभीर हो सकता है। यदि आपका ग्लूकोज लेवल बहुत ज्यादा है तो आपको एसटीडी जैसे संक्रामक बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील बना देता है और यदि आप एसटीडी से पीड़ित हैं तो यह आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देता है जिससे डायबिटिक केटोएसिडोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डायबिटीज मरीजों को एसटीडी को लेकर खास सावधानी बरतने की जरूरत है। टाइप 1 डायबिटीज और एसटीडी से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और टाइप 1 डायबिटीज और एसटीडी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।